टेरर फंडिंग के मामले में सजायाफ्ता और कश्मीर के अलगाववादी नेता यासीन मलिक को NIA फांसी पर लटकाना चाहती है। एजेंसी ने दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका के जरिये ये मांग रखी तो अदालत ने यासीन को कोर्ट में पेश करने का आदेश सुनाया। लेकिन कोर्ट का ये आदेश देखने के बाद तिहाड़ जेल अथॉरिटी के होश उड़ गए। जेल के बड़े अफसरों ने अपनी आशंका से हाईकोर्ट को अवगत कराया।

जेल अथॉरिटी की आशंका पर हाईकोर्ट ने नजर डाली तो उनको लगा कि यासीन को कोर्ट में तलब करना ठीक नहीं रहेगा। जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनीस दयाल की बेंच ने यासीन को कोर्ट में पेश करने के लिए प्रोडक्शन वारंट भी जारी कर दिया था। लेकिन तिहाड़ प्रशासन की बात को सुनने के बाद डबल बेंच ने तुरंत अपने आदेश को फिर से मॉडीफाई किया। कहा कि पेशी वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये कराई जाए। आज यानि 9 अगस्त बुधवार को NIA की याचिका पर सुनवाई की गई तो यासीन पेश हुआ। लेकिन वीडियो लिंक के जरिये। हालांकि मामले की सुनवाई आज नहीं की जा सकी, क्योंकि जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और जस्टिस अनीस दयाल की बेंच आज उपलब्ध नहीं थी। अब सुनवाई आगे की तारीख में होगी।

सुप्रीम कोर्ट में भी पहुंच गया था यासीन, SG ने लिखनी पड़ी थी गृह सचिव को चिट्ठी

याद रहे कि कुछ अरसा पहले सुप्रीम कोर्ट में एक मामले की सुनवाई के दौरान यासीन मलिक अचानक जस्टिस के सामने पहुंच गया था। उससे जुड़े एक मामले की सुनवाई होनी थी। जस्टिस ने यासीन को देखा तो वो हत्थे से उखड़ गए। उस दौरान उनकी कोर्ट में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता भी मौजूद थे। जस्टिस ने उनको भी फटकार लगाई। उसके बाद मेहता ने केंद्रीय गृह सचिव को चिट्ठी लिख पेशी वीडियो लिंक के जरिये करने को कहा।

NIA कोर्ट ने दी थी यासीन को उम्र कैद, कहा था- फांसी के लिए फिट केस नहीं

यासीन मलिक को बीते साल NIA कोर्ट के स्पेशल जज प्रवीन कुमार ने टेरर फंडिंग के केस में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। जज ने अपने फैसले में कहा था कि यासीन का केस सुप्रीम कोर्ट की गाइड लाइन के मुताबिक रेयर ऑफ रेयरेस्ट की कैटेगरी में नहीं आता। लिहाजा उसे फांसी नहीं दी जा सकती। खास बात है कि यासीन ने भी अपने ऊपर लगे आरोपों को सहज ही मान लिया। NIA का कहना है कि उसे फांसी दी जानी चाहिए, क्योंकि उसकी वजह से सूबे में आतंकवाद फैला और बहुत से युवा इस राह पर चल निकले। उसे फांसी की सजा देना ही सटीक फैसला होगा।