गुरुवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव के दौरान जमकर हंगामा हुआ। इस दौरान बीजेपी के राज्यसभा सदस्य और केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस पार्टी पर जमकर हमला बोला। ज्योतिरादित्य सिंधिया लंबे समय तक कांग्रेस में रहे हैं। गुरुवार को जब वो बोल रहे थे, तब सोनिया गांधी लोकसभा में ही मौजूद थीं। उनके भाषण के दौरान कांग्रेस पार्टी के सदस्यों ने रोक-टोक की कोशिश लेकिन सिंधिया लगातार तीखे शब्दबाण छोड़ते रहे।

उन्होंने कहा कि ये जो दृश्य इस प्रजातंत्र के मंदिर में हम देख रहे हैं, जिस प्रजातंत्र के मंदिर में इस देश की संस्कृति, इस देश का सद्भाव, इस देश की विचारधारा निर्मित की जाती है, देश की 140 करोड़ जनता अपनी प्रेरणा लेती है, उस प्रजातंत्र के मंदिर में न देश की चिंता है, न पीएम के पद की चिंता है, न राष्ट्रपति के पद की चिंता है, इनको तो केवल अपनी हैसियत की चिंता है।

ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, “मुझे 20 साल हो गए हैं संसद में लेकिन ऐसा दृश्य मैंने आजतक नहीं देखा है। पीएम के लिए जो शब्द का इस्तेमाल किया गया है, उसके लिए इन्हें देश की जनता से माफी मांगनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि ये बोलने के लिए तैयार हो जाते हैं लेकिन सुनने के लिए तैयार नहीं होते। आज जो स्थिति उत्पन्न हुई है… अविश्वास प्रस्ताव लाया गया, ये मणिपुर की आड़ में अपनी रोटियां सेंकने के लिए आज यहां उपस्थित हुए हैं।

सिंधिया ने कांग्रेस के लिए कहा कि ये वो बादल हैं, जो गरजना चाहते हैं लेकिन बरसते नहीं, ये चर्चा में रहना चाहते हैं लेकिन चर्चा सुनना नहीं चाहते। हमारे देश के पीएम ने सदन के बाहर मणिपुर पर संवेदनशीलता से बयान दिया लेकिन इनका हठ है बयान सदन के अंदर दें। इन्होंने गृहमंत्री की भी बात नहीं सुनी और 17 दिन सदन को मजबूर किया। उन्होंने आगे कहा कि 1993 में जब मणिपुर की जातीय हिंसा में 750 लोगों की जान गई थी, तब तत्कालीन पीएम नरसिम्हा राव जी ने सदन के अंदर मौन व्रत क्यों धारण किया था। 2011 में मणिपुर में 111 दिन ब्लॉकेड चला, जातीय हिंसा हुई… तब उस समय मनमोहन सिंह ने सदन के अंदर मौनव्रत क्यों धारण किया था। इसके ये उत्तर दें।

I.N.D.I.A. पर बोला हमला

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि I.N.D.I.A. समूह में एक प्रोफेसर हैं, जो सिद्धांतों की बात करते हैं, मूल्यों की बात करते हैं लेकिन प्रतिधिनित्व ऐसे दल का करते हैं जिन्होंने भ्रष्टाचार के नए कीर्तिमान रचे। इस समूह में एक ऐसे दल की नेत्री है जो समझती है कि कश्मीर को भारत के साथ जोड़ना एक भूल है। विपक्ष को अपने अविश्वास प्रस्ताव पर खुद ही विश्वास नहीं है। ये लोग सत्ता के लालच में एक-दूसरे के विरोधी होकर साथ में आ रहे हैं। ये संविधान बचाने की बात करते हैं, ये पहले अपना ईमान बचाने का उत्तर जनता को दें। बड़ी विचित्र स्थिति है, जिनके दिल नहीं मिलते वो दल मिल चुके हैं।

मणिपुर को लॉन्चपैड बनाना चाहती है कांग्रेस

उन्होंने कहा कि मणिपुर की घटना का उपयोग करके ये अपना लॉन्चपैड बनाने की कोशिश कर रहे हैं। मणिपुर की घटना घोर निंदनीय है। इसपर राजनीति नहीं होनी चाहिए। 1964 में बंगाल के दंग के समय में ये मौन क्यों थे। साल 1984 के सिख दंगों के समय में ये मौन क्यों थे। मेरठ के सन 1987 के दंगों के समय ये मौन क्यों थे। कश्मीर में जो 40 हजार लोगों की मौत हुई, तब ये मौन क्यों थे। आज यहां बैठकर गौरव गोगोई ने असम समझौते की बात की, उसका क्रियान्वयन कांग्रेस ने कभी किया। बांग्लादेश के साथ 68 साल में सीमा को निर्धारित नहीं किया था। पीएम मोदी ने ये एक साल में किया। कांग्रेस की तुष्टिकरण की राजनीति की वजह से उत्तर पूर्व की समस्या की शुरुआत हुई।

राहुल गांधी का नाम लेकर बोला सीधा हमला

अपने भाषण के दौरान ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा कि कल राहुल गांधी ने कहा था, “प्रधानमंत्री मणिपुर को भारत का हिस्सा नहीं मानते। मैं बताना चाहुंगा कि प्रधानमंत्री ने उत्तर-पूर्व को विश्व के साथ जोड़ने का काम किया है… भारत को अलग-अलग टुकड़ों में देखने की विचारधारा आपकी है, हमारी नहीं।” उन्होंने कहा, “वे कहते हैं नफरत की दुकान में मोहब्बत की दुकान लाएंगे। इनकी दुकान भ्रष्टाचार, झूठ, तुष्टिकरण, अहंकार की दुकान है। यह केवल दुकान का नाम बदलते हैं लेकिन सामान वही रहेता है।”