हेमंत बिस्व सर्मा नौ महीने पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए थे। अब वे भाजपा विधायक हैं और पार्टी की जीत के नायकों में से एक हैं। चुनाव जीतने के बाद उन्होंने ”इंडियन एक्सप्रेस” को बताया कि उन्हें भाजपा की जीत की उम्मीद थी। सर्मा ने कहा,”मैंने कहा था भाजपा 60 से ज्यादा सीटों पर आगे है। एजीपी 14 और बीपीएफ 12 सीट जीत रही है। मुस्लिम बहुल इलाकों को छोड़कर सब जगह हमने अच्छा प्रदर्शन किया। हमने पहाड़ों में भी पांच में से चार सीटें जीती। अब तो हमारे पास एक मुस्लिम विधायक भी है।”
कांग्रेस की हार के बारे में सर्मा ने कहा, ”जुलाई में जब मैं राहुल गांधी से मिला मैंने कहा था आप 25 सीटों से आगे नहीं बढ़ पाओगे। आज वही हो रहा है। मैंने उन्हें कहा था, ‘आप बुरी तरह हार रहे हो। उन्होंने कहा, नहीं हम जीतेंगे।’ मैंने कहा ठीक है देख लिजिए।” अब वे राहुल गांधी से क्या कहेंगे के सवाल पर उन्होंने कहा, ”मैं कहूंगा की सामंती राजनीति करना बंद करो। सीएम का बेटा अमेरिका, लंदन में पढ़ रहा था। वह गुवाहाटी आया और एक दिन सीएम ने कहा कि वह राजनीति में शामिल हो रहा है। छह महीने बाद हमें कहा गया कि वह हमारे सांसद हैं। कांग्रेस के हारने की सबसे बड़ी वजह यही परिवारवाद की राजनीति है। नेताओं के बच्चों का राजनीति में आना बुरा नहीं है लेकिन उन्हें संगठन में काम तो करने दो। हरियाणा में देखो, हुड्डा ने अपने बेटे को प्रमोट किया और कांग्रेस हार गई। असम में गोगोई ने अपने बेटे को प्रमोट किया और कांग्रेस हार गई। जहां भी मुख्यमंत्रियों ने बेटे-बेटियों को प्रमोट किया, पार्टी हार गई।”
भाजपा के प्रचार के बारे में हेमंत बिस्व सर्मा ने बताया, ”पहले वे गठबंधन करने से हिचक रहे थे। लेकिन इस बार अमित शाहजी ने एजीपी और बीपीएफ के साथ गठबंधन को बढ़ावा दिया। इससे कांग्रेस विरोधी बंटने से रूक गए। टिकट सलेक्शन स्थानीय नेतृत्व ने किया। प्रधानमंत्री को छोड़कर बाकी सभी बड़े नेताओं का प्रबंधन स्थानीय नेताओं ने किया। 25 और 27 मई में से किसी एक दिन शपथ ग्रहण हो सकता है। हमने पीएम से इस मौके पर आने की अपील की है।” उन्होंने बताया कि असम जीतने के बाद भाजपा मणिपुर और मेघालय में भी ऐसा ही प्रदर्शन करने की उम्मीद रखती है। 2019 के आम चुनावों में पूर्वोत्तर की 25 में से 20 सीट जीतना चाहते हैं।
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