जम्मू और कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और PDP चीफ महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को बड़ा दावा किया। उनका कहना है कि उन्हें फिर से अवैध हिरासत में रखा गया। मुफ्ती का यह आरोप ठीक उस दिन आया, जिस दिन किसानों ने तीन कृषि बिलों के खिलाफ ‘भारत बंद’ बुलाया हुआ था।
मुफ्ती ने अपनी अवैध हिरासत को लेकर दो वीडियो भी माइक्रो ब्लॉगिंग साइट टि्वटर के जरिए शेयर किए, जिनमें वह खुद नजर आ रही थीं।
मुफ्ती की ओर से कहा गया, “किसी भी तरह के विपक्ष की किसी आवाज को दबाने के लिए अवैध तरीके से हिसारत में लोगों को रखना भारत सरकार का पसंदीदा तरीका बन चुका है। मैं फिर से अवैध रूप से हिरासत में रखी गई हूं, क्योंकि मैं बडगाम जाना चाहती थी, जहां पर सैकड़ों परिवारों को उनके घरों से निकाल दिया गया था।”
बकौल पीडीपी अध्यक्ष, “भारत सरकार लगातार जम्मू और कश्मीर के लोगों पर बिना कोई सवाल पूछे उत्पीड़न और ज़ुल्म जारी रखना चाहती है।”
Illegal detention has become GOIs favourite go to method for muzzling any form of opposition. Ive been detained once again because I wanted to visit Budgam where hundreds of families were evicted from their homes. pic.twitter.com/HFQHJHPAzQ
— Mehbooba Mufti (@MehboobaMufti) December 8, 2020
अंग्रेजी न्यूज वेबसाइट The Wire को महबूबा ने बताया कि प्रशासन ने कड़ाके की ठंड में कई परिवारों को बेघर कर दिया है, जिनमें 108 साल की बुजुर्ग महिला तक शामिल हैं। वह उन्हीं से मिलने जाना चाहती थीं। यही वजह थी कि उन्होंने घर से निकलने की कोशिश की, पर उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी गई।
दरअसल, मुफ्ती का बयान वन विभाग अफसरों के उस ऐक्शन के संदर्भ में था, जिसमें विभाग बडगाम में सेब के पेड़ काटने वाला है। हालांकि, Greater Kashmir ने अधिकारियों के हवाले से बकाया कि बड़े स्तर पर वन विभाग की जमीन को स्थानीय लोगों ने अवैध रूप से कब्जा लिया था, जिसमें पारंपरिक कश्मीरी बोलने वाले लोग भी शामिल हैं और अनुसूचित जनजाति के गुर्जर भी हैं।