भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) यह अध्ययन करने की योजना बना रही है कि देश में पिछले दो महीनों में कोविड-19 के फैलने के दौरान क्या कोरोना वायरस में ‘म्यूटेशन’ हुआ है। ‘म्यूटेशन’ का अर्थ है किसी भी कोशिका में आनुवंशिक परिवर्तन। देश की शीर्ष स्वास्थ्य अनुसंधान संस्था के एक वरिष्ठ वैज्ञानिक के मुताबिक ‘‘सार्स-कोवी2 स्ट्रेन’’में बदलाव हुआ है या नहीं, इसका पता चलने पर किसी संभावित टीके के प्रभावी होने को सुनिश्चित किया जा सकेगा।
उन्होंने कहा, ‘‘अध्ययन से यह संकेत मिलेगा कि क्या यह और अधिक जानलेवा हो गया है और क्या उसके संक्रमण फैलाने की क्षमता बढ़ गई है।’’ वैज्ञानिक ने कहा कि कोविड-19 मरीजों से एकत्र किये गये नमूनों का अध्ययन यह पता लगाने के लिये किया जाएगा कि कोरोना वायरस में आनुवंशिक परिवर्तन हुआ है, या नहीं।
Coronavirus in Bihar LIVE Updates
वैज्ञानिकों के मुताबिक लॉकडाउन खत्म होने के बाद ही अध्ययन शुरू किया जा सकेगा क्योंकि अभी विभिन्न राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों से नमूने एकत्र करने में मुश्किलें हैं। एक अन्य वैज्ञानिक ने कहा कि ‘सभी इंफ्लुएंजा डेटा की साझेदारी पर वैश्विक पहल’ (जीआईएसएआईडी) के मुताबिक अन्य देशों की तुलना में भारत में कोरोना वायरस में अब तक अधिकतम अंतर 0.2 से 0.9 प्रतिशत के बीच पाया गया है।
जीआईएसएआईडी सभी इंफ्लुएंजा वायरस अनुक्रम और संबद्ध चिकित्सीय एवं महामारी के आंकड़े साझा करता है। इसने दुनिया भर में विभिन्न प्रयोगशालाओं में सार्स-कोवी2 के 7,000 से अधिक पूर्ण जीनोम अनुक्रम रखा है, जहां वायरस को उनके म्यूटेशन के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है। इस बात की संभावना है कि विभिन्न देशों से भारत पहुंच रहे लोग वायरस के विभिन्न स्वरूप के साथ आ रहे हों।
COVID-19 in Rajasthan LIVE Updates
भारत में वायरस के तीन स्वरूपों का अब तक पता चला है। एक वुहान से है जबकि अन्य इटली और ईरान से है। आईसीएमआर में महामारी एवं संक्रामक रोग विभाग के प्रमुख डॉ आर गंगाखेडकर ने इससे पहले कहा था, ‘‘ म्यूटेशन से टीके के निष्प्रभावी होने की संभावना नहीं है क्योंकि वायरस के सभी उप प्रकारों की एक जैसी ही एंजाइम होती है। साथ ही, इसमें बहुत तेजी से बदलाव नहीं आ रहा है।’’ कोविड-19 के टीके पर छह भारतीय कंपनियां काम कर रही है।

