पहले संसद में सवा दो घंटे लंबी प्रधानमंत्री की ‘गारंटी’ कि हम चौबीस में फिर आ रहे हैं। फिर पंद्रह अगस्त के दिन लाल किले से नब्बे मिनट की गारंटी पर गारंटी। संबोधन को व्यक्तिगत स्पर्श दिया। ‘मेरे प्यारे देशवासियों’ कम बोला और ‘मेरे प्रिय परिवारजनों’ चालीस बार बोला। लाल किले से अपने लंबे संबोधन में पीएम ने पहले अपनी सरकार की अब तक की उपलब्धियों की लंबी सूची गिनाई। मणिपुर को ‘जिगर का टुकड़ा’ कहा और तीन बुराइयों- ‘भ्रष्टाचार, परिवारवाद और तुष्टीकरण’ से जंग का एलान किया। फिर अगले पचास साल का ‘छेता’ भी निकाल दिया कि 2047 में आजादी की शताब्दी मनाते वक्त तक भारत एक विकसित देश बन जाएगा!
फिर आया दिग्विजय सिंह का चौंकाने वाला कथन कि सत्ता में आए तो बजरंग दल पर प्रतिबंध नहीं लगाएंगे।… बजरंग दल में भी कुछ भले लोग… हाय रे हृदय परिवर्तन! जैसे जैसे चुनाव निकट आते हैं, बिना आपरेशन बड़े-बड़ों के ‘हृदय परिवर्तित’ होते दिखते हैं! फिर आई ‘नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी’ की जगह ‘प्रधानमंत्री मेमोरियल’ लिखे जाने की खबर, लेकिन किसी बड़ी हाय-हाय की जगह एक छोटी सी ‘आह’ आई, वह भी कुछ चैनलों पर एक लाइन बनकर कि इतिहास को इस तरह से नहीं मिटाया जा सकता।…
पीएम मोदी ने बोला- 2024 में फिर आपको अपनी उपलब्धियां गिनाऊंगा
यह था प्रधानमंत्री का ‘आम जनता’ के साथ सीधा संपर्क, सीधा जुड़ाव। फिर इस सतहत्तरवें स्वतंत्रता समारोह में लाल किले के परिसर में आमंत्रित मेहनतकशों के साथ भावुक स्वर में सीधा जुड़ाव किया कि आप यहां जो बैठे हैं, मैं भी आपके बीच से आया हूं।… 2024 में फिर आपको अपनी उपलब्धियां गिनाऊंगा।…
फिर एक कविता सुनाई कि कालचक्र कालचक्र सबके सपने अपने सपने पनपें सपने सारे…
इसे कहते हैं, विपक्ष के जले पर नमक छिड़कना!
बताइए, विपक्ष क्षुब्ध न हो तो क्या बधाए गाए?
एक बहस में एक विपक्षी प्रवक्ता क्षुब्ध स्वर में कोसता रहा: ये लंबी छोड़ते हैं।… कई मुद्दों पर झूठ बोल गए।…जब एक बहस में एक विपक्षी पत्रकार ने आक्षेप किया कि मणिपुर जल रहा है, वे एक शब्द नहीं बोले… लोकतंत्र खतरे में है, इदालत तक ने अविश्वास-सा दिया है।… और अजीब कि उनको किसी ने न टोका कि ये कौन-सा ‘अविश्वास’ भाई। एक जो था वो संसद में गिर चुका है।
इन दिनों कई चैनलों की बहसों में असंतुलन दिखता है। कई बार बहसों में एक ओर भाजपा का एक प्रवक्ता रहता है, तो दूसरी ओर ‘आइएनडीआइए’ के तीन-चार प्रवक्ता रहते हैं और एंकर उनकी डांट खाता रह जाता है कि तुम दलाल, तुम्हारा चैनल दलाल।…
फिर एक दिन ऐसा भी आया जब सबको चकित करने वाली एक से एक ‘विरोधाभासी’ बाइटें खबरें बनती रहीं और चर्चाओं में छाई रहीं। इस क्रम में पहली खबर, कैंब्रिज विश्वविद्यालय में मोरारी बापू की रामकथा के आयोजन की रही, जिसमें शामिल होने पहुंचे ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक ने सबको चकित किया। उन्होंने आते ही सहज प्रसन्न भाव से सबको ‘जय सियाराम’ कहा और कहा कि मैं यहां पीएम की जगह एक हिंदू की तरह आया हूं।… कि हिंदू धर्म मुझे अच्छे कार्यों की प्रेरणा देता है।…
और फिर मोरारी बापू का उनको अपनी ‘काली कमली’ ओढ़ाना और फिर आशीर्वाद देना, बेहद मुग्धकारी दृश्य रहा।
फिर आया जेएनयू की पूर्व क्रांतिकारी छात्रा नेता शेहला राशिद का यह बयान कि भाजपा के शासन में कश्मीर में मानवाधिकार का स्तर बेहतर है।… और इसी के साथ पूर्व आलोचक शाह फैजल का बयान कि अनुच्छेद तीन सौ सत्तर मेरे लिए अब अतीत की बात है।… हे प्रभु, यह इनका सचमुच का हृदय परिवर्तन है कि अवसरवाद?
फिर आई एक लाइन की हिलाने वाली खबर कि कांग्रेस दिल्ली की सातों सीट पर लड़ेगी… चैनल लगाने लगे लाइन पर लाइन कि ‘आइएनडीआइए’ गंठबधन में दरार! मगर जल्दी ही इस लाइन का आधिकारिक खंडन आया कि जिस कार्यकर्ता ने यह लाइन दी, कांग्रेस का उससे कोई लेना देना नहीं!
फिर अचानक शरद पवार, अजित पवार के ‘बार-बार मिलन’ की भ्रम फैलाती खबरें आती रहीं। एक खबर यह तक कहती रही कि भाजपा चाहती है कि वे एनडीए में आएं। इसकी प्रतिक्रिया में शरद पवार ने भाजपा की ‘आलोचना’ करके उस ‘भ्रम’ को दूर करना चाहा, लेकिन ‘भ्रम’ बना ही रहा! कि इसी दिन अचानक कांग्रेस के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद का ‘हिंदू गोला’ गिरा, जो बहुत कुछ हिला गया।
वे बोले कि छह हजार बरस पहले हम कहां थे… इस्लाम डेढ़ हजार बरस पहले आया है… यहां के नब्बे फीसद लोग धर्मांतरण करके मुसलमान बने हैं।… हिंदूू धर्म इस्लाम से पहले का धर्म है… हिंदू धर्म सबसे पुराना धर्म है… कश्मीरी पंडित कश्मीर के मूलवासी हैं… इसके बाद तो वही हुआ जो हो सकता था: आजाद के विपक्षियों ने आजाद को जमकर कोसा कि वे भाजपा की ‘बी टीम’ हैं, कि वे संघ की लिखी पटकथा बोल रहे हैं।…
ऐसे ही एक दिन एक रैली में कांग्रेसी नेता सुरजेवाला ने भाजपा को वोट देने वाली जनता को ‘राक्षसी प्रवृत्ति वाली’ कहकर अपनी और अपनी पार्टी की आफत बुला ली! बहसों और बयानों में भाजपा के प्रवक्ताओं ने कांग्रेस को जम कर ठोका। कहते रहे कि जिस जनता को जनता जनार्दन कहा जाता है, उसे सुरजेवाला राक्षस बता रहे हैं।… देखते-देखते सुरजेवाला पर दर्जनों ‘एफआइआर’ हो गईं। रक्षात्मक बनी कांग्रेस कहती रही कि उन्होंने ‘प्रवृत्ति’ की बात की है, जनता को ‘राक्षस’ नहीं कहा है। लेकिन कई चैनल इसे कांग्रेस के ‘सेल्फगोल’ की तरह ही बताते रहे!