पश्चिम बंगाल की गर्भवती महिला सुनाली खातून को उनके परिवार के साथ जून में कथित रूप से अवैध प्रवासी होने के कारण बांग्लादेश भेज दिया गया था। 25 साल की सुनाली खातून के लिए पिछले पांच महीने जिंदगी से भी ज्यादा लंबे रहे हैं। नौ महीने की गर्भवती और अभी भी बांग्लादेश में फंसी खातून ने बुधवार को द इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा कि वह बस एक ही चीज चाहती है, “अपने बच्चे को भारत में जन्म देना।”
बुधवार को केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह मानवीय आधार पर सुनाली खातून को वापस लाने के लिए तैयार है। उसने फोन पर कहा, “मैं बस घर लौटना चाहती हूं, भारत लौटना चाहती हूं। मैं चाहती हूं कि मेरा बच्चा भारत में पैदा हो। मुझे बताया गया है कि अगर बच्चा बांग्लादेश में पैदा हुआ तो और भी कानूनी पेचीदगियां होंगी। लेकिन मेरे पति, एक और महिला और उसके दो बच्चों का क्या, जिन्हें मेरे साथ डिपोर्ट किया गया था? उन्हें मेरे साथ घर जाना होगा।”
पश्चिम बंगाल से आए प्रवासी मजदूर सुनाली और उनका परिवार लगभग 20 सालों से दिल्ली में कूड़ा बीनने का काम कर रहे थे। दिल्ली पुलिस ने 26 जून को कथित अवैध प्रवासियों के खिलाफ कार्रवाई के तहत उन्हें उठा लिया। पुलिस ने उसके पति दानिश, उसके आठ साल के बेटे और परिवार की एक अन्य सदस्य स्वीटी बीबी को उसके दो नाबालिग बेटों के साथ गिरफ्तार कर लिया।
किसी ने हमारी एक ना सुनी- सुनाली बीबी
सुनाली ने बताया, “उन्होंने हमारे फिंगरप्रिंट लिए और हमें असम जाने वाले विमान में बिठा दिया, जहां एक रात हमें बांग्लादेश जाने को कहा गया। हमने बीएसएफ जवानों को बताया कि हम भारतीय हैं, लेकिन उन्होंने हमारी एक न सुनी। उस रात हम झाड़ियों में छिपे रहे। हमारे पास कुछ भी नहीं था, यहां तक कि कपड़े भी नहीं। सुबह हम कुरीग्राम जिले के एक नजदीकी गांव गए, जहां स्थानीय लोगों ने हमें खाना दिया। हमने उन्हें बताया कि हम भारतीय हैं और मेरी और बच्चों की हालत देखकर उन्हें सहानुभूति हुई। वहां एक दंपत्ति ने हमें अपने घर में रहने की इजाजत दी। दो दिन बाद, हमने झाड़ियों के रास्ते भारत में फिर से घुसने की कोशिश की। हम वापस लौटने के लिए बेताब थे। लेकिन बीएसएफ ने हमें पकड़ लिया, पीटा और बांग्लादेश जाने को कहा।”
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एक हफ्ते तक भिखारियों की तरह सड़कों पर भटकते रहे- सुनाली
सुनाली ने बताया, “हमने भारत लौटने की उम्मीद छोड़ दी और गांव लौट आए। वहां हमारी मुलाकात बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड्स से हुई, जिन्होंने हमें 2,000 टका दिए और ढाका जाने को कहा। राजधानी में हम एक हफ्ते तक भिखारियों की तरह सड़कों पर भटकते रहे। फिर, किसी तरह हम अपने एक रिश्तेदार, फारूक शेख से संपर्क करने में कामयाब हुए और उन्होंने हमें कुछ पैसे भेजे।”
सुनाली ने बताया, “हम चपैनवाबगंज स्थित उनके घर चले गए। 21 अगस्त को पुलिस ने हमें गिरफ्तार कर लिया, जिसके बाद हमें अदालत में पेश किया गया और जेल भेज दिया गया। मुझे और मेरे बेटे को एक कोठरी में रखा गया, दूसरी महिला (स्वीटी बीबी) और उसके बच्चों को एक हॉल में। मेरे पति को पुरुषों के लिए बने वार्ड में रखा गया था। कोठरी में कोई टॉयलट नहीं था। हमें सुबह 6 बजे से शाम 4:30 बजे तक बाहर जाने की इजाजत थी और मैं कॉमन बाथरूम का इस्तेमाल करती थी। मैं पूरी तरह से टूट चुकी थी, लेकिन जेल अधिकारियों ने मेरे लिए जो कुछ भी कर सकते थे, किया।”
सोमवार को अदालत ने इस शर्त पर समूह को जमानत दे दी कि सुनाली देश छोड़कर नहीं जाएगी। अब वे शेख के घर वापस आ गए हैं। जमानत मिलने के बाद सुनाली ने सबसे पहले अपने परिवार से वीडियो कॉल पर बात की। उन्होंने बताया, “मेरी पांच साल की बेटी दिल्ली में मेरी मां और बहन के साथ है।”
वहीं सुनाली के साथ रह रही स्वीटी बीबी ने कहा, “हम सब घर जाना चाहते हैं। हम कब तक किसी और के घर में रह सकते हैं।” बुधवार को समूह के सभी सदस्य चपैनवाबगंज कोर्ट में उपस्थि हुए। सुनाली नहीं पहुंचीं। चूंकि वह गर्भवती है, इसलिए उसे छूट दे दी गई।
गेंद भारत सरकार के पाले में – शोफिक एनातुल्लाह
उनका प्रतिनिधित्व कर रहे वकील शोफिक एनातुल्लाह ने कहा, “गेंद भारत सरकार के पाले में है। अगर वे यहां दूतावास के माध्यम से समूह की वापसी के लिए अदालत में अपील करते हैं, तो अदालत द्वारा अनुरोध स्वीकार किए जाने की संभावना है। इसके बाद, बांग्लादेश बॉर्डर गार्ड्स और बीएसएफ एक फ्लैग मीटिंग करेंगे जहां उन्हें सौंप दिया जाएगा। अदालत ने 3 अक्टूबर को ढाका स्थित भारतीय दूतावास को भारतीय नागरिकों को कानूनी रूप से वापस लाने के लिए पत्र लिखा था। अदालत इन लोगों के प्रति सहानुभूति रखती है और मानवीय आधार पर उन्हें जमानत दे दी है।”
एनातुल्लाह ने कहा, “हालांकि, हमने सुना है कि केवल सुनाली और उसके बेटे को ही वापस लौटने की बात चल रही है। मेरी राय में, यह असमान व्यवहार है। अगर भारत की ओर से बहुत ज्यादा देरी होती है, तो अदालत उन्हें दोषी ठहरा सकती है। इसके अलावा, अगर बच्चा बांग्लादेश में पैदा होता है, तो कानूनी पेचीदगियां पैदा होंगी।”
