India Alliance in Trouble: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए 2023 के जून में कर्नाटक चुनाव नतीजों के बाद विपक्षी दलों का इंडिया गठबंधन अस्तित्व में आया था। हालांकि इस गठबंधन के सूत्रधार रहे बिहार के सीएम नीतीश कुमार चुनाव से पहले ही एनडीए गठबंधन में चले गए थे लेकिन फिर विपक्ष मजबूत था। उसकी मजबूती का नतीजा ये रहा कि बीजेपी पूर्ण बहुमत से चूक गई लेकिन अब राष्ट्रीय चुनाव के बाद अब विपक्षी एकता पर संकट मंडराता नजर आ रहा है।
हाल ही में इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में दिल्ली विधानसभा में नेता विपक्ष आतिशी ने कांग्रेस पर आरोप लगाए थे कि उम्मीद के मुताबिक कांग्रेस विपक्ष को साथ रखने में सक्षम नहीं है। आतिशी ने यह आरोप लगाया था कि बीजेपी और कांग्रेस के बीच अघोषित गठबंधन है। इसी वजह से सोनिया गांधी से लेकर राहुल गांधी रॉबर्ट वाड्रा तक… कभी कोई जेल न गया है, और न जाएगा। इतना ही नहीं, विपक्षी दलों को अब कांग्रेस से हटकर तीसरे मोर्चे के बारे में सोचना चाहिए।
आप कांग्रेस में तीखी तकरार
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने लोकसभा चुनाव के दौरान दिल्ली, हरियाणा और चंडीगढ़ की एक सीट पर चुनाव लड़ा था। आप को इस गठबंधन की वजह से दिल्ली में कोई फायदा नहीं हुआ। पंजाब में बीजेपी का बड़ा जनाधार नहीं है, जिसके चलते आप और कांग्रेस का गठबंधन नहीं हुआ था। लोकसभा चुनाव के बाद हरियाणा के विधानसभा चुनाव में आप कांग्रेस का बड़ा टेस्ट हुआ था लेकिन दोनों ने गठबंधन नहीं किया था, कांग्रेस आप को 10 सीटें देने को तैयार नहीं हुई।
दिल्ली में BJP ने उठाया फायदा
दोनों ने अलग चुनाव लड़ा। इस लड़ाई का फायदा बीजेपी ने उठाया और तीसरी बार राज्य में सरकार बना ली। कुछ ऐसा ही दिल्ली में है। पार्टी के संगठन को मजबूत करने की सोच के तहत कांग्रेस पार्टी ने आम आदमी पार्टी से गठबंधन करने का निर्णय लिया। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी भी अकेले चुनाव लड़ने को लेकर कॉन्फिडेंस मे थी। यहां कांग्रेस और आम आदमी पार्टी की लड़ाई का फायदा बीजेपी ने उठाया और 27 साल दिल्ली में सरकार बना ली।
महाराष्ट्र में भी बड़ी खटपट
हरियाणा के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी की लीडरशिप वाले महायुति गठबंधन प्रचंड जीत हासिल की थी और अकेले ही बहुमत के करीब सीटे हासिल कर ली थी। शिवसेना यूबीटी से लेकर एनसीपी (एसपी) और कांग्रेस गठबंधन की पूरी प्लानिंग ध्वस्त हुआ था। चुनाव के बाद एनसीपी शरद पवार और अजित पवार के बीच नजदीकियां बढ़ रही हैं। इसके चलते ये संकेत मिलने लगे हैं कि क्या दोनों का मर्जर हो जाएगा और सवाल ये भी उठ रहे हैं कि शरद पवार और पीएम मोदी के नेतृत्व वाले झंडे के तले आ जाएंगे।
इतना ही नहीं, शरद पवार के इंडिया गठबंधन से अलग होने के सवाल इसलिए भी उठ रहे हैं क्योंकि राहुल गांधी के पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर दिए गए बयानों से शरद पवार सहमत नहीं नजर आए। शरद पवार की पार्टी ने कांग्रेस की ऑपरेशन सिंदूर को लेकर संसद का विशेष सत्र बुलाने की मांग से भी दूरी बनाई थी। साथ ही राहुल गांधी को शरद पवार ने जनता के बीच जाने और ज्यादा मेहनत करने की सलाह दी है।
जम्मू-कश्मीर में सरकार से दूर कांग्रेस
जम्मू-कश्मीर में हुए विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की जीत तो हुई, लेकिन उस जीत में 95 प्रतिशत हिस्सा नेशनल कॉन्फ्रेंस का रहा। राज्य में सरकार बनीं तो कांग्रेस ने सरकार में न रहने की बात कही। खास बात यह भी रही सीएम बने उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस को एक मंत्री पद देने की बात कही थी, लेकिन कांग्रेस ने इससे इनकार किया था। नतीजा ये कि सीएम उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस से सरकार में शामिल होने के लिए ज्यादा मान मनौव्वल नहीं की।
सीएम उमर अब्दुल्ला चुनाव जीतने के बाद जिस राष्ट्रवाद और प्रो मोदी बयानबाजी कर रहे हैं, वो भी सवाल उठा रहा है कि क्या जम्मू कश्मीर जैसे राज्य में इंडिया गठबंधन की जीत के बावजूद कांग्रेस पार्टी अलग-थलग पड़ गई है। नेशनल कॉन्फ्रेंस पहले भी एनडीए के साथ गठबंधन कर चुकी है और पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपयी की सरकार में उमर अब्दुल्ला मंत्री भी रहे थे। ऐसे में बीजेपी के नेशनल कॉन्फ्रेंस के साथ ट्यूनिंग भी अच्छी दिख रही है, जो कि कांग्रेस और विपक्षी एकता के लिए चिंता की बात मानी जा रहा है।
झारखंड में भी कमजोरी का अनुमान
इंडिया गठबंधन के तहत झारखंड में जेएमएम और कांग्रेस की विधानसभा चुनावों में जीत हुई थी और लोकसभा चुनाव के बाद यह पहला चुनाव था, जहां विपक्ष की ताकत दिखी थीं। हालांकि उसमें भी मुख्य जलवा जेएमएम नेता और सीएम हेमंत सोरेन का रहा था। हालांकि विधानसभा चुनाव के बाद विपक्ष के नेता के तौर पर हेमंत सोरेन ज्यादा चर्चा में नहीं है। पीएम मोदी की हाल में ही नीति आयोग की मुलाकात में हेमंत सोरेने के साथ जो ट्यूनिंग दिखी थी, उसने भी सांकेतिक तौर पर कांग्रेस को परेशान ही किया है।
केरल में भी लेफ्ट और कांग्रेस में टकराव
दिल्ली में भले ही कांग्रेस पार्टी और लेफ्ट पार्टियां एक साथ दिखती हों, लेकिन अगले साल केरल में होने वाले विधानसभा चुनाव होने हैं। ऐसे में वहां कांग्रेस पार्टी दस साल से सत्ता में बैठे सीएम पिनाराई विजयन के खिलाफ आक्रामक चुनाव प्रचार कर रही है। राहुल गांधी जब भी केरल जाते हैं तो खुलकर पिनाराई विजयन की आलोचना करते हैं। इसके चलते वहां भी कांग्रेस का इंडिया गठबंधन खतरे में लग रहा है।
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बिहार, पश्चिम बंगाल और यूपी में होगा असल टेस्ट
बिहार विधानसभा इस साल अक्टूबर-नवंबर में होने हैं। ऐसे में वहां इंडिया गठबंधन के घटक दलों यानी कांग्रेस, आरजेडी, लेफ्ट और वीआईपी का बड़ा टेस्ट होने वाला है। तेजस्वी यादव इस पूरे गठबंधन को लेकर लीड कर रहे हैं। चुनाव से पहले सीट शेयरिंग का टेस्ट होगा और फिर चुनाव में उनका असल टेस्ट जनता लेगी। इसके बाद पश्चिम बंगाल के अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और टीएमसी का रुख भी देखना होगा। ममता बनर्जी ने 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को गठबंधन की बात के बावजूद एक सीट तक नहीं दी थी। नतीजा ये हुआ था कि दोनों के बीच केंद्र में भले ही गठबंधन था, लेकिन चुनाव में दोनों ने आक्रामक जंग लड़ी थी।
इसके अलावा देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी और कांग्रेस पार्टी के गठबंधन का टेस्ट होगा। हाल फिलहाल में कांग्रेस पार्टी और सपा में यूपी में सीट शेयरिंग को लेकर आक्रामक बयानबाजी हो रही है। हालांकि, टीप लीडरशिप इस मुद्दे पर कुछ भी नहीं बोल रही है, और गठबंधन की एकता की बात कर रही है। अब देखना यह होगा कि यहां सीट शेयरिंग का फॉर्मूला सपा-कांग्रेस कैसे तय करेंगे? ऐसे में अगर ये कहा जाए कि बिहार बंगाल और यूपी के विधानसभा चुनाव, इंडिया गठबंधन का भविष्य तय करेंगे, तो यह कोई अतिष्योक्ति नहीं होगी।
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