कांग्रेस ने केंद्र की भाजपा सरकार पर दोहरा रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि राहुल गांधी पर अयोग्यता की कार्रवाई जितनी तेजी से हुई उतनी ही तेजी से भाजपा ने अपने सांसद पर 2016 में कोई कार्रवाई नहीं की। पार्टी ने कहा कि राहुल गांधी “बिजली की रफ्तार” से लोकसभा की सदस्यता से अयोग्य ठहरा दिए गये, जबकि आपराधिक केस में दोषी ठहराये गये गुजरात के एक सांसद के खिलाफ उसी तरह एक्शन नहीं लिया गया।

68 वर्षीय किसान और पाटीदार नेता कछाड़िया 2009 से सांसद हैं

13 अप्रैल 2016 को अमरेली के भाजपा सांसद नारनभाई भीखाभाई कछाड़िया (Naranbhai Bhikhabhai Kachhadiya) को तीन वर्ष की सजा सुनाई गई थी। उनको उस पर 16 दिन बाद स्थगन आदेश मिला, लेकिन उस समय लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने उनको अयोग्य नहीं ठहराया। 2009 से सांसद 68 वर्षीय किसान और पाटीदार नेता कछाड़िया 2019 के लोकसभा चुनाव में अमरेली से भाजपा के टिकट पर फिर से जीते थे।

कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने स्पीकर को पत्र लिख चर्चा की मांग की

मानहानि के एक मामले में दोषी ठहराए जाने और दो साल की सजा सुनाए जाने के एक दिन बाद राहुल गांधी को इस आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया कि सांसद के रूप में उनके निष्कासन की प्रक्रिया दो साल की सजा सुनाते ही अपने आप शुरू हो गई। मंगलवार को लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने अध्यक्ष ओम बिरला को पत्र लिखकर राहुल की अयोग्यता पर चर्चा की मांग करते हुए कछाड़िया के मामले का हवाला दिया।

कछाड़िया को एक सरकारी अस्पताल में ड्यूटी पर तैनात एक दलित डॉक्टर पर हमला करने के आरोप में दोषी ठहराया गया था, अदालत ने उन्हें अपील करने के लिए 30 दिन का समय दिया था। अमरेली के सांसद ने पहले गुजरात उच्च न्यायालय का रुख किया, हालांकि कोर्ट ने उनकी सजा को निलंबित कर दिया, लेकिन उसने दोषसिद्धी पर रोक नहीं लगाई, जो एक सांसद के रूप में उनकी अयोग्यता को रोकने के लिए जरूरी था। इस आधार पर स्थगन के लिए एक असाधारण मामला नहीं बनाया गया था। आखिरकार 29 अप्रैल 2016 को कछाड़िया को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल गई।

एक सूत्र ने बताया कि लोकसभा सचिवालय के सूत्रों ने स्वीकार किया कि 2016 में गुजरात के सांसद को अयोग्य घोषित करने वाली अधिसूचना जारी करने में देरी हुई थी। हालांकि ट्रायल कोर्ट से दोषसिद्ध होने के बाद गुजरात के कांग्रेस नेता तब के राष्ट्रपति रामनाथ नाइक, स्पीकर सुमित्रा महाजन और चुनाव आयोग से उनको अयोग्य ठहराने की मांग की थी। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। जब गुजरात उच्च न्यायालय ने सांसद को राहत देने से इनकार कर दिया, तब कांग्रेस ने फिर से कार्रवाई की मांग की।

सूत्र ने कहा, “निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराए जाने के 16 दिन बाद 29 अप्रैल को कछाड़िया को बरी कर दिया गया था। पूरी प्रक्रिया के दौरान वे सांसद बने रहे। 2019 में फिर से भाजपा द्वारा टिकट दिया गया और वे फिर निर्वाचित हो गये।”

सुमित्रा महाजन ने द इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि उन्हें मामले का सटीक विवरण याद नहीं है और उन्हें रिकॉर्ड देखना होगा। कछाड़िया ने तर्क दिया कि उनका मामला अलग था, क्योंकि वह “कानूनी प्रक्रिया का पालन किये थे” जबकि कांग्रेस को “देश के संस्थानों में भरोसा नहीं है।” “अधीर रंजन चौधरी, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, गुजरात से राज्यसभा सांसद शक्तिसिंह गोहिल आदि राहुल की अयोग्यता के बाद से अलग-अलग बयान दे रहे हैं। भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है और भारत का संविधान दुनिया का सबसे बड़ा संविधान है, लेकिन कांग्रेस के नेताओं को संविधान, न्यायपालिका या कानून-प्रवर्तन एजेंसियों में विश्वास नहीं है।”