देवभूमि हिमाचल में जुब्बल कोटखाई में कुछ साल पहले 16 साल की गुडिया से बलात्कार और हत्या की वारदात ने सबको हिला कर रख दिया था तो मंडी जिले में वन काटुओं ने वन रक्षक होशियार सिंह की लाश को पेड़ से लटका कर शर्मसार कर दिया था। अभी इन दोनों ही मामलों में असली मुलजिमों तक पुलिस प्रशासन की पहुंच नहीं हो पाई है और अब जून महीने में जब पूरा देश भयंकर गर्मी से तप रहा है तो मनोहर हत्याकांड़ ने अपेक्षाकृत ठंडे प्रदेश को उबाल कर रख दिया है।
यह वाकया हिमाचल-जम्मू कश्मीर की सीमा पर चंबा जिले के दूरस्थ व दुर्गम सलूणी उपमंडल के गांव भांदल में घटा है। जो कुछ भी हुआ ऐसा हिमाचल में इससे पहले कभी नहीं हुआ। पुलिस की जांच में जो सामने आया है उसके अनुसार घोड़े खच्चर पाल कर उनके जरिए मजदूरी करने वाले 21 साल के मनोहर को उसी गांव के मुसलिम समुदाय के एक परिवार ने पहले हत्या करके फिर उसकी लाश को टुकड़े करके बोरे में भर नाले में दबा दिया।
इस हत्याकांड ने जहां प्रदेश की सात महीने पुरानी सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा कर दी है, वहीं विपक्ष को सरकार पर हमला करने का बड़ा मौका दे दिया है। यूं तो पुलिस ने मुसलिम परिवार के सभी सदस्यों का गिरफ्तार कर लिया मगर इस हत्याकांड ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
मनोहर दलित परिवार से था। बताया जाता है कि उसके मुसलिम परिवार की दो लड़कियों के साथ प्रेम संबंध थे। पांच जून को जब वह रोजाना की तरह अपने घोड़े खच्चरों के साथ काम पर गया तो रास्ते में ही इस मुसलिम परिवार के घर चला गया और जब उस वहां पर लड़की के चाचा ने उसे वहां चाय पीते देख लिया और उसने बाकी परिवार के लोगों को बुलाकर पहले मनोहर को जान से मार डाला।
मनोहर जब रात को घर नहीं पहुंचा, सभी रिश्तेदारों के यहां उसका पता किया गया तो छह जून को उसकी थाने में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज करवा दी। मामला दो समुदायों से जुड़ा था, यह क्षेत्र मुसलिम बहुल भी है। सीमा जम्मू कश्मीर से भी लगती है।
इसी क्षेत्र में कई साल पहले सतरूंडी जैसा कांड हो चुका है, जहां पर 35 हिंदुओं को मौत के घाट उतारा जा चुका है। इलाके के कुछ और युवाओं के भी गायब होने व अब तक पता न चलने की भी सूचनाएं हैं, ऐसे में देखते-देखते मामला गंभीर हो गया।
इसी बीच, जब मनोहर की खच्चरें एक ही जगह पर दो दिन से खड़ी पाई गईं तो पुलिस व परिजनों का माथा ठनका। आसपास खोज की गई तो वहीं पर नाले में 9 जून को उसका टुकड़े-टुकड़े शव मिला। सवाल यही है कि संवेदनशील क्षेत्र में हो रही इस तरह की गतिविधियां यदि समय रहते रोक दी जाएं, ऐसे तत्वों को यदि अलग थलग कर दिया जाए तो शायद ही 21 साल के मनोहरकी इस तरह हत्या करने की हिम्मत किसी में होती। गुडिया कांड के बाद होशियार और अब मनोहर, यह देवभूमि हिमाचल के लिए एक बड़ी चुनौती है।
मनोहर हत्याकांड से उबला राज्य
मनोहर हत्याकांड से पूरे प्रदेश में बवाल मच गया। स्थानीय लोग सड़कों पर आ गए। थाने का भी घेराव हो गया। बेकाबू भीड़ ने आरोपी परिवार के मकान जला दिए। पूर्व मुख्यमंत्री व नेता प्रतिपक्ष के साथ प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष डा राजीव ंििबंदल समेत भाजपा का एक बड़ा दल पीड़ित परिवार से मिलने गया तो उसे रास्ते में ही रोक दिया गया। आसपास के क्षेत्रों के लोगों ने अपने कारोबार बंद रखे। इस हत्याकांड के विरोध में पूरे प्रदेश में जिला व मंडल स्तर पर धरना प्रदर्शन हुआ। पुलिस प्रशासन को इलाके में धारा 144 लगानी पड़ी।
जांच शुरू हुई तो परतें खुलने लगीं। हत्यारोपी परिवार की कई बीघा सरकारी वन भूमि पर कब्जे की बात सामने आई। एक करोड़ रुपए के 2000 के नोट पिछले दिनों बैंकों से बदलवाने जैसा खुलासा हुआ और सीमा पार से मदद की चर्चाएं भी सुनने को मिलीं। करोड़पति नहीं बल्कि अरबपति परिवार द्वारा किए गए इस कांड को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे होने लगे
सुक्खू सरकार के लिए चुनौती
मनोहर हत्याकांड ने जहां प्रदेश की सात महीने पुरानी सुखविंदर सिंह सुक्खू सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती पैदा कर दी है, वहीं विपक्ष को सरकार पर हमला करने का बड़ा मौका दे दिया है। यूं तो पुलिस ने मुसलिम परिवार के सभी सदस्यों का गिरफ्तार कर लिया मगर इस हत्याकांड ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।
हिमाचल-जम्मू कश्मीर की सीमा पर चंबा जिले में कई साल पहले सतरूंडी जैसा कांड हो चुका है, जहां पर 35 हिंदुओं को मौत के घाट उतारा जा चुका है। इलाके के कुछ और युवाओं के भी गायब होने व अब तक पता न चलने की भी सूचनाएं हैं, ऐसे में देखते-देखते मामला गंभीर हो गया।
मनोहर दलित परिवार से था। मनोहर जब रात को घर नहीं पहुंचा, सभी रिश्तेदारों के यहां उसका पता किया गयाजब मनोहर की खच्चरें एक ही जगह पर दो दिन से खड़ी पाई गईं तो पुलिस व परिजनों का माथा ठनका। आसपास खोज की गई तो वहीं पर नाले में 9 जून को उसका टुकड़े-टुकड़े शव मिला।