कोरोना संकट और लॉकडाउन की मार मंदिरों पर भी पड़ी है। आंध्र प्रदेश में भगवान वेंकटेश्वर के तिरुपति बालाजी मंदिर से हाल में 1300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया है।

देश के सबसे धनी मंदिर में ये सारा स्टाफ कॉन्ट्रैक्ट पर सैनिटेशन और हॉस्पिटैलिटी संबंधी सेवाओं से जुड़ा था। राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच काम न होने के कारण इन सभी को ड्यूटी पर एक मई, 2020 से न आने के लिए कह दिया गया था।

पहाड़ियों पर स्थित भगवान वेंकटेश्वर के इस मंदिर का काम-काज संभालने वाले ट्रस्ट तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) बोर्ड ने इन सभी कर्मचारियों का कॉन्ट्रैक्ट बढ़ाया नहीं, जो कि 30 अप्रैल 2020 को खत्म हुआ।

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मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष वाईवी सुब्बा रेड्डी के हवाले से कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया कि स्टाफ मुहैया कराने वाली कंपनी ने सूचित किया था कि उसकी सेवाएं बंद हो जाएंगी। हालांकि, रेड्डी ने मानवीय आधार पर इस मामले को देखने (अपने स्तर पर) को लेकर आश्वासन दिया है।

टीटीडी प्रवक्ता टी रवि ने अंग्रेजी अखबार ‘हिंदुस्तान टाइम्स’ को बताया- टीटीडी के साथ स्टाफ मुहैया कराने वाली एजेंसी का कॉन्ट्रैक्ट 30 अप्रैल तक के लिए हुआ था। आम तौर पर फिलहाल ताजा टेंडर जारी होना था, जिसमें एजेंसी को कर्मचारियों के लिए कॉन्ट्रैक्ट देना था, मगर लॉकडाउन के चलते टीटीडी ट्रस्ट बोर्ड की मीटिंग नहीं हो पाई और न ही टेंडर पर आखिरी फैसला हो सका।

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बकौल रवि, “नियमों के मुताबिक, सब कुछ हो चुका था। पर लॉकडाउन की वजह से इन कर्मचारियों के लिए कोई काम नहीं है। सभी गेस्ट हाऊस भी बंद हैं।”

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बता दें कि लॉकडाउन के बाद टीटीडी बोर्ड ने 20 मार्च के बाद से तिरुमाला मंदिर में श्रद्धालुओं के आने-जाने पर रोक लगा रखी है। मुख्य मंदिर के अलावा 50 अन्य मंदिर भी इसके प्रशासन में आते हैं, जो कि फिलहाल बंद ही हैं।

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बोर्ड ने ऐलान किया है कि मंदिर तीन मई तक बंद रहेगा। हालांकि, चार मई (लॉकडाउन का तीसरा चरण चालू होगा) के बाद मंदिर खुलेगा या नहीं? फिलहाल बोर्ड ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया है। रोचक बात है कि 128 साल के मंदिर के इतिहास में पहली बार यह श्रद्धालुओं के लिए बंद किया गया है।