जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) विवाद के बाद पहली बार कैंपस के बाहर जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार ने लाल झंडा थामा और संसद की ओर कूच किया। यह तय रणनीति का हिस्सा था, जिसे उन्होंने देशद्रोह के मामले में बंद अपने साथी छात्र उमर खालिद और अनिर्बान की रिहाई के लिए चुना है। कन्हैया जब जमानत पर कैंपस लौटे थे तभी अपनी पहली घोषणा में उमर और अनिर्बान की रिहाई के लिए आंदोलन की अगुआई करने का ऐलान किया था।

तिहाड़ में बंद छात्र उमर खालिद और अनिर्बान की रिहाई के लिए जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार की अगुआई में छात्रों ने संसद की तरफ मार्च किया। मार्च के दौरान कन्हैया ने भाषण दिया, जिसका कुछ लोगों ने विरोध किया। पुलिस ने चारों को हिरासत में ले लिया है। कन्हैया ने कहा कि अगर आप देशभक्त हैं तो आपका बच्चा भी देशभक्त होगा। कुछ लोग आए हैं जिनका काम है देश में अराजकता पैदा करना। ये लोग संसद में भी अराजकता पैदा कर रहे हैं।

जिस तरीके से जेएनयू में हमला किया है, अलीगढ़ में हमला किया है, ये लोकतंत्र पर हमला है। इसे हम बर्दाश्त नही करेंगे। जेएनयू से निकाले जाने के मामले पर कन्हैया ने कहा है कि उन्हें विश्वविद्यालय से निकाले जाने का कोई नोटिस नहीं मिला है। रैली को लेखिका अरुंधती रॉय ने भी संबोधित किया।

‘मार्च फॉर जस्टिस एंड डेमोक्रेसी’ के नाम से सड़क पर उतरे लोगों के बीच अरुंधति रॉय ने कहा, ‘विडंबना देखिए कि सरकार बोलने वालों को राष्ट्रद्रोही करार दे रही है। सेना को अपने ही लोगों के खिलाफ तैनात किया जा रहा है। देश की चुनी हुई सरकार ने मुसलमानों के खिलाफ जंग छेड़ दी है। हम लड़ेंगें, इस जंग को जीतेंगे।

अरुंधति ने अनिर्बान, खालिद उमर और प्रोफेसर गिलानी को रिहा करने की मांग की। इससे पहले जेएनयू छात्र संघ की उपाध्यक्ष शहला राशिद शोरा ने कहा कि बंगलुरु और हैदराबाद में भी इसी तरह के होने वाले प्रदर्शन में जेएनयू समर्थन में जाएगा क्योंकि वे जेएनयू के लिए दिल्ली आए हैं। उमर और अनिर्बान की रिहाई की मांग के अलावा मंडी हाउस से संसद मार्ग तक के इस प्रदर्शन में ‘स्मृति हटाओ’ के नारे लगे।