Ayodhya Ram Mandir-Babri Masjid Case Verdict: 491 साल पुराने अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद में सुप्रीम कोर्ट शनिवार (9 नवंबर) सुबह 10:30 बजे ऐतिहासिक फैसला सुनाएगा। इसे अयोध्या विवाद का फाइनल फैसला माना जा रहा है। बता दें कि इससे पहले 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी इस मसले पर अहम डिसीजन दिया था। 30 सितंबर, 2010 को दिए इस फैसले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अयोध्या की विवादित जमीन को राम जन्मभूमि करार दिया था। साथ ही, 2.77 एकड़ जमीन का बंटवारा सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्माही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर कर दिया था। हाई कोर्ट के इसी फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी।
हाई कोर्ट के फैसले से खुश नहीं थे तीनों पक्ष: राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद केस से जुड़े तीनों पक्ष निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी वक्फ बोर्ड और रामलला विराजमान ने इलाहाबाद हाई कोर्ट का यह फैसला मानने से इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में 14 अपील दायर की गईं। करीब 9 साल तक सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चलती रही। यहां तक कि विवाद सुलझाने के लिए मध्यस्थता कमेटी बनाई गई, लेकिन वह मामला सुलझाने में विफल रही।
40 दिन तक हुई रोजाना सुनवाई: सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की रोजाना सुनवाई 6 अगस्त से शुरू की थी, जो 16 अक्टूबर को खत्म हुई। सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया, जो 9 नवंबर को सुबह 10:30 बजे सुनाया जाएगा। इस पीठ में जस्टिस बोबडे, जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस एस अब्दुल नजीर हैं।
यूपी में धारा 144 लागू: राम जन्मभूमि-फैसले के मद्देनजर पूरे उत्तर प्रदेश में धारा 144 लागू कर दी गई है। वहीं, अयोध्या में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। यहां किसी भी स्थिति से निपटने 4000 जवानों को तैनात किया गया है। बताया जा रहा है कि सभी राज्यों को संवेदनशील स्थानों पर पर्याप्त सुरक्षाकर्मी तैनात रखने और यह सुनिश्चित करने के लिए कहा गया है कि देश में कहीं भी कोई अप्रिय घटना न हो।