India Alliance Fight Mamata Banerjee: इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के लिए सब कुछ सही नहीं चल रहा है। कहने को अभी भी कांग्रेस इस इंडिया गठबंधन को लीड कर रही ,है लेकिन इसके साथी दल हैं, वो अब राहुल गांधी के साथ दिखाई नहीं देते। जितने भी दिग्गज या कहना चाहिए बड़े चेहरे हैं, वो एक-एक कर अब राहुल गांधी से अलग हो रहे हैं। इसकी शुरुआत पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने की थी जब उन्होंने दो टूक कहा कि अगर मौका मिलेगा तो वे इंडिया गठबंधन को जरूर लीड करना चाहेंगी।
कांग्रेस राहुल के पीछे, इंडिया किसके?
ममता के उस बयान का समर्थन शरद पवार ने किया, लालू प्रसाद यादव ने किया, समाजवादी पार्टी ने भी अपना समर्थन जाहिर कर दिया। अब यह समर्थन बताने के लिए काफी है कि पूरा इंडिया गठबंधन कांग्रेस को ही आइसोलेट करना चाहता है। जिस तरह से कांग्रेस अभी भी राहुल गांधी को ही सबसे बड़े नेता के रूप में प्रोजेक्ट कर रही है, कई दिग्गज नेताओं को यह रास नहीं आ रहा। इसी वजह से माना जा रहा है कि लालू प्रसाद यादव के सुर भी अब बदल चुके हैं।
लालू ने क्यों बनाया था राहुल को दूल्हा?
यह नहीं भूलना चाहिए कि लोकसभा चुनाव से पहले लालू प्रसाद यादव ने एक बयान में कहा था कि हम बारात बनने को तैयार हैं, आप दूल्हा बनिए। यह बयान कहने को उन्होंने राहुल गांधी की शादी को लेकर दिया था, लेकिन उनकी राजनीति को समझने वाले जानकार जानते हैं कि उनका कोई भी बयान सिर्फ मजाकिया नहीं रहता बल्कि उसके बड़े सियासी मायने भी निकल जाते हैं। यहां भी दूल्हे से मतलब कई थे- या तो लालू उस समय राहुल को पीएम उम्मीदवार के रूप में देख रहे थे या फिर इंडिया गठबंधन के संयोजक के रूप में।
मटन पॉलिटिक्स नहीं दिलवा पाई लालू सपोर्ट
इसके ऊपर जिस तरह से समय-समय पर राहुल गांधी की लालू से मुलाकात हुई, जिस तरह से वीडियो में मटन पॉलिटिक्स दिखाई पड़ी, माना जा रहा था कि राहुल गांधी को अगर किसी का सबसे ज्यादा समर्थन मिल रहा है तो वे लालू प्रसाद यादव हैं। लेकिन अब वही लाल खुलकर बोल रहे हैं कि ममता बनर्जी को इंडिया गठबंधन की कमान सौंप देनी चाहिए। उनका यह बयान काफी मायने रखता है, लेकिन इसके अपने कारण या कहना चाहिए मजबूरियां भी हैं।
लालू के यू टर्न लेने का कारण क्या है?
असल में बिहार में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं, उसचुनाव में लालू प्रसाद यादव बिल्कुल भी नहीं चाहते कि कांग्रेस की बारगेनिंग पावर ज्यादा रहे। इसको ऐसे समझा जा सकता है कि अगर इंडिया गठबंधन में कांग्रेस ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर रहेगी, उस स्थिति में वो आराम से आरजेडी पर दबाव बना सकती है, ज्यादा सीटों पर अड़ सकती है। बात चाहे महाराष्ट्र की हो, झारखंड की हो, इसी तरह से कांग्रेस ने ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ा है।
कांग्रेस का दबाव वाला रवैया नहीं पसंद?
इसके ऊपर लालू उस अनुभव को भी नहीं भूले हैं जब बिहार में महागठबंधन सरकार के दौरान कांग्रेस के साथ तेजस्वी यादव की तकरार लगातार देखने को मिली थी। तब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अखिलेश प्रसाद सिंह को लेकर कहा जाता था कि उन्होंने कभी भी तेजस्वी यादव को बतौर डिप्टी सीएम स्वीकार ही नहीं किया। इसके ऊपर पूरे समय सरकार में कांग्रेस को और ज्यादा मंत्रालय कैसे मिले, इसी बात पर लड़ाई होती रही। लेकिन एक बार फिर लालू ऐसी स्थिति नहीं चाहते हैं, ऐसे में कांग्रेस को पहले ही आइसोलेट या कहना चाहिए कमजोर करने की कवायद है।
ममता में दिख रही ज्यादा काबिलियत?
अभी एक सवाल यह भी आता है कि लालू, ममता को ज्यादा पसंद क्यों कर रहे हैं- तो उसका कारण साफ है। पश्चिम बंगाल में मोदी शाह की जोड़ी को हराने का काम ममता बनर्जी ने किया है, कई मौकों पर वे ऐसा कर दिखा चुकी हैं। इसके ऊपर जब पिछली दफा वे पटना भी आई थीं, तब उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को ज्यादा प्रमुखता नहीं दी बल्कि उन्होंने लालू प्रसाद यादव से मुलाकात की, यानी की ममता आज भी लालू को ज्यादा तवज्जो देती हैं, ऐसे में राजद प्रमुख भी उनके साथ ज्यादा सहज हो सकते हैं।
कांग्रेस इंडिया गठबंधन क्यों नहीं चला पाई?
जानकार तो यहां तक मानते हैं कि इंडिया गठबंधन को जिस तरह से कांग्रेस ने चलाने की कोशिश की है, वो भी एक बहुत बड़ा कारण है कि क्यों सारे दल उससे नाराज होते जा रहे हैं। बीबीसी से बात करते हुए रशीद किदवई ने दो टूक बोला है कि जब किसी गठबंधन का सचिवालय ही नहीं है, संयोजक ही नहीं है, कोई प्रवक्ता ही नहीं रखा गया है, उस स्थिति में कैसे काम किया जाएगा।
कांग्रेस की आगे की राह
अभी के लिए तो इंडिया गठबंधन में कांग्रेस की राह काफी मुश्किल होने वाली है। अब क्योंकि लालू का समर्थन भी हाथ से छिन चुका है, ऐसे में खुद को मजबूत रखना बड़ी चुनौती रहेगी। कांग्रेस कहने को कहती रहेगी कि वो आज भी पूरे देश की पार्टी है और बाकी सारे दल अपने राज्य तक सीमित हैं, लेकिन महाराष्ट्र और हरियाणा की अप्रत्याशित हार ने साफ कर दिया है कि भाजपा के सामने कांग्रेस का प्रदर्शन अभी भी कमजोर ही है। वैसे इंडिया गठबंधन के भीतर कांग्रेस के लिए चुनौतियां भी और भी कई हैं, वो जानने के लिए यहां क्लिक करें