सर्विस से रिटायर हो चुकी नर्सिंग अधिकारियों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और पीएम नरेंद्र मोदी से अपने अधिकार के लिए गुहार लगाई है। पूर्व सैन्य नर्सिंग अधिकारियों की मांग है कि उन्हें भी रिटायरमेंट के बाद पूर्व सैनिक (ईएसएम) का दर्जा मिले। जिससे वे रिटायरमेंट के बाद मिलने वाली सुविधाओं के लाभ ले सकें। पूर्व नर्सिंग अधिकारियों का कहना है कि सरकार सेना में महिला सशक्तिकरण पर बयान दे रही है मगर रिटायर नर्सिंग सैनिकों को पूर्व सैनिक होने का दर्जा नहीं दे रही है।

सरकार नहीं दे रही पूर्व सैनिक का दर्जा

पूर्व-एमएनएस अधिकारी कल्याण संघ ने मीडिया से कहा कि सरकार, पूर्व एमएनएस अधिकारियों को पूर्व सैनिक का दर्जा देने से लगातार इनकार कर रही है। पूर्व-एमएनएस अधिकारी की सर्विस से रिटायर हो चुकीं कैप्टन सीमा ने कहा, “यह एक कड़वा सच है कि एमएनएस अधिकारियों को ईएसएम का दर्जा देने से इनकार कर दिया गया है।

जिससे सिविल सेवाओं में उम्र में छूट और नौकरी का अधिकार खत्म हो गया है। इसके कारण दोबारा सरकारी नौकरी पाने का अवसर भी खत्म हो गया है। इस कारण एमएनएस अधिकारी पूर्व कर्मियों दी गई आरक्षण का लाभ नहीं ले सकती हैं।

एसोसिएशन की महासचिव मेजर स्नेहलता माथुर भी अपनी सर्विस से रिटायर हो चुकी हैं। उन्होंने एक पूर्व महिला अधिकारी का उदाहरण दिया। जिन्होंने पंजाब लोक सेवा आयोग में नौकरी के लिए अप्लाई किया था मगर उनके आवेदन अमान्य करार दिया गया क्योंकि उन्हें एक्स सर्विसमैन का दर्जा नहीं प्राप्त है।

कोर्ट ने क्या कहा

मामले में पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि एमएनएस के सदस्य पिछले 80 सालों से देश की सेवा कर रहे हैं। महिला होने के बावजूद इन्होंने काफी कठिन परिस्थितियों में अपना कर्तव्य निभाया है। फिर इन्हें पूर्व सैनिकों को मिलने वाला अधिकार नहीं मिलता। यह दिल को दुखाने वाली बात है। दरअसल, सैन्य नर्सों ने पहली बार नई दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में मार्च कर रही थीं फिर भी उन्हें पूर्व सैनिक का दर्जा देने से इनकार कर दिया गया।

एमएनएस अधिकारियों का कहना है कि कई ऐसी सरकारी नौकरियां हैं जिसके लिए वे आवेदन नहीं कर सकती हैं क्योंकि उनकी उम्र अधिक होती है। अगर उनके पास पूर्व सैनिक का अधिकार होते तो वे आरक्षण का लाभ ले सकतीं।

नर्सिंग अधिकारियों के परेड करने का कोई मतलब नहीं

कमांड हॉस्पिटल वेस्टर्न कमांड के एक एमएनएस अधिकारी ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि पहले एमएनएस अधिकारियों को सैन्य सेवा से रिहाई के बाद ईएसएम का दर्जा मिलता था लेकिन अनियमित नीतियों के कारण यह दर्जा वापस ले लिया गया है। जब एमएनएस को पूर्व सैनिका का दर्जा देने से इनकार किया जा रहा है तो इन युवा नर्सिंग अधिकारियों को गणतंत्र दिवस परेड में मार्च करने का कोई मतलब नहीं है। पूर्व नर्सिंग अधिकारियों ने कहा कि नौकरियों में अवसरों की कमी के अलावा, ईएसएम का दर्जा न दिया जाना उनके लिए अपमानजनक है।

केंद्रीय सैनिक बोर्ड (केएसबी) द्वारा 2014 में जारी एक नीति पत्र में पूर्व सैनिकों के रूप में एमएनएस अधिकारियों की स्थिति को स्पष्ट करने की कोशि की गई थी और कहा गया था कि उन्हें ईएसएम का दर्जा प्राप्त है। हालांकि, 2019 में बोर्ड ने एक पत्र जारी कर पहले के आदेशों को रद्द कर दिया। इसके बाद एमएनएस अधिकारियों के रिटायर होने के बाद उन्हें पूर्व सैनिक माने जाने से इनकार कर दिया गया। अब देखना है कि मोदी सरकार एमएनएस अधिकारियों की इस गुहार पर क्या फैसला लेती है?