देश में हाल ही में हुईं हिंसा पर लगातार विरोध-प्रदर्शन चल रहा है। इसको लेकर सियासी जगत में काफी उबाल है। सत्ताधारी भाजपा के खिलाफ पूरा विपक्ष खड़ा हो गया है। विपक्ष का आरोप है कि इसे 2024 के चुनाव में जीत हासिल करने के लिए भाजपा एक योजना के तहत अंजाम दे रही है। यह भाजपा की सियासी साजिश है। टेलीविजन चैनलों पर भी इसको लेकर खूब बहसबाजी हो रही है।
न्यूज-18 पर एंकर अमीश देवगन के साथ एक डिबेट के दौरान एक महिला ने भाजपा छोड़कर पैनल में मौजूद अन्य दलों के प्रवक्ताओं से पूछा कि “देश के टुकड़े तभी क्यों होते हैं, जब हिंदू अपने त्यौहार मनाते है। जब हिंदू जागता है, तभी देश में दंगे क्यों होते हैं। हर शुक्रवार को मुस्लिम सड़कों पर नमाज के लिए जमा होते हैं, तब कुछ नहीं होता है। मोहर्रम का जुलूस निकलता है तब कुछ नहीं होता है, लेकिन हिंदू समाज अपनी कोई शोभायात्रा निकालती है तो दंगे शुरू हो जाते हैं, ऐसा क्यों है? मुसलमान कब तक अल्पसंख्यक रहेंगे?”
इस सवाल के जवाब में शोएब जमई ने सीधे-सीधे कुछ कहने के बजाए कहा कि आप व्हाट्सअप यूनिवर्सिटी से पढ़कर आई हैं। कहा कि 130 करोड़ लोगों के बीच 20 फीसदी लोग अल्पसंख्यक ही कहे जाएंगे। 49 फीसदी लोग भी अल्पसंख्यक कहे जाएंगे। कहा कि, “अगर हिंदू इतना ही जाग गया है तो सुबह सहरी के वक्त हमें जगा दिया करें, आजकल हमें बहुत नींद आती है।”
उधर, कर्नाटक के हुब्बली में एक समुदाय की भावनाओं को आहत करने वाले एक कथित सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर हाल में हुई हिंसा के सिलसिले में गुरुवार को एक धर्मगुरु को गिरफ्तार किया गया। पुलिस सूत्रों ने बताया कि वसीम पठान को बुधवार रात मुंबई से उठाया गया, जहां वह छिपा हुआ था और आज सुबह यहां लाया गया।
वीडियो फुटेज में कथित तौर पर पठान को पुलिस की जीप पर खड़ा और पुराना हुब्बली पुलिस थाना के बाहर जमा भीड़ को संबोधित करते देखा जा सकता है। भीड़, शनिवार रात सोशल मीडिया पर सामने आये एक कथित पोस्ट में एक मस्जिद पर भगवा ध्वज लगा दिखाये जाने के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए जमा हुई थी। भाषण के बाद, भीड़ ने पुलिस के कई वाहनों को क्षतिग्रस्त कर दिया और पास के एक अस्पताल और मंदिर पर पथराव किया।