सरकार अब कोरोनावायरस के मरीजों की देखरेख की अपनी नीति में बदलाव करने जा रही है। नई नीति के तहत अब सिर्फ उन्हीं कोरोना संक्रमितों को अस्पताल में भर्ती किया जाएगा, जिन्हें इसकी असल में जरूरत होगी। इससे पहले अब तक सभी कोरोना संक्रमितों को अस्पताल में रखा जाता था। हालांकि, जैसे-जैसे संक्रमितों की संख्या में इजाफा हो रहा है, वैसे ही पीड़ितों को घर पर ही क्वारैंटाइन करने और उनकी फोन के जरिए मॉनिटरिंग पर चर्चा शुरू हो गई।
सरकार के सूत्रों के मुताबिक, उच्चस्तरीय वार्ता में फिलहाल इस पर चर्चा हो रही है कि हॉस्पिटल के बेड्स का ज्यादा से ज्यादा सही इस्तेमाल हो और स्वास्थ्यकर्मियों को कम से कम संक्रमितों के संपर्क में लाया जाए। भारत ने अभी तक कोरोना संक्रमित होने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के बचाव के लिए उन्हें हाइड्रोक्सीक्लोरोक्विन दवा लेने की सलाह दी है। हालांकि, अब तक ऐसी कोई लिस्ट जारी नहीं की जिसमें कोरोनावायरस से संक्रमित डॉक्टरों और नर्सों की संख्या का खुलासा किया गया हो।
अभी तक के नियमों के अनुसार कोरोना के लक्षण वाले किसी भी मरीज को भर्ती करने का फैसला उसका इलाज कर रहे फिजिशियन को ही करना होता है और जब तक उसके टेस्ट रिजल्ट नहीं आ जाते, तब तक उसे किसी अस्पताल में आइसोलेशन में रखा जाता है और लक्षण के हिसाब से उशका इलाज किया जाता है।
हालांकि, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से जारी गाइडलाइंस के मुताबिक, जिन मरीजों में कोरोना के हल्के लक्षण हैं, उन्हें अस्पताल में तब तक भर्ती करने की जरूरत नहीं, जब तक उनकी हालत गंभीर नही हो जाती। यानी जिन भी मरीजों में हल्का बुखार, कफ और भारी गले की समस्या तो होती है, लेकिन सांस की समस्या नहीं है, उन्हें अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं है। सिर्फ गंभीर परिस्थिति में ही उन्हें एडमिट किया जाना चाहिए।
Coronavirus से जुड़ी जानकारी के लिए यहां क्लिक करें: कोरोना वायरस से बचना है तो इन 5 फूड्स से तुरंत कर लें तौबा | जानिये- किसे मास्क लगाने की जरूरत नहीं और किसे लगाना ही चाहिए |इन तरीकों से संक्रमण से बचाएं | क्या गर्मी बढ़ते ही खत्म हो जाएगा कोरोना वायरस?
सूत्रों के मुताबिक, कोरोनावायरस मरीजों की अभी चार कैटेगरी हैं। पहली कैटेगरी उनकी है, जिन्हें सिर्फ आइसोलेशन में रखा जाता है, ताकि वे दूसरों को संक्रमित न कर दें। दूसरी कैटेगरी उनकी है, जिन्हें ऑक्सीजन की जरूरत पड़ सकती है और उन्हें देखरेख की जरूरत है। तीसरी कैटेगरी उन लोगों की है, जिन्हें आईसीयू में भर्ती करने के बाद उनकी लगातार निगरानी करनी पड़ती है। चौथी कैटेगरी में वे लोग हैं, जिन्हें वेंटिलेटर पर ही रखा पड़ता है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, कोरोनावायरस से संक्रमित 80-85% लोगों में हल्के लक्षण ही देखे जाते हैं। इसलिए उन्हें घर पर ही अलग-थलग रखने की योजना तैयार की जा रही है। उनकी हर रोज फोन के जरिए निगरानी हो सकती है। अगर जरूरत पड़ती है, तो उन्हें तुरंत अस्पताल में भी शिफ्ट किया जा सकेगा।
कोरोना संक्रमितों के इलाज में जुटे सरकारी अस्पताल के सूत्रों का कहना है कि हमें किस को भर्ती करना है, यह इस बात पर निर्भर है कि मरीज की श्वसन दर क्या है, उसका ब्लड प्रेशर, खून में ऑक्सीजन का स्तर, उम्र, स्वास्थ्य से जुड़ी पहले की कोई समस्या जैसे- हाइपरटेंशन, डायबिटीज, किडनी या लिवर की बीमारी कितनी गंभीर है। इसी के आधार पर किसी को आईसीयू में भर्ती करने का फैसला होता है।