संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि भारत 2023 तक जनसंख्या के मामले में चीन को भी पीछे छोड़ देगा। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में सोमवार (11 जुलाई, 2022) को चेतावनी दी गई कि उच्च प्रजनन क्षमता आर्थिक विकास को चुनौती देगी।
विश्व जनसंख्या दिवस पर जारी रिपोर्ट में कहा गया कि इस साल 15 नवंबर तक दुनिया की आबादी 8 अरब तक पहुंचने का अनुमान है, 2030 में यह बढ़कर 8.5 अरब और 2100 में 10.4 अरब हो सकती है।
देश में की गई जनगणना के अनुसार, 2011 में भारत की जनसंख्या 1.21 अरब थी। हर दस साल में यह जनगणना की जाती है, लेकिन भारत सरकार ने COVID-19 महामारी के कारण 2021 की जनगणना को टाल दिया था।
वहीं, कांग्रेस नेता शशि थरूर ने भी आंकड़े पेश करते हुए कहा कि जनसंख्या के मामले में अनुमान की तारीख नजदीक आती जा रही है। यह दो दशक पहले 2034 था, फिर 2026 और अब कहा जा रहा है कि 2023 तक भारत दुनिया का सबसे ज्यादा आबादी वाला देश बन सकता है।
जनसंख्या को लेकर संयुक्त राष्ट्र ने जो आंकड़ा पेश किया है। उसके मुताबिक, अगर देश की आबादी इसी तरह बढ़ती रही तो बड़े पैमाने पर खाद्यान संकट, बेरोजगारी संकट, चिकित्सा और स्वास्थ्य संकट एवं जल संकट खड़ा हो जाएगा। इतना ही नहीं लोग पलायन और भुखमरी से बेहाल हो जाएंगे और प्राकृतिक संतुलन बिगड़ने की वजह से भायनक आपदाओं का खतरा भी पैदा हो जाएगा।
जनसंख्या नियंत्रण पर क्या बोले यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ<br>उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सरकार जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने पर विचार कर रही है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या नियंत्रण कार्यक्रम सफलतापूर्वक आगे बढ़ना चाहिए, लेकिन संतुलन बनाने पर ध्यान देना भी जरूरी है। उन्होंने कहा कि ऐसा भी ना हो कि किसी एक वर्ग की आबादी बढ़ जाए, जिसकी वजह से अराजकता फैलने का खतरा पैदा हो जाए।
उन्होंने कहा कि आबादी का असंतुलन हर उस देश के लिए गंभीर चिंता का कारण है, जहां धार्मिक जनसांख्यिकी प्रभावित होती है और एक समय के बाद वहां अराजकता के साथ अव्यवस्था भी पैदा हो जाती है।