भारत सरकार द्वारा जम्मू कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाने के बाद पाकिस्तान इससे बुरी तरह बौखला गया है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय से जम्मू कश्मीर के मसले पर दखल देने की अपील की है। हालांकि इस मामले में पाकिस्तान को अभी तक कोई मदद नहीं मिली है और हमारा पड़ोसी देश इससे थोड़ा असहाय नजर आ रहा है। बता दें कि पाकिस्तान में यूएन में भी जम्मू कश्मीर का मुद्दा उठाया। हालांकि यहां भी उसे निराशा ही हाथ लगी है।

दरअसल यूएन में भारत को पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के एक मास्टरस्ट्रोक का फायदा मिल रहा है, जो कि उन्होंने शिमला समझौते के तहत चला था। दरअसल यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि ‘दोनों पड़ोसियों को इस मामले में संयम बरतना चाहिए और किसी भी तरह की कार्रवाई जम्मू कश्मीर के स्टेटस को प्रभावित कर सकती है।’ बता दें कि यूएन में पाकिस्तान की उच्चायुक्त मलीहा लोधी ने यूएन से जम्मू कश्मीर के मसले में दखल देने की अपील की थी।

इस पर यूएन के महासचिव एंटोनियो गुटेरेस के प्रवक्ता स्टीफेन जैरिक ने एक बयान में कहा कि “महासचिव ने 1972 में हुए शिमला समझौते का उल्लेख किया है जिसमें कहा गया है कि जम्मू कश्मीर मसले का हल द्विपक्षीय और शांतिपूर्ण तरीके से होगा।” यूएन ने पाकिस्तान के प्रस्ताव को खारिज करते हुए कहा कि वह भारतीय कश्मीर में प्रतिबंध को लेकर चिंतित है। यूएन ने चेतावनी दी है कि इस क्षेत्र में किसी भी तरह की कार्रवाई मानवाधिकारों के लिए खतरनाक हो सकती है।

उल्लेखनीय है कि इससे पहले अमेरिका के विदेश विभाग के दो सदस्यों ने भी एक बयान जारी कर पाकिस्तान से जम्मू कश्मीर के मसले पर संयम बरतने को कहा था और उसकी सरजमीं पर चलने वाले आतंकी गुटों के खिलाफ कार्रवाई करने की नसीहत दी थी।

शिमला समझौताः बता दें कि साल 1971 में भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध हुआ था। जिसमें भारत ने पाकिस्तान के 90 हजार से ज्यादा सैनिकों को बंदी बना लिया था। इसके बाद बंदी सैनिकों को छुड़ाने और दोनों देशों के बीच संबंध बेहतर करने के उद्देश्य से 2 जुलाई, 1972 को शिमला समझौता हुआ था। इस समझौते पर तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति जुल्फिकार अली भुट्टो ने हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत कई ऐसे प्रावधान किए गए, जिससे दोनों देशों के बीच संबंध युद्ध के बाद बेहतर हुए।

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इस समझौते में जम्मू कश्मीर मसले के हवाले से यह अहम समझौता हुआ कि यह मसला द्विपक्षीय तरीके से ही सुलझाया जाएगा। इसके साथ ही यदि जम्मू कश्मीर समस्या का निपटारा नहीं होता है तो दोनों पक्षों में से कोई बी स्थिति में बदलाव की एकतरफा कोशिश नहीं करेगा। अब यूएन महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी उसी शिमला समझौते का हवाला दिया है।

बता दें कि पाकिस्तान ने भारत के उच्चायुक्त को वापस भेज दिया है और भारत के साथ कूटनीतिक संबंधों को भी डाउनग्रेड किया है। पाकिस्तान ने दोनों देशों के बीच चलने वाली समझौता एक्सप्रेस को भी रद्द कर दिया है।