भारतीय सेना के सूत्रों के अनुसार चीन के साथ तनाव कम होने के बाद भारतीय सैनिकों ने पूर्वी लद्दाख के डेमचोक सेक्टर में फिर से गश्त शुरू कर दी है। जल्द ही डेपसांग सेक्टर में भी गश्त बहाल होने की उम्मीद है। बुधवार को भारतीय सेना अधिकारी ने जानकारी दी कि पूर्वी लद्दाख के डेमचोक और डेपसांग क्षेत्रों में तनाव कम करने की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है, जिससे इन संवेदनशील क्षेत्रों में गश्त का रास्ता साफ हो गया है।

सैनिकों के वापस लौटने की प्रक्रिया पूरी

दिवाली के अवसर पर भारतीय और चीनी सैनिकों ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के कई बिंदुओं पर मिठाइयों का आदान-प्रदान किया, जिससे दोनों देशों के बीच सौहार्दपूर्ण संबंधों का संदेश गया। गुरुवार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने पुष्टि की कि लद्दाख में एलएसी के पास भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच पीछे लौटने की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी है। यह क्षेत्र पश्चिम में लद्दाख से लेकर पूर्व में अरुणाचल प्रदेश तक फैला हुआ है और दोनों देशों के बीच नियंत्रण की सीमा निर्धारित करता है।

भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा को लेकर विवाद रहा है, जो 1962 के युद्ध के दौरान गहराया था। हालिया तनाव की शुरुआत जुलाई 2020 में हुई, जब गलवान घाटी में दोनों सेनाओं के बीच घातक संघर्ष हुआ। इस संघर्ष में 20 भारतीय सैनिक शहीद हुए, और कई चीनी सैनिकों की भी जान गई। इस घटना के बाद दोनों देशों के बीच संबंधों में काफी खटास आ गई, और दोनों सेनाओं ने सीमावर्ती क्षेत्रों में भारी सैन्य तैनाती कर दी, जिसमें तोपखाने, टैंक, और लड़ाकू विमान भी शामिल थे।

सितंबर में भारत और चीन के बीच एक नए सीमा समझौते पर हस्ताक्षर किए गए, जिसका उद्देश्य सीमा पर चल रहे गतिरोध को समाप्त करना था। इसके कुछ ही समय बाद रूस में हुए ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग की मुलाकात हुई, जो पिछले पांच वर्षों में उनकी पहली द्विपक्षीय बैठक थी। इस बैठक ने सीमा पर जारी तनाव को समाप्त करने और बातचीत के जरिए समाधान खोजने का मार्ग प्रशस्त किया।

डेमचोक और डेपसांग सेक्टर में गश्त की बहाली के साथ, यह संकेत मिलता है कि दोनों पक्ष सीमा पर शांति और स्थिरता के लिए प्रतिबद्ध हैं। इस घटनाक्रम से यह भी स्पष्ट होता है कि भविष्य में दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के प्रयास और अधिक प्रभावी ढंग से आगे बढ़ेंगे।