राज्यसभा में बुधवार को सामाजकि न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास अठावले ने एक सवाल के लिखित जवाब में कहा था कि पिछले चार साल में सीवरों की हाथ से सफाई के दौरान 389 लोगों की मौत हुई है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर सरकार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि सरकार पूर्ण रूप से विफल है।
कांग्रेस नेता ने ट्वीट किया कि सरकार के जवाब से पता चलता है कि भारत सरकार मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट (2013) को लागू करने में असफल रही है। साथ ही उन्होंने लिखा कि प्रोएक्टिव कदम उठाए जाने चाहिए। राज्यसभा में मंत्री ने बुधवार को कहा था कि पिछले तीन साल में सीवर और सैप्टिक टैंक को साफ करते हुए 210 लोगों की जान गयी थी। जिनमें से राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों ने 165 मामलों में मृतकों के परिजनों को मुआवजा दिया था। साथ ही उन्होंने कहा था कि देश के 17 राज्यों में हाथ से मैला ढोने वाले 66,692 लोगों की पहचान की गयी है।
क्या है मैनुअल स्कैवेंजिंग एक्ट?: इस अधिनियम के तहत लोगों के मैनुअल स्कैवेंजिंग के रूप में रोजगार पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इस अधिनियम के तहत सूखे शौचालयों के निर्माण को भी प्रतिबंधित किया गया है। इसके तहत हाथ से मैला साफ कराने को अपराध मानते हुए आर्थिक दंड और कारावास दोनों ही आरोपित करने का प्रावधान है।
सबसे अधिक मौत उत्तर प्रदेश में : हाल ही में लोकसभा में सरकार की तरफ से बताया गया था कि सीवर सफाई करने के दौरान सबसे अधिक मौत उत्तर प्रदेश में हुई है। उत्तर प्रदेश में पिछले पांच साल में 52 लोगों की जान गयी है। तमिलनाडु में 43, दिल्ली में 36, महाराष्ट्र में 34 और गुजरात तथा हरियाणा में 31-31 लोगों की मौत हुई है।
10 लाख रुपये मुआवजे की है बात: गौरतलब है कि साल 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि अगर सीवर की सफाई करते हुए किसी की मौत होती है तो पीड़ित परिवार को 10 लाख रूपये मुआवजे दिए जाए।
