US Director of National Intelligence Tulsi Gabbard: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड का बड़ा बयान सामने आया है। गबार्ड ने कहा कि भीषण इस्लामी आतंकवादी हमले के मद्देनजर भारत के साथ एकजुटता से खड़े हैं।
अमेरिकी राष्ट्रीय खुफिया निदेशक तुलसी गबार्ड ने एक पोस्ट में लिखा कि हम पहलगाम में 26 हिंदुओं को निशाना बनाकर किए गए भीषण इस्लामी आतंकवादी हमले के मद्देनजर भारत के साथ एकजुटता से खड़े हैं। मेरी प्रार्थनाएं और गहरी संवेदनाएं उन लोगों के साथ हैं जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया है।
तुलसी गबार्ड ने आगे लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भारत के सभी लोगों के साथ हैं। हम आपके साथ हैं और इस जघन्य हमले के लिए जिम्मेदार लोगों को पकड़ने में आपका समर्थन करते हैं।
पहलगाम आतंकी हमला क्या है?
जम्मू-कश्मीर आतंकी हमले से पूरा देश दहल गया। पहलगाम में मंगलवार दोपहर को बड़ा आतंकी हमला (Pahalgam Terrorist Attack) हुआ था। इस हमले के बाद वहां चीख पुकार मच गई थी। कोई रो-चीख रहा था तो कोई बेसुध पड़ा था। 2019 में पुलवामा में हुए हमले के बाद घाटी में ये सबसे बड़ा हमला है। हथियारबंद आतंकियों ने पहलगाम शहर से करीब लगभग छह किलोमीटर दूर बैसरन घाटी में घुसे और आसपास घूम रहे, घुड़सवारी कर रहे और पिकनिक मना रहे पर्यटकों पर गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षा एजेंसियों के मुताबिक, इस आतंकी हमले में 26 लोग मारे गए। जबकि कई घायल हुए। वहीं इस हमले की जानकारी मिलते ही पीएम मोदी अपना सऊदी दौरा बीच में छोड़ दिल्ली वापस लौट आए थे। जिसके भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच तनाव बना हुआ है। और दोनों देश एक-दूसरे के खिलाफ एक्शन लेने में लगे हैं। भारत ने जहां सिंधु समझौता रद्द कर दिया है तो वहीं पाकिस्तान ने शिमला समझौता को रद्द कर दिया है।
कौन हैं तुलसी गबार्ड?
साल 1981 में अमेरिकी समोआ में तुलसी का जन्म माइक गबार्ड और कैरल गबार्ड के घर पर हुआ। वह गबार्ड दंपती की पांच संतानों में से एक हैं।
1983 में जब गबार्ड दो साल की थीं तो उनका परिवार अमेरिका के हवाई राज्य में आकर बस गया था। हवाई में आने के बाद उनकी मां कैरल ने हिन्दू धर्म अपना लिया जबकि उनके पिता रोमन कैथोलिक ईसाई थे। हिन्दू धर्म के प्रभाव के कारण ही कैरल ने अपने बच्चों के हिन्दू नाम रखे। तुलसी गबार्ड ख़ुद को हिन्दू बताती हैं, लेकिन वो भारतीय मूल की नहीं हैं।
तुलसी के पिता पहले रिपब्लिकन पार्टी (2004-2007) और फिर साल 2007 से डेमोक्रेटिक पार्टी से जुड़े हैं। साल 2013 में तुलसी पहली बार हवाई राज्य से सांसद चुनी गईं और 2021 तक वो इस पद पर रहीं।
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राजनीति के अलावा तुलसी गबार्ड दो दशकों से अधिक समय से आर्मी नेशनल गार्ड से जुड़ी हुई हैं और इस दौरान वो इराक़ और क़ुवैत जैसे देशों में काम कर चुकी हैं। उन्होंने 2016 के चुनाव से पहले उन्होंने बर्नी सैंडर्स के लिए प्रचार किया और जो बाइडन को समर्थन देने से पहले उन्होंने 2020 में राष्ट्रपति पद के लिए डेमोक्रेट उम्मीदवार के रूप में दावेदारी पेश की थी।
गबार्ड अमेरिकी संसद की पहली हिंदू सदस्य थीं और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान सरकार द्वारा संचालित स्वास्थ्य सेवा, मुफ़्त कॉलेज ट्यूशन और गन कंट्रोल जैसे उदारवादी मुद्दों का समर्थन किया था।
2021 में सदन छोड़ने के बाद उन्होंने कुछ मुद्दों पर डेमोक्रेटिक पार्टी के ख़िलाफ़ रुख़ अपनाया और अप्रत्यक्ष रूप से ट्रंप का समर्थन करते हुए दिखाई देने लगीं। पूर्व डेमोक्रेट होने के नाते उन्होंने कमला हैरिस के ख़िलाफ़ ट्रंप की तैयारियों में भी काफ़ी मदद की। अक्टूबर 2022 में उन्होंने विदेश नीति और सामाजिक मुद्दों पर मतभेद की बात कहते हुए डेमोक्रेटिक पार्टी को छोड़ दिया और खुलकर ट्रंप के समर्थन में आ गईं। इसके बाद 2024 में वो रिपब्लिकन पार्टी में शामिल हुईं।
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