भारत और अमेरिका के बीच ट्रेड डील को लेकर बातचीत जारी है। इस बीच विदेश मंत्री एस जयशंकर ने रविवार को अमेरिका को संदेश दिया। उन्होंने कहा कि भारत, अमेरिका के साथ एक व्यापार समझौते के लिए बातचीत कर रहा है, जहां हमारी लक्ष्मण रेखा का सम्मान किया जाना चाहिए है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि कुछ चीजें हैं जिन पर आप बातचीत कर सकते हैं और कुछ चीजें हैं जिन पर आप बातचीत नहीं कर सकते हैं।

जयशंकर ने कहा कि दोनों पक्ष हमारे व्यापार वार्ता के लिए किसी अंतिम बिंदु पर नहीं पहुंचे हैं। नई दिल्ली में कौटिल्य आर्थिक सम्मेलन के समापन सत्र में बोलते हुए जयशंकर ने ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का जिक्र करते हुए कहा, “मैं मुद्दों को कम नहीं कर रहा हूं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि हमें इसे इस हद तक ले जाना चाहिए कि यह संबंधों के हर पहलू तक पहुंच जाए। हमें इसे अनुपात में देखने की जरूरत है।”

क्या चाहता है अमेरिका?

अमेरिका भारत के कृषि और डेयरी बाज़ारों में अपने उत्पादों की पहुंच चाहता रहा है। अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिका या उसके टैरिफ़ लगाने का नाम लिए बिना कहा कि वह भारतीय किसानों, मछुआरों और पशुपालकों को प्रभावित करने वाली किसी भी प्रतिकूल नीति के ख़िलाफ़ दीवार की तरह खड़े हैं।

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भारत-अमेरिका संबंधों की स्थिति के बारे में पूछे जाने पर जयशंकर ने कहा, “कुछ मुद्दे हैं, कोई भी इनकार नहीं कर रहा है। आज अमेरिका के साथ हमारी समस्याओं का एक बड़ा कारण यह है कि हम अपनी व्यापार वार्ता के लिए किसी ठोस निष्कर्ष पर नहीं पहुँच पाए हैं। अब तक उस तक पहुंचने में असमर्थता के कारण एक निश्चित शुल्क लगाया जा रहा है।”

रूसी तेल खरीद पर क्या बोले जयशंकर?

अमेरिका द्वारा रूसी तेल खरीद को लेकर लगाए गए 50 फीसदी अतिरिक्त टैरिफ पर जयशंकर ने कहा, “हम इसे अनुचित मानते हैं। इसमें अन्य कई देश भी शामिल हैं जिनके रूस के साथ अच्छे संबंध नहीं हैं।” जयशंकर ने रूसी तेल के आयात के लिए अमेरिका द्वारा भारत पर लगाए गए अतिरिक्त दंडात्मक टैरिफ पर विस्तार से चर्चा की और कहा कि अमेरिका का यह कदम प्रतिस्पर्धात्मकता और बाज़ार अर्थशास्त्र की बुनियादी बातों को चुनौती देता है।

जयशंकर ने कहा, “ऐसे समय में जब एनर्जी की कीमतों में भारी अंतर है, एनर्जी पर प्रतिबंध हैं, रिन्यूएबल एनर्जी पर सब्सिडी है, मैं सोच में पड़ गया हूं कि बाज़ार अर्थशास्त्र कहाँ है। जब दुनिया में व्यापार केंद्रीय विषय था, व्यापार पर विचार अब टैरिफ़ बन गया है। तुलनात्मक लाभ और प्रतिस्पर्धात्मकता कहाँ हैं? हम सिर्फ़ राजनीति के मूल सिद्धांतों पर ही नहीं, बल्कि अर्थशास्त्र के मूल सिद्धांतों पर भी पुनर्विचार कर रहे हैं।”

हमारी सीमाओं का सम्मान हो- जयशंकर

ट्रेड डील को लेकर जयशंकर ने कहा कि हम बातचीत कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े बाज़ार अमेरिका के साथ एक व्यापारिक समझौता होना चाहिए और इसलिए भी कि दुनिया के अधिकांश देश इस समझौते पर पहुंच चुके हैं। लेकिन यह एक ऐसी समझ होनी चाहिए जिसमें हमारी अंतिम सीमाओं और रेड लाइन्स का सम्मान हो। कुछ चीज़ें ऐसी हैं जिन पर आप बातचीत कर सकते हैं और कुछ ऐसी भी हैं जिन पर आप बातचीत नहीं कर सकते। हम इस बारे में बिल्कुल स्पष्ट हैं और वास्तव में यही बातचीत मार्च से चल रही है।”

क्वाड को लेकर बोले जयशंकर

अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया वाले क्वाड समूह के भविष्य पर इस साल भारत शिखर सम्मेलन की मेजबानी करेगा और अभी भी इस बात पर कोई स्पष्टता नहीं है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इसमें भाग लेंगे या नहीं। हालांकि क्वाड को लेकर जयशंकर ने कहा, “क्वाड जीवित है और क्वाड अच्छी स्थिति में है। इस वर्ष क्वाड विदेश मंत्रियों की दो बैठकें हुई हैं। पहली बैठक जनवरी में हुई, जो ट्रंप प्रशासन के सत्ता में आने के बाद पहली बैठक थी और दूसरी जुलाई में हुई।”

जयशंकर ने कहा कि जहां अमेरिका, रूस और चीन सहित दुनिया के कई क्षेत्र वास्तव में अपने हितों की रक्षा कर रहे हैं, वहीं भारत का लक्ष्य इससे आगे बढ़ना है। उन्होंने कहा, “वे अपनी स्थिति बनाए रखने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि भारत के लिए चुनौती यह है कि हम इससे आगे कैसे बढ़ें, इन मुश्किलों से कैसे उबरें? भारत के लिए आगे का रास्ता विनिर्माण क्षेत्र में अपने खोए दशकों की भरपाई करना है। आज हमारी चुनौती विनिर्माण क्षेत्र को मज़बूत करना है। क्योंकि कई दशक बीते हैं। एक तरह से मैं इसे खोया हुआ दशक कहूँगा। इसलिए हमें कई क्षेत्रों में आगे बढ़ना होगा, लेकिन इस तरह नहीं कि हम समकालीन अवसरों को गँवा दें। अगर आप आज सरकार द्वारा अपनाई जा रही नीतियों (सेमीकंडक्टर, इलेक्ट्रिक वाहन, नवीकरणीय ऊर्जा, ड्रोन) पर गौर करें, तो हमें इनका सर्वोत्तम मिश्रण तैयार करना होगा क्योंकि अंततः तकनीक ही है जो बड़ा बदलाव लाएगी।”