असम के बारपेटा जिले के एक कोर्ट ने गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी को एक महिला पुलिस अधिकारी पर कथित ‘‘हमले’’ से जुड़े एक केस में शुक्रवार (29 अप्रैल, 2022) को बेल दे दी। अदालत ने इस दौरान ‘‘झूठी एफआईआर” दर्ज करने को लेकर राज्य पुलिस की खिंचाई भी की।

बारपेटा जिला और सत्र न्यायाधीश अपरेश चक्रवर्ती ने बेल पीटिशन (याचिका) पर सुनवाई करते पिछले एक साल में पुलिस मुठभेड़ों का उल्लेख किया। साथ ही गोहाटी उच्च न्यायालय से आग्रह किया कि वह राज्य पुलिस बल को ‘‘खुद में सुधार’’ करने का निर्देश दें।

कोर्ट के मुताबिक, दो अन्य पुलिस अधिकारियों की मौजूदगी में महिला पुलिस अधिकारी का शील भंग करने की मंशा का आरोप आरोपी के खिलाफ नहीं लगाया जा सकता, जब वह उनकी हिरासत में था और जिसे किसी और ने नहीं देखा।

जज ने कहा कि उच्च न्यायालय असम पुलिस को ‘‘मौजूदा मामले की तरह झूठी प्राथमिकी दर्ज करने और आरोपियों को गोली मारने और मारने या घायल करने वाले पुलिस कर्मियों को रोकने के लिए खुद में सुधार करने का निर्देश देने पर विचार कर सकता है, जो राज्य में एक नियमित घटना बन गई है।’’

आगे आदेश में कहा गया है कि उच्च न्यायालय कानून और व्यवस्था की ड्यूटी में लगे हर पुलिस कर्मी को ‘‘बॉडी कैमरा पहनने, किसी आरोपी को गिरफ्तार करते समय या किसी आरोपी को सामान या अन्य कारणों से किसी स्थान पर ले जाने के दौरान वाहनों में सीसीटीवी कैमरे लगाने, सभी पुलिस थानों के अंदर सीसीटीवी कैमरे लगाने का निर्देश देने पर भी विचार कर सकता है।’’ इसमें यह भी कहा गया, ‘‘वरना हमारा राज्य एक पुलिस राज्य (पुलिस स्टेट) बन जाएगा जिसे समाज बर्दाश्त नहीं कर सकता।’’

कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि इस आदेश को कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को पेश किया जाए ताकि इसे चीफ जस्टिस के सामने रखा जाए और वह इस पहलू पर गौर करें और इस बात पर विचार करें कि क्या इस मामले को ‘‘राज्य में जारी पुलिस ज्यादतियों पर रोक लगाने के लिए एक जनहित याचिका (पीआईएल) के रूप में लिया जा सकता है।’’

बारपेटा रोड पुलिस थाने में दर्ज मामले में जिग्नेश मेवानी को एक हजार रुपये के निजी मुचलके पर जमानत दी गई। दरअसल, मेवानी को महिला पुलिस अधिकारी पर कथित रूप से उस समय हमला करने के आरोप में सोमवार को गिरफ्तार किया गया था, जब उन्हें एक पुलिस दल द्वारा गुवाहाटी से कोकराझार ले लाया जा रहा था।

बता दें कि कांग्रेस समर्थित गुजरात के निर्दलीय विधायक जिग्नेश मेवानी को पिछले सप्ताह असम पुलिस के एक दल ने गुजरात से पकड़ा था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर कथित रूप से किये गए एक ट्वीट के लिए उनके खिलाफ एक मामले में गिरफ्तार किया था जिसमें उन्होंने दावा किया था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ‘‘गोडसे को भगवान मानते हैं।’’

चिदंबरम का असम के सीएम पर निशानाः वहीं, सीनियर कांग्रेसी नेता पी. चिदंबरम ने गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी के खिलाफ ”झूठी एफआईआर” दर्ज कराने को लेकर असम पुलिस को राज्य की अदालत की फटकार लगने के बाद शनिवार को मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा पर निशाना साधा। चिदंबरम ने पूछा कि क्या मुख्यमंत्री सीबीआई को यह पता लगाने की जिम्मेदारी देंगे कि किस ”सनकी व्यक्ति” ने मामले में प्राथमिकी दर्ज कराई।