महाराष्ट्र सरकार ने कहा है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) जैसे संगठन जब तक उचित होने का प्रमाण नहीं दे देते हैं तब तक कोरोना से बचाव के लिए पतंजलि योगपीठ से बनाए गए कोरोनिल टीके को राज्य में नहीं बिकने देंगे। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि टीके की विश्वसनीयता के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से प्रमाणीकरण जरूरी है। महाराष्ट्र सरकार के इस रोक से बाबा रामदेव को बड़ा झटका लगा है।

दरअसल कोरोना महामारी से बचाव के लिए पतंजलि योगपीठ ने अपना टीका कोरोनिल लांच किया था। बाबा रामदेव का दावा था कि कोरोनिल पूरी तरह से सुरक्षित और मान्य टीका है। उन्होंने इसे पूरी तरह से स्वदेशी बताते हुए कहा था कि आत्मनिर्भर भारत में स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगपीठ का यह एक योगदान है।

हालांकि उनकी दवा को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। कई राजनीतिक दलों और संगठनों ने उनकी दवा को डब्ल्यूएचओ और आईएमए से प्रमाणित नहीं होने का आरोप लगाते हुए बिक्री पर रोक लगाने की मांग की। रामदेव ने अपनी दवा को दुनिया के 158 देशों में लांच किया था। रामदेव ने दावा किया था कि कोरोनिल पूरी तरह प्रमाणित है। लेकिन उनके दावे को डब्ल्यूएचओ ने गलत बताया था और कहा कि डब्ल्यूएचओ ने बाबा रामदेव को कोई प्रमाणपत्र नहीं दिया है।

इस बीच इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) ने पतंजलि योगपीठ की कोरोना वैक्सीन कोरोनिल का समर्थन करने पर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन पर भी सवाल उठाए। एसोसिएशन ने सोमवार को कहा कि मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के नियमों के मुताबिक कोई भी डॉक्टर किसी भी दवा का प्रमोशन नहीं कर सकता है।

कहा कि हर्षवर्धन खुद एक डॉक्टर हैं, इसलिए उन्होंने नियमों के खिलाफ काम किया है। कहा कि डॉ. हर्षवर्धन को कोरोनिल दवा को लेकर खुद प्रमोशन नहीं करना चाहिए था।