कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने शनिवार (20 मई) को शपथ ग्रहण की। शपथ ग्रहण समारोह में बड़ी संख्या में विपक्षी नेताओं की उपस्थित थे। वहीं, पूर्व कांग्रेस नेता और वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि विपक्षी नेताओं की उपस्थिति पर्याप्त नहीं है, इससे कहीं ज्यादा की जरूरत है।
कपिल सिब्बल ने कहा कि विपक्षी एकता के लिए इससे कहीं ज्यादा की जरूरत है। प्रभावी विपक्षी एकता के लिए जरूरी तीन बातों को रेखांकित करते हुए, सिब्बल ने कहा कि विचारों का मिलना, एक कॉमन एजेंडा, पक्षपातपूर्ण हितों का त्याग किसी कार्यक्रम में उपस्थित होने वाले नेताओं की तुलना में ज्यादा जरूरी है।
सिद्धारमैया के शपथ ग्रहण में विपक्षी नेताओं का जमावड़ा
सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के शपथ ग्रहण में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री येजस्वी यादव, एनसीपी प्रमुख शरद पवार, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला, पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती, सीपीएम महासचिव सीताराम येचुरी, सीपीआई महासचिव डी राजा, अभिनेता-राजनेता कमल हासन शामिल हुए थे। शपथ ग्रहण के मंच से सभी नेताओं ने हाथ पकड़कर कैमरे के सामने पोज देकर यह संदेश दिया कि विपक्ष एकजुट है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी समारोह को संबोधित करते हुए सभी विपक्षी नेताओं का जिक्र किया।
यह निमंत्रण हाल की घटनाओं और संसद सत्र के दौरान हुई विपक्षी बैठकों पर आधारित थे। जबकि आप दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस के विरोध में है, वाईएसआरसी, बीजद किसी भी तरह के विपक्षी समूह से दूर रहे। हालांकि, इस विपक्षी एकता में कई पेंच हैं क्योंकि कांग्रेस ने AAP, BSP, BRS, YSR कांग्रेस और BJD को इस कार्यक्रम में आमंत्रित नहीं किया था। तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी को आमंत्रित किया गया था लेकिन उन्होंने अपने सांसद को कार्यक्रम में भेजा।
विपक्ष को एक करने में जुटे नीतीश कुमार
गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव को लेकर विपक्ष ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है। इसी क्रम में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने रविवार सुबह दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। पिछले कुछ हफ्तों में नीतीश कुमार की अरविंद केजरीवाल से यह दूसरी मुलाकात है। मुलाकात के बाद अरविंद केजरीवाल ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि अगर सभी दल राज्यसभा में एक साथ आ जाए और अध्यादेश पारित ना हो पाए, तो इससे एक संदेश जाएगा कि 2024 में पीएम नरेंद्र मोदी को हराया जा सकता है। वहीं मुलाकात के बाद नीतीश कुमार ने कहा कि हम देश में विपक्ष को एक करने की कोशिश कर रहे हैं।