जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल (एलजी) मनोज सिन्हा ने शनिवार (21 अगस्त, 2021) को कहा कि अगर जम्मू और कश्मीर को बंद कराने के लिए पाकिस्तान बंदूक के जरिए आतंक का इस्तेमाल करता है, तब हमारी ओर से से मुकाबला में डंडे का प्रयोग करने में कुछ भी गलत नहीं था। सिन्हा ने यह भी कहा कि जम्मू और कश्मीर में सामान्य स्थिति दिखाने के लिए किसी भी बल का इस्तेमाल नहीं किया गया था।
सिन्हा ने यह बातें पत्रकार बशीर असद की किताब ‘कश्मीर: दि वॉर ऑफ नैरेटिव्स’ के विमोचन के मौके पर कहीं। बकौल उपराज्यपाल, “लोगों ने मुझे बताया कि पांच अगस्त को बंद होगा। मुझे नहीं लगा कि पांच अगस्त कोई महत्वपूर्ण तारीख है…लेकिन भगवान की कृपा से कोई बंद नहीं था। पांच अगस्त को दिन खत्म होने के वक्त एक पत्रकार ने मुझसे कहा था कि बंद न हो यह सुनिश्चित करने के लिए मैंने डंडों का इस्तेमाल किया। मैंने तर्क दिया था कि सारा ट्रैफिक चल रहा था और लोग बड़ी संख्या में खरीदारी कर रहे थे।” वह आगे बोले- यह सब डंडे के जोर से नहीं हो सकता है। लेकिन अगर आप मानते हैं, तो मैं इसे स्वीकारता हूं। बंद भी तो पाकिस्तान और आतंकवाद की बंदूक से होता था। अगर मैंने डंडे का प्रयोग किया तो कुछ बुरा नहीं।
उनके मुताबिक, “मेरा मानना है कि यह बहुत स्पष्ट होना चाहिए कि यह ठीक रेखा है और किसी को भी इसे पार करने की इजाजत नहीं है…और जब तक मैं वहां हूं, यह स्टैंड होगा। कोई समझौता नहीं होगा।”
यह आरोप लगाते हुए कि कुछ “कश्मीर पर स्व-नियुक्त विशेषज्ञ,” अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नैरेटिव (कहानी) बनाने की कोशिश कर रहे थे। सिन्हा ने आगे बताया कि इन भ्रांतियों से दूर होना महत्वपूर्ण है। यह देखना महत्वपूर्ण है कि लोग क्या चाहते हैं और कैसे उनके जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है। अन्य राज्यों के साथ जम्मू और कश्मीर की तुलना करते हुए, सिन्हा ने सुझाव दिया कि वित्त की कमी मुद्दा नहीं था।
उनके अनुसार, “जब भी जम्मू-कश्मीर के बारे में बात की जाती है, तो कहा जाता है कि यह पिछड़ा और अविकसित है। जम्मू-कश्मीर को सही संदर्भ में समझना महत्वपूर्ण है। जम्मू-कश्मीर की आबादी 1.25-1.30 करोड़ है। पिछले साल जम्मू-कश्मीर का बजट 1.10 लाख करोड़ रुपये था। अब पिछड़े माने जाने वाले बिहार और यूपी को भी लें। करीब 12 करोड़ की आबादी के मुकाबले बिहार में 2.18 लाख करोड़ रुपये का बजट है। यूपी की आबादी 23 करोड़ है और बजट 5.5 लाख करोड़ रुपये है, तो जम्मू और कश्मीर में प्रति व्यक्ति आवंटन इन राज्यों का नौ से दस गुना है। और आजादी के बाद से यह मामला रहा है।”
वह बोले- युवा छात्र आते हैं और मुझे बताते हैं कि उन्होंने एम.टेक किया है और सरकारी नौकरी की इंतजार कर रहे हैं। छात्रों को इस मानसिकता से बाहर आने की जरूरत है।