जम्मू-कश्मीर में लागू ‘अनुच्छेद 370’ को लेकर बिहार में भाजपा की सहयोगी पार्टी जदयू ने दो टूक सुना दी है। जदयू का कहना है कि वह अनुच्छेद 370 पर समझौता नहीं कर सकती है। जदयू के महासचिव केसी त्यागी ने कहा, “जब कांग्रेस ने अनुच्छेद 370 पर निशाना साधते हुए इसे समाप्त करने की कोशिश की थी, तब जयप्रकाश नारायण इसका समर्थन करने वाले एक मात्र नेता थे। हम जयप्रकाश के वंशज हैं। यह हमारी जिम्मेदारी है कि हम अपने पूर्वजों द्वारा उठाए गए सवालों को आगे बढ़ाएं। इसलिए इस मुद्दे पर किसी तरह का समझौता नहीं हो सकता है।”

जदयू की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक रविवार को हुई। बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार सहित कई वरिष्ठ नेता शामिल हुए। बैठक के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बनने पर सफाई देते हुए पार्टी महासचिव केसी त्यागी ने कहा, “जदयू की तरफ से केंद्र में मंत्री बनने के लिए किसी के लिए नाम नहीं दिया गया था। अमित शाह ने कहा था कि हमें पूर्ण बहुमत है। इसके बावजूद सभी सहयोगी पार्टियों को सांकेतिक भागीदारी दी जाएगी। तब नीतीश जी ने साफ तौर पर सांकेतिक भागीदारी से मना कर दिया था। अमित शाह ने 30 मई को भी फोन कर कहा था कि जदयू केंद्रीय मंत्रिमंडल का हिस्सा बने, लेकिन मना कर दिया गया। पिछली बार भी हमने बिना मंत्री के केंद्र सरकार में समर्थन दिया था। इस सरकार को भी हमारा बाहर से समर्थन जारी रहेगा। 171 सभाएं नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के लिए की।”

दरअसल, जदयू का यह कदम अपने सहयोगी पार्टी भाजपा के रूख के विपरीत है। भाजपा ने लोकसभा चुनाव 2019  के दौरान अपने घोषणापत्र में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और धारा 35 ए को हटाने की कोशिश करने की बात कही है। भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में कहा था, “पिछले पांच वर्षां में जम्मू-कश्मीर में शांति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक प्रयास किए गए। हम जनसंघ के समय से अनुच्छेद 370 के बारे में अपने दृष्टिकोण को दोहराते हैं। हम धारा 35ए को भी खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हमारा मानना है कि धारा 35 ए जम्मू-कश्मीर के गैर-स्थायी निवासियों और महिलाओं के खिलाफ भेदभावपूर्ण है। यह जम्मू-कश्मीर के विकास में भी बाधा है। हम राज्य में शांतिपूर्ण वातावरण कायम करने के लिए सभी कदम उठाएंगे।”