कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन से पहले मंगलवार को कहा कि प्रधानमंत्री को देश को बताना चाहिए कि वह ‘भारतीय क्षेत्र में बैठे’ चीन के सैनिकों के कब और कैसे बाहर निकालेंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी से यह आग्रह भी किया कि कोरोना संकट के कारण परेशानी का सामना कर रहे गरीबों, मध्यम वर्ग और वेतनभोगी वर्ग को राहत देने के लिए ‘न्यूनतम आय गारंटी योजना’ (न्याय) की तर्ज पर छह महीने के लिए कोई योजना आरंभ करें। गांधी ने एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘ पूरा देश जानता है कि चीन ने भारत की पवित्र जमीन छीनी हुई है। हम सभी जानते हैं कि चीन लद्दाख में चार जगह बैठा हुआ है। नरेंद्र मोदी जी देश को बताइए कि आप चीन की फौज को कब और कैसे बाहर निकालेंगे?’’ गौरतलब है कि इन दिनों लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन के बीच गतिरोध चल रहा है। गत 15-16 जून की रात दोनों देशों के सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। चीनी पक्ष को भी नुकसान उठाना पड़ा था।
इससे पहले, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने पिछले कुछ वर्षों में चीन से आयात बढ़ने को लेकर मंगलवार को भाजपा सरकार पर निशाना साधा और कहा कि ‘मेक इन इंडिया’ की बात होती है, लेकिन ‘बाय फ्राम चाइना’ (चीन से खरीदने) पर अमल किया जाता है। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘तथ्य झूठ नहीं बोलते। भाजपा कहती है ‘मेक इन इंडिया’ और करती है ‘बाय फ्राम चाइना’।’’ कांग्रेस नेता ने मनमोहन सिंह सरकार के समय भारत के कुल आयात में चीन की हिस्सेदारी घटने और नरेंद्र मोदी सरकार में चीन की हिस्सेदारी कथित तौर पर बढ़ने से जुड़ा एक ग्राफ भी शेयर किया। भारत और चीन की सेनाओं के बीच मंगलवार को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की एक और दौर की वार्ता होगी, ताकि पूर्वी लद्दाख में तनाव कम किया जा सके और संवेदनशील क्षेत्र से सेनाओं को पीछे करने के तौर-तरीकों को अंतिम रूप दिया जा सके। सूत्रों ने कहा कि यह लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की तीसरे दौर की वार्ता होगी और यह चुशूल सेक्टर में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय जमीन पर होगी।
पूर्वी लद्दाख में कई जगहों पर पिछले सात सप्ताह से भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। सूत्रों ने कहा कि मंगलवार को बलों को पीछे हटाने को लेकर हुए फैसले को क्रियान्वित करने की दिशा में आगे बढ़ने पर दोनों पक्षों के चर्चा करने की उम्मीद है। वार्ता में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व 14वीं कोर के कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे जबकि चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत मिलिट्री डिस्ट्रिक्ट के कमांडर कर सकते हैं। गलवान में दोनों पक्षों के बीच 15 जून की रात को हिंसक झड़प हुई थी जिसके बाद दोनों पक्षों ने कम से कम तीन दौर की मेजर जनरल स्तर की वार्ता की ताकि तनाव को कम करने के तरीकों का पता लगाया जा सके।
भारत सरकार की तरफ से यह चीन की सेना को साफ किया है कि 4 मई के पूर्व के पूर्व की स्थिति बहाल होनी चाहिए। पहली मीटिंग में भारत और चीन इस बात पर सहमत हुए थे कि LAC से पीछे की तरफ हटेंगे। हालांकि इसके बाद भी चीन ने इस सहमति पर अमल नहीं किया।
दोनों देशों के बीच पहले दो दौर की वार्ताओं में भारतीय पक्ष ने यथास्थिति की बहाली और गलवान घाटी, पैंगोंग सो और अन्य क्षेत्रों से हजारों चीनी सैनिकों की तत्काल वापसी पर जोर दिया था। पहली दो बैठकें मोल्दो में एलएसी पर चीन की तरफ हुई थीं।
15 जून को गलवान घाटी में हुए संघर्ष में 20 भारतीय जवानों के वीरगति को प्राप्त होने के बाद तनाव कई गुना बढ़ गया है। इससे पहले दूसरे दौर की वार्ता में 22 जून को दोनों पक्षों के बीच पूर्वी लद्दाख में तनाव वाले स्थानों पर ‘‘पीछे हटने’’ के लिए ‘‘परस्पर सहमति’’ बनी थी।
नेपाल के विदेश मंत्री प्रदीप कुमार ग्यावली ने सोमवार को कहा कि भारत और नेपाल के बीच सीमा के मुद्दे से उनके द्विपक्षीय संबंधों की अन्य गतिशीलता को प्रभावित नहीं होना चाहिए। उन्होंने उम्मीद जतायी कि विवाद कूटनीतिक प्रयास के जरिए सुलझाया जाएगा। नेपाल ने इस महीने संविधान संशोधन के जरिए देश के राजनीतिक नक्शे में बदलाव की प्रक्रिया को पूरा किया है। इसमें भारत के रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण तीन क्षेत्रों को शामिल किया गया है।
पूर्वी लद्दाख में चीन और भारत के बीच जारी तनातनी के बीच तिब्बत की निर्वासित सरकार के प्रमुख लोबसांग सांगे ने सोमवार को कहा कि भारत को चीन के साथ द्विपक्षीय वार्ता में तिब्बत का मुद्दा उठाना चाहिए और इसे प्रमुख मुद्दा बनाना चाहिए। विदेशी संवाददाता क्लब द्वारा आयोजित वेबिनार में सांगे ने कहा कि तिब्बत, भारत और चीन के बीच तनाव का एक कारण है। उन्होंने कहा कि तिब्बत ने हमेशा दुनिया की दो सबसे बड़ी आबादी वाले देशों चीन और भारत के बीच ‘बफर जोन’ का काम किया, लेकिन उस पर कब्जे के बाद यह समाप्त हो गया।
पूर्वी लद्दाख में चीन के सैनिकों के साथ हुई हिंसक झड़प के मामले में अमेरिका के एक शीर्ष सीनेटर ने भारत के लोगों के साथ एकजुटता दिखाई और कहा कि भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह बीजिंग से डरेगा नहीं। रिपब्लिकन सीनेटर मार्को रुबियो ने अमेरिका में भारत के राजदूत तरणजीत सिंह संधू से बात की और चीन के साथ हुई हिंसक झड़प के मामले में भाारत के लोगों के प्रति एकजुटता व्यक्त की। फ्लोरिडा के सीनेटर ने ट्वीट किया, ‘‘ भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि वह बीजिंग से डरेगा नहीं। ’’