नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के खिलाफ अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में भाषण देने जा रहे पूर्व पुलिस आईजी अब्दुल रहमान को रविवार को पुलिस ने लोढ़ा में रोक लिया और वापस दिल्ली भेज दिया। पूर्व आईपीएस अधिकारी ने बताया कि उन्हें छात्र संगठन ने सीएए, एनआरसी और एनपीआर पर बोलने के लिए बुलाया था। इसलिए वे यहां आ रहे थे। कहा कि किसी को भी अपनी बात रखने से रोकना उचित नहीं है। सबको विरोध करने का संविधान ने अधिकार दिया है।
अब्दुल रहमान ने कहा, “मुझे एएमयू स्टूडेंट यूनियन ने सीएए, एनआरसी, एनपीआर पर बोलने के लिए बुलाया था। जब मैं खेड़ा पहुंचा तो मुझे पुलिस स्टेशन ले जाया गया और वे बोले कि यदि मैं वहां गया तो कुछ समस्या आ जाएगी और कानून-व्यवस्था का खतरा है।” उन्होंने कहा, “इसलिए मैं वही करूंगा जो मुझे कहा गया है और मैं उनकी भावना समझता हूं। उनके निवेदन पर मैं दिल्ली वापस जा रहा हूं।”
एक पुलिस अधिकारी ने कहा, “अब्दुल रहमान को विश्वविद्यालय में बुलाया गया था। जब मुझे सूचना मिली तो मैंने उन्हें पुलिस स्टेशन ले आया और उन्हें वापस जाने को कहा। वे मान गए और वापस चले गए।” वह आईपीएस अधिकारी थे और दिसंबर में नौकरी से इस्तीफा दे दिए थे। उनका कहना था कि वे ऐसे कानून को लागू होते हुए नहीं देख सकता। इसलिए इस्तीफा दे रहा हूं।
रहमान ने कहा कि नागरिकता संशोधन कानून संविधान के मूल भावना के खिलाफ है। वह संसद से पारित इस विधेयक की निंदा करते हैं। उन्होंने कहा था, “मैंने तय किया कि नौकरी नहीं करूंगा। इसलिए मैंने इस्तीफा सौंप दिया था। मैंने उनके प्रति अपना खेद जताता हूं, जो मुझे पीड़ितों को न्याय दिलाने के लिए नौकरी करते हुए देखना चाहते हैं।” कहा कि अब वह पीड़ितों और वंचितों को न्याय दिलाने के लिए संघर्ष करेंगे। नौकरी में रहते हुए यह संभव नहीं था।