1- कोरोना महामारी के बीच होने वाला यह पहला विधानसभा चुनाव है। नतीजों में कोरोना महामारी को लेकर सरकार-प्रशासन के इंतजाम का असर दिख सकता है।
2- नीतीश सरकार 15 साल से सत्ता में है। सत्ता विरोधी लहर से पार पाना उनके लिए चुनौती हो सकती है।
3- बिहार के अस्थायी शिक्षकों में समान काम-समान वेतन नहीं देने को लेकर गुस्सा है। बेरोजगारी, शिक्षा और स्वास्थ्य के अलावा प्रवासी मजदूरों का मुद्दा भी इन चुनावों में जोर-शोर से उठाया जा रहा है।
4- लाखों की संख्या में प्रवासी मजदूर कोरोना की वजह से प्रदेश में लौटे हैं। लौटते हुए हुई परेशानियां और लौटने के बाद उनके पास काम-धंधा नहीं होना- उनकी चुप्पी की प्रतिक्रिया सामने आ सकती है।
5- सीएए-एनआरसी का विरोध, 370 हटाया जाना, नए कृषि बिल का विरोध – राजग के दूसरे कार्यकाल में केंद्र सरकार के लिए इन तमाम विवादित फैसलों को जनता कैसे देख रही है, इसका असर भी चुनाव में देखने को मिलेगा।
6- जेपी नड्डा के भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद यह दूसरा विधानसभा चुनाव है। इससे पहले दिल्ली में चुनाव हुए थे, जिसमें भाजपा को हार का सामना करना पड़ा था।
सत्ता समर: ऐ भाई…राजनीतिक घमासान के मुद्दे क्या-क्या
नीतीश सरकार 15 साल से सत्ता में है। सत्ता विरोधी लहर से पार पाना उनके लिए चुनौती हो सकती है।
Written by जनसत्ता

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First published on: 21-10-2020 at 04:00 IST