Parliament Monsoon Session: संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होने वाला है। इसको लेकर सत्ता पक्ष और विपक्ष अपनी-अपनी तैयारियों में जुटी हुए हैं। कांग्रेस की प्लानिंग मोदी सरकार को संसद में पहलगाम आतंकी हमले और ऑपरेशन सिंदूर को लेकर घेरने की है। अनुमान है कि इस सत्र में सरकार और विपक्ष कई मुद्दों पर आमने सामने आ सकते हैं और टकराव बढ़ भी सकता है। वहीं कांग्रेस की रणनीति बनाने के लिए संसदीय दल की नेता सोनिया गांधी अहम बैठक करने वाली हैं।

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले वोटर लिस्ट के रिवीजन वाले चुनाव आयोग के कदम पर संसद में कड़ा विरोध हो सकता है। इसके अलावा पहलगाम आतंकी हमले, ऑपरेशन सिंदूर और उसके बाद की कूटनीतिक गतिविधियों पर चर्चा की मांग कर सकती है।

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सोनिया गांधी के आवास पर होगी बैठक

कांग्रेस संसदीय रणनीति समूह की बैठक 15 जुलाई को होगी। इसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी समेत अन्य नेताओं के शामिल होने की उम्मीद है। पार्टी सूत्रों ने बताया कि इसकी अध्यक्षता सोनिया गांधी अपने 10 जनपथ स्थित आवास पर करेंगी।

केंद्र सरकार ने घोषणा की है कि संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होगा और 21 अगस्त तक चलेगा, जो कि पूर्व नियोजित अवधि से एक सप्ताह अधिक है, जिससे भारी विधायी एजेंडे का संकेत मिलता है। पहले यह सत्र 12 अगस्त को समाप्त होना था, लेकिन अब इसे एक सप्ताह के लिए बढ़ा दिया गया है।

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अहम विधेयक लाने की प्लानिंग कर रही BJP

सत्र का समय इसलिए बढ़ाया गया है क्योंकि सरकार प्रमुख विधेयक संसद में लाने की प्लानिंग कर रही है। इसमें परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निजी क्षेत्र के प्रवेश को सुगम बनाने से संबंधित विधेयक भी शामिल है। परमाणु क्षेत्र को निजी कंपनियों के लिए खोलने का प्रस्ताव केंद्रीय बजट में किया था गया था। अब इस घोषणा को क्रियान्वित करने के लिए परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम और परमाणु ऊर्जा अधिनियम में संशोधन करने की योजना बना रही है। दूसरी ओर विपक्ष ऑपरेशन सिंदूर पर बहस की मांग कर रहा है।

इसके अलावा विपक्षी दल अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत-पाकिस्तान संघर्ष में परमाणु युद्ध को टालने के लिए मध्यस्थता के दावों पर भी सरकार से जवाब मांग रहे हैं। केंद्र सरकार ने ट्रंप के दावों को खारिज कर दिया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले महीने फोन पर ट्रंप से कहा था कि भारत ने कभी भी मध्यस्थता स्वीकार नहीं की है और भविष्य में भी इसे स्वीकार नहीं करेगा।

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