नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता फारूक अब्दुल्ला ने पाकिस्तान के साथ शांति वार्ता में शामिल नहीं होने के लिए भारत सरकार की आलोचना की है। फारूक अब्दुल्ला चेतावनी दी कि अगर बातचीत के जरिए समाधान नहीं निकाला गया तो भारत का भी गाजा जैसा ही हश्र हो सकता है। पत्रकारों से बात करते हुए फ़रूक अब्दुल्ला ने पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का जिक्र करते हुए कहा, “हम अपने दोस्त बदल सकते हैं लेकिन अपने पड़ोसी नहीं।” और इस बात पर जोर दिया कि अगर मैत्रीपूर्ण संबंध बनाए रखे गए तो भारत और पाकिस्तान दोनों देशों को फायदा होगा।

फारूक अब्दुल्ला ने पीएम मोदी का जिक्र करते हुए कहा कि पीएम मोदी भी कह चुके हैं कि युद्ध कोई विकल्प नहीं है और मामले बातचीत से सुलझने चाहिए। अब्दुल्ला ने कहा, “लेकिन यहां संवाद है? नवाज शरीफ प्रधानमंत्री (पाकिस्तान के) बनने वाले हैं और वे कह रहे हैं कि हम भारत के साथ बात करने के लिए तैयार हैं, लेकिन क्या कारण है कि हम बात करने के लिए तैयार नहीं हैं? यदि हम बातचीत के माध्यम से समाधान नहीं ढूंढते हैं, तो हमारा भी गाजा और फिलिस्तीन जैसा ही हश्र होगा, जिन पर इजराइल द्वारा बमबारी की जा रही है।”

रजौरी में हुए हमले के बाद आई टिप्पणी

लोकसभा सांसद फारूक अब्दुल्ला की ताजा टिप्पणी जम्मू-कश्मीर के राजौरी जिले सेना के दो वाहनों पर आतंकवादी हमले में चार सैनिकों के मारे जाने के कुछ दिनों बाद आई है।

इस साल जनवरी में पाकिस्तान के प्रधान मंत्री शहबाज शरीफ ने कहा था कि इस्लामाबाद भारत के साथ शांति से रहना चाहता है और उन्होंने कश्मीर के मुद्दे पर प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी के साथ गंभीर और ईमानदार चर्चा की पेशकश की है। हालांकि भारत का कहना है कि जब तक सीमा पार आतंकवाद की नीति को निरस्त नहीं किया जाता तब तक पड़ोसी देश के साथ सामान्य संबंध रखना संभव नहीं है। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा था,“हम आतंकवाद को सामान्य बनाने की अनुमति नहीं दे सकते, हम पाकिस्तान के साथ ऐसी को चर्चा नहीं चाहते।”