Rail Blockade Case: गुजरात कांग्रेस विधायक जिग्नेश मेवाणी को अहमदाबाद मजिस्ट्रेट कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। कोर्ट मंगलवार को जिग्नेश और 30 अन्य को 2017 के एक मामले में बरी कर दिया है। 2017 में कांग्रेस विधायक समेत इन सभी पर गैरकानूनी तरीके से एकत्रित होने और अहमदाबाद के कालूपुर रेलवे स्टेशन पर राजधानी ट्रेन को बाधित करने का आरोप था, ट्रेन नई दिल्ली जा रही थी।
मेवाणी और उनके तत्कालीन सहयोगी राकेश महेरिया और अहमदाबाद जिले के सरोदा गांव की 13 महिलाओं सहित 29 अन्य लोगों पर आईपीसी की धारा 143 (गैरकानूनी सभा), 147 (दंगा), 149 (सामान्य वस्तु गैरकानूनी सभा), 332 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना) के तहत मामला दर्ज किया गया था।लोक सेवक को कर्तव्यों से रोकना) और 120 बी (आपराधिक साजिश) के साथ-साथ रेलवे अधिनियम धारा 153 के तहत मामला दर्ज किया गया था।
मेवाणी ने सरोदा गांव के निवासियों के साथ मिलकर भूमि भूखंडों पर कब्जे की मांग करते हुए विरोध प्रदर्शन किया था, जो दलितों को आवंटित किए गए थे, लेकिन प्रभावशाली उच्च जाति के लोगों के कब्जे में थे।
11 जनवरी, 2017 को दर्ज की गई एफआईआर के मुताबिक, मेवाणी अन्य प्रदर्शनकारियों के साथ ट्रेन के इंजन पर चढ़ गए थे और रेल ट्रैक पर लेटकर ट्रेन के मार्ग को बाधित कर दिया था।
बचाव पक्ष के एक वकील गोविंद परमार के अनुसार, अभियोजन पक्ष के लगभग 70 गवाहों से पूछताछ की गई, जिसके बाद पीएन गोस्वामी की मजिस्ट्रेट कोर्ट ने मामले के सभी 31 आरोपियों को बरी कर दिया, जिनमें 13 महिलाएं भी शामिल थीं।
इससे पहले, नवंबर 2023 और अक्टूबर 2022 में अतिरिक्त मजिस्ट्रेट गोस्वामी ने मेवाणी को अन्य आरोपियों के साथ दो अन्य मामलों में बरी कर दिया था, जहां 2016 में विरोध प्रदर्शन के लिए दंगा के आरोप लगाए गए थे।
कौन हैं जिग्नेश मेवाणी?
जिग्नेश मेवाणी का जन्म 11 दिसंबर 1982 में गुजरात के अहमदाबाद जिले में हुआ था। जिग्नेश मूल रूप से मिउ गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता का नाम नटवर भाई परमार है। उनकी माता का नाम चंद्रबेन है। जिग्नेश मेवाणी पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि मेवाणी हमेशा थोड़े बहुत आदर्शवादी लगते थे। उनके पिता का कहना है कि मेवाणी हमेशा से जेल जाने को तैयार रहते हैं। उनके पिता 1987 में अहमदाबाद नगर निगम से एक क्लर्क के रूप में सेवानिवृत्त हुए। मेवाणी की राजनीतिक यात्रा के दौरान उनका परिवार हमेशा उनके साथ रहा है। उनका पूरा परिवार उनके साथ ऊना मार्च में शामिल हुआ था। उनके पिता परमार ने मेवाणी की अधिकांश चुनावी रैलियों में भाग भी लिया और 2017 में वडगाम में उनके लिए प्रचार भी किया था। उन्होंने 20 गांवों की कमान भी संभाली थी। उनके पिता परमार ने अपने बेटे की रिहाई के लिए हुए सभी प्रदर्शनों का भी हिस्सा भी बने थे।
दलित आंदोलन से उभरे जिग्नेश
गुजरात के सौराष्ट्र इलाके के उना गांव में दलितों पर हुए अत्याचार के बाद विरोध प्रदर्शन हुआ था। जिग्नेश मेवानी ने अहमदाबाद से उना तक दलित अस्मिता यात्रा की थी, जो 15 अगस्त 2016 को खत्म हुआ था। इस आंदोलन में दलित महिलाओं सहित कुछ 20,000 दलितों ने भाग लिया था।