जम्मू-कश्मीर के कुलगाम के एक गांव में आज सुबह राइफलमैन शाकिर मंजूर का क्षत-विक्षत शव मिला। पिछले साल 2 अगस्त से सेना का यह जवान लापता था। उसे शोपियां जिले के आतंकवादियों द्वारा अपहरण, प्रताड़ित और मार दिया गया था। शाकिर मंजूर के पिता मंजूर अहमद वागे ने बताया कि उसने शव की पहचान उसके पैरों, बाल और ब्रेसलेट से की।

शव स्थानीय लोगों को मिला जिन्होंने पुलिस को सूचना दी। शव की खबर 56 वर्षीय मंजूर अहमद वागे को भी भेजी गई। वह अपने बेटे को खोज रहे थे। गौरतलब है कि वागे को अपहरण के कुछ दिनों बाद अपने बेटे के खून से लथपथ कपड़े मिले थे। मंजूर को पिछले साल से लापता घोषित किया गया था। शाकिर मंजूर अपने परिवार के साथ ईद मनाने घर आया था। वह अपने शिविर में वापस जाते समय लापता हो गया। अगले दिन पुलिस को उसकी जली हुई कार मिली। कुछ दिनों बाद उसके खून से लथपथ कपड़े एक सेब के बाग में मिले।

उधर, जम्मू कश्मीर में दो पुलिस कर्मियों सहित छह सरकारी कर्मचारियों को आतंकवादियों से लिंक को लेकर बुधवार को बर्खास्त कर दिया गया। इससे पहले सेवा से बर्खास्त किए गए लोगों में पाकिस्तान स्थित हिजबुल मुजाहिदीन प्रमुख सैयद सलाहुद्दीन के दो बेटे व दागी डीएसपी दविन्दर सिंह शामिल थे। डीएसपी को एक वांछित आतंकवादी और दो अन्य के साथ पकड़ा गया था।

बर्खास्त किया गया कांस्टेबल शौकत अहमद खान श्रीनगर में विधान परिषद के एक सदस्य के घर से सरकारी हथियारों की लूट में शामिल था। किश्तवाड़ के निवासी पुलिस कांस्टेबल जफर हुसैन बट को पुलिस ने हाल ही में गिरफ्तार किया था। अनंतनाग के बिजबेहरा का अब्दुल हामिद वानी शिक्षक के तौर पर कार्यरत था। सरकारी सेवा में आने से पहले वानी आतंकवादी समूह अल्लाह टाइगर्स का जिला कमांडर था।

मोहम्मद रफी बट पर किश्तवाड़ में हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को साजो-सामान मुहैया कराने तथा आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने में मदद करने का आरोप है। जबकि बारामूला निवासी लियाकत अली काकरू को 2001 में गिरफ्तार किया गया था। जांच से पता चला था कि वह स्थानीय स्तर पर प्रशिक्षित आतंकवादी था। पुंछ निवासी और वन विभाग में रेंज अधिकारी के रूप में कार्यरत तारिक महमूद कोहली को तस्करी में शामिल होने के आरोप में बर्खास्त किया गया।