दिल्ली एम्स में एक ऐसी जांच किट तैयार हो रही है, जिससे गर्भाशय के मुख के कैंसर (सर्विकल कैंसर) का प्रथम चरण में ही पहचान कर 90 फीसद तक इस बीमारी पर नियंत्रण पाया जा सकता है। भारत सरकार ने 2030 तक सर्विकल कैंसर पर पूरी तरह से नियंत्रित करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस दिशा में देश की शीर्ष वैज्ञानिक संस्थाएं एवं शीर्ष अस्पताल कार्य कर रहे हैं।

सर्विकल कैंसर की प्राथमिक चरण में पहचान के लिए स्वदेशी निर्मित जांच किट लगभग तैयार हो गई है। इसका परीक्षण चल रहा है। दिल्ली एम्स तीन प्रशिक्षण स्थलों में से एक है। आने वाले कुछ महीनों में यह जांच किट तैयार हो जाएगी। एम्स के निदेशक डा एम श्रीनिवास की अगुआई में आइआरसीएच प्रमुख सुषमा भटनागर, डीन रिसर्च जेएस टिटियाल, मिशन निदेशक डा शिरशेंदु मुखर्जी और अध्ययन जांचकर्ता प्रोफेसर नीरजा भाटला की उपस्थिति में एक बैठक हुई।

इस दौरान श्रीनिवास ने कहा कि यह ऐतिहासिक योजना अंतरराष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों के अनुसार सर्विकल कैंसर की जांच के लिए मेक इन इंडिया एचपीवी परीक्षणों को मान्य करने की अनुमति देगी और भारत और अन्य एलएमआइसी में लाखों महिलाओं को सर्विकल कैंसर के संकट से छुटकारा दिलाएगी। उन्होंने कहा, कम एचपीवी प्रकारों वाले परीक्षणों का मूल्यांकन इस अध्ययन का एक नया पहलू है जो परीक्षण की सटीकता में सुधार करेगा।

दुनिया भर में सर्विकल कैंसर महिलाओं में होने वाला चौथा सबसे आम कैंसर है। भारत में स्तन कैंसर के बाद यह महिलाओं में दूसरा सबसे आम कैंसर है। भारत में प्रति वर्ष लगभग 127,526 नए मामले सामने आते हैं और 79,906 मौतें होती है। 2030 तक 70 फीसद महिलाओं की जांच और 90 फीसद लड़कियों का टीकाकरण करने का लक्ष्य हैं।

दुनिया भर में हर दो मिनट में एक महिला की सर्विकल कैंसर से मौत हो जाती है। ग्लोबोकैन 2022 के अनुसार, दुनिया भर में अनुमानित 663,301 महिलाओं में सर्विकल कैंसर का पता चला और इनमें से लगभग 348,874 महिलाओं की इस बीमारी से मृत्यु हो गई।