MP Politics: मध्य प्रदेश कांग्रेस में एक नया विवाद छिड़ गया है, जिसमें पार्टी के दिग्गज नेता और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह और कमलनाथ ने खुले तौर पर एक-दूसरे पर पार्टी के पूर्व दिग्गज नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत को लेकर आरोप लगाए हैं। सिंधिया की वजह से राज्य में 15 महीने की कांग्रेस की सरकार गिर गई थी, और बीजेपी ने फिर से सरकार बना ली थी।

दरअसल, हाल ही में यूट्यूब चैनल “एमपी तक” के साथ एक इंटरव्यू में 78 वर्षीय दिग्विजय ने कहा कि सिंधिया ने भाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी क्योंकि तत्कालीन सीएम कमलनाथ ने उनकी विशलिस्ट पर बिल्कुल भी काम नहीं किया था।

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क्या बोले थे दिग्वजिय सिंह?

दिग्विजय सिंह ने दावा किया है कि 2020 की शुरुआत में उन्होंने कमलनाथ और सिंधिया ने अपने मतभेदों को सुलझाने के लिए एक प्रमुख उद्योगपति के आवास पर मुलाकात की थी, जिससे कांग्रेस सरकार को खतरा पैदा हो गया था। दिग्विजय ने दावा किया कि उस बैठक के दौरान उन्होंने और सिंधिया ने कमलनाथ को ग्वालियर-चंबल क्षेत्र (सिंधिया का गढ़) से संबंधित लंबित मुद्दों की एक संयुक्त इच्छा सूची सौंपी थी, जिसका समाधान सरकार द्वारा किया जाना था, लेकिन यह कभी सुलझा ही नहीं।

इंटरव्यू में दिग्विजय सिंह ने कहा कि एक उद्योगपति थे जिनके दोनों से अच्छे संबंध थे। मैं उनके पास गया और उनसे कहा कि उनकी लड़ाई की वजह से सरकार गिर जाएगी। फिर उनके (उद्योगपति) घर पर डिनर हुआ, मैं भी वहाँ था। मैंने मसला सुलझाने की कोशिश की लेकिन जो मुद्दे तय हुए थे, उन पर अमल नहीं हुआ।

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सिंधिया के बीजेपी में जाने की नहीं थी उम्मीद

इस दौरान दिग्विजय सिंह ने यह भी कहा कि तत्कालीन कांग्रेस विधायकों के बहुमत ने मुख्यमंत्री पद के लिए कमलनाथ की दावेदारी का समर्थन किया था लेकिन सिंधिया की अपने वफादारों को कुछ महत्वपूर्ण विभाग आवंटित करने की इच्छा को पार्टी नेतृत्व ने स्वीकार कर लिया, जिससे नवंबर 2018 के विधानसभा चुनावों में पार्टी की मामूली जीत के बाद पहले वर्ष के लिए कमलनाथ सरकार का सुचारू संचालन सुनिश्चित हुआ।

कमलनाथ सरकार सिंधिया के विद्रोह के कारण गिर गई थी जो अपने 22 वफादार विधायकों को अपने साथ भाजपा के पाले में ले आए थे। इसमें से 6 मंत्री भी शामिल थे। दिग्विजय ने कहा कि अगर सिंधिया की चिंताओं पर ध्यान दिया गया होता, तो सरकार नहीं गिरती। हालाकि, उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें यह अनुमान नहीं था कि सिंधिया भाजपा में शामिल हो जाएंगे।

कमलनाथ ने क्या दिया जवाब?

दिग्विजय सिंह के बयान पर कमलनाथ ने पलटवार करते हुए कहा कि पुराने मामलों को कुरेदने का कोई मतलब नहीं है। हालांकि, यह सच है कि अपनी व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा के अलावा, ज्योतिरादित्य सिंधिया को लगता था कि सरकार दिग्विजय सिंह चला रहे हैं। इसी नाराज़गी के चलते उन्होंने कांग्रेस विधायकों को तोड़कर सरकार गिरा दी।

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जब मीडिया ने सिंधिया से दिग्विजय के दावों के बारे में पूछा तो उन्होंने टिप्पणी करने से इनकार कर दिया और कहा कि मैं अतीत पर टिप्पणी नहीं करूंगा। इस पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने दिग्विजय और कमलनाथ दोनों की टिप्पणियों को ज़्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि दोनों में एक-दूसरे के लिए स्नेह है और उनकी अपनी अलग केमिस्ट्री है। उन्होंने कहा कि वे लोगों को मुद्दों पर चर्चा के लिए प्रेरित करने की कला जानते हैं। इसलिए इस बात की चिंता न करें कि उनकी क्या इच्छाएं थीं।

दोनों के बीच अच्छे रहे हैं निजी संबंध

दिग्विजय ने हाल ही में राज्य के राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी थी जब वे सिंधिया की मौजूदगी वाले एक स्कूल के उद्घाटन समारोह में शामिल हुए थे। दर्शकों के बीच दिग्विजय को बैठा देखकर मंच पर बैठे सिंधिया नीचे उतरे, उनका हाथ पकड़ा और उन्हें मंच तक ले गए। जब इस घटनाक्रम के बारे में पूछा गया तो दिग्विजय ने इसे ज्यादा तवज्जो नहीं देते हुए कहा कि उन्हें मंच पर जाने की बजाय दर्शकों के बीच बैठना पसंद है।

प्रतिद्वंद्वी दलों से जुड़े होने के बावजूद, दिग्विजय और सिंधिया दोनों ने एक-दूसरे के साथ सौहार्दपूर्ण संबंध बनाए रखे हैं। दिग्विजय अक्सर इस बारे में बात करते रहे हैं कि कैसे कांग्रेस ने सिंधिया के पिता माधवराव सिंधिया को पार्टी में शामिल किया था, जहां वे पार्टी के एक दिग्गज नेता बने। उन्होंने यह भी दावा किया है कि सितंबर 2001 में एक हवाई दुर्घटना में माधवराव की मृत्यु के बाद, उन्होंने ज्योतिरादित्य को उचित सम्मान और सहायता प्रदान की थी। हालांकि सिंधिया के गुना लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा नहीं है, लेकिन दिग्विजय का गृह क्षेत्र राघौगढ़ गुना जिले में आता है।

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राज्य की सियासत से दूर सिंधिया

2023 के राज्य विधानसभा चुनावों में भाजपा की भारी जीत के बाद, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने सरकार की बागडोर संभाली, जिसके बाद से कमलनाथ और दिग्विजय सिंह कम सक्रिय रहे हैं। यहां तक कि सिंधिया भी राज्य की भाजपा की राजनीति से दूरी बनाए हुए नज़र आए। राज्य इकाई में सुधार का प्रयास करते हुए, कांग्रेस नेतृत्व ने हाल ही में राज्य में नए जिला कांग्रेस कमेटी (डीसीसी) प्रमुखों की नियुक्ति की, जिसमें दिग्विजय के बेटे और पूर्व मंत्री जयवर्धन को गुना का डीसीसी अध्यक्ष नियुक्त किया गया।

दिग्विजय के एक वफादार ने कहा कि दिग्विजय ने जीतू पटवारी के नेतृत्व में धीरे-धीरे अपने वफादारों को कांग्रेस में प्रमुख पदों पर नियुक्त करवाया है। ग्वालियर-चंबल में कोई विकल्प नहीं है। दिग्विजय राज्य भर के कांग्रेस नेताओं को जानते हैं और पार्टी पर उनका प्रभाव बना हुआ है।

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