भारत में पिछले कुछ महीनों से कोरोनावायरस के मामलों में लगाातर गिरावट दर्ज की गई है। कई न्यूज रिपोर्ट्स में कहा गया कि भारत में इसका कारण एक बड़ी जनसंख्या में हर्ड इम्युनिटी का पैदा होना है। हालांकि, ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के प्रमुख डॉक्टर रणदीप गुलेरिया ने हर्ड इम्युनिटी को मिथक करार दिया है। साथ ही उन्होंने चेताया है कि भारत में कोरोनावायरस की स्ट्रेन ज्यादा खतरनाक हो सकती है और इसके कारण लोग दोबारा संक्रमित भी हो सकते हैं।
एक न्यूज चैनल से बातचीत के दौरान डॉक्टर गुलेरिया ने कहा, “भारत में कोरोनावायरस से हर्ड इम्युनिटी विकसित होना मिथक है, क्योंकि इसके लिए 80 फीसदी आबादी में एंटीबॉडीज होना जरूरी है। इसके बाद ही पूरी जनसंख्या सुरक्षित हो सकती है।” डॉ. गुलेरिया ने कहा कि भारत में नई स्ट्रेनों के मिलने की वजह से यह काफी मुश्किल है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में मिली स्ट्रेन काफी संक्रामक और खतरनाक हो सकती हैं, जिससे वे लोग भी संक्रमित हो सकते हैं, जिनमें एंटी-बॉडी डेवलप हो चुकी हैं।
‘पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप पर हो कोरोनावायरस टीकाकरण’: एम्स निदेशक ने देश हाल में कोविड-19 के मामलों में आई कमी को ‘अवसर की छोटी खिड़की’ करार देते हुए देश में बड़े स्तर पर कोरोनावायरस टीकाकरण करने के लिए सार्वजनिक-निजी साझेदारी (पीपीपी मॉडल) लागू करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि बीमारी के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने एवं संक्रमण से मृत्युदर कम करने के लिए टीका ही एकमात्र उपलब्ध हथियार है।
डॉक्टर गुलेरिया ने कहा कि अब हमें स्वास्थ्य सेवा को केंद्र में रखने की जरूरत है, लेकिन इसे सिर्फ सेवा क्षेत्र नहीं मानना चाहिए। गुलेरिया ने कहा, ‘जहां तक टीकाकरण का सवाल है तो अब भी बहुत कुछ करना है और मेरा मानना है कि अधिक निजी-सार्वजनिक साझेदारी की जरूरत है।’
निजी क्षेत्र में भी बड़े पैमाने पर शुरू हो टीकाकरण अभियान: उन्होंने कहा कि धीरे-धीरे से इस क्षेत्र को खोलने की जरूरत है ताकि अधिक संख्या में लोगों का टीकाकरण हो सके। उन्होंने कहा कि हमें एक ऐसी प्रणाली विकसित करने की जरूरत है जहां पर सरकारी और निजी क्षेत्र वास्तव में बड़े पैमाने पर टीकाकरण अभियान शुरू कर सके।
एम्स के निदेशक ने कहा, ‘मेरी व्यक्तिगत राय है कि हमें अवसर की खिड़की मिली है क्योंकि हमारे यहां मामले कम हो रहे हैं लेकिन यह स्थिति कभी भी बदल सकती है जैसा हमने दुनिया के विभिन्न हिस्सों में खासतौर पर अलग-अलग देशों में वायरस का नया स्वरूप आने से देखा है।’’ उन्होंने कहा, ‘इसलिए हमें इस पल को नहीं खोना चाहिए और बड़े पैमाने पर अपने नागरिकों के टीकाकरण की कोशिश करनी चाहिए जो काफी हद तक कोविड-19 महामारी से रक्षा करेगा।’