सदन से पास हुए कृषि विधेयक का पंजाब और हरियाणा में सबसे ज्यादा विरोध किया जा रहा है। दरअसल इसकी वजह इस विधेयक का वो प्रावधान है, जिसमें किसानों को अपनी फसल कहीं पर भी बेचने की छूट दी गई है। इसका असर क्या होगा कि अभी तक जिस तरह से किसान मंडियों में अपनी फसल बेचते थे, वैसे अब वो देश के किसी भी हिस्से में अपनी फसल बेच सकेंगे। हालांकि इससे मंडियों की अहमियत घटेगी।
पंजाब और हरियाणा में चूंकि मंडियों का बड़ा नेटवर्क है और काफी व्यवस्थित भी है। जिसकी वजह से किसान मंडियों में अपनी फसल को बेचकर मुनाफा कमा रहे हैं लेकिन नए विधेयक में मंडियों के अहमियत कम होने की आशंका से किसान सड़कों पर उतर आए हैं। इसके अलावा न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भी स्पष्टता नहीं है। दरअसल सरकार ने किसानों से फसल खरीद की बात नहीं की है, जिससे किसानों में एमएसपी को लेकर अनिश्चितता है।
बता दें कि हरियाणा में कृषि विधेयक के विरोध में किसान खुलकर सामने आ गए हैं। भारतीय किसान यूनियन, हरियाणा ने प्रदेश भर में सड़क जाम आंदोलन का आह्वान किया है। विरोध प्रदर्शन कर रहे भाकियू नेताओं का दावा है कि उन्हें 17 किसान यूनियनों का समर्थन हासिल है। वहीं हरियाणा सरकार ने बातचीत की पेशकश की है लेकिन किसान विरोध प्रदर्शन पर अड़े हैं। बहरहाल हालात देखते हुए राज्य में बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किया गया है। विरोध प्रदर्शन में आढ़तिया या कमीशन एजेंट भी शामिल हुए हैं।
इस बीच, पंजाब युवा कांग्रेस भी इन विधेयकों के खिलाफ पंजाब से दिल्ली तक ”ट्रैक्टर रैली” निकाल रही है। रैली मोहाली जिले से शुरू हुई और राष्ट्रीय राजमार्ग पर अंबाला से होते हुए दिल्ली आ रही है। हरियाणा-पंजाब सीमा पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है। पुलिस विभाग के सूत्रों ने यह जानकारी दी।
Highlights
रेलवे की ओर से चलाई गई तीसरी किसान रेल दो दिनों में बंगलुरू से दिल्ली पहुंचेगी। इस तीसरी किसान रेल को बंगलुरू सिटी के KSR रेलवे स्टेशन से चलाया गया। ये ट्रेन बंगलुरू से 30 टन सब्जियां, फल सहित अन्य एग्रीकल्चर प्रोडक्ट लेकर दिल्ली के लिए रवाना हुई। ट्रेन संख्या 00625, 21 सितम्बर को निजामुद्दीन रेलवे स्टेशन पर पहुंचेगी।
केंद्र सरकार ने साफ किया है कि राज्यों की कृषि उत्पादन विपरण समिति यानि एग्रीकल्चरल प्रोड्यूस मार्केट कमेटी (APMC) के अधिकार बरकरार रहेंगे। इसलिए किसानों के पास सरकारी एजेंसियों का विकल्प खुला रहेगा। नए बिल किसानों को इंटरस्टेट ट्रेड (अंतरराज्यीय व्यापार) को प्रोत्साहित करते हैं, किसान अपने उत्पादों को दूसरे राज्य में स्वतंत्र रूप से बेच सकेंगे।
विपक्ष पर हमला करते हुए पीएम मोदी ने कहा, "कृषि क्षेत्र में इन ऐतिहासिक बदलावों के बाद, इतने बड़े व्यवस्था परिवर्तन के बाद कुछ लोगों को अपने हाथ से नियंत्रण जाता हुआ दिखाई दे रहा है. इसलिए अब ये लोग MSP पर किसानों को गुमराह करने में जुटे हैं. ये कानून, ये बदलाव कृषि मंडियों के खिलाफ नहीं हैं।"
बिहार के सभी गांवों को ऑप्टिकल फाइबर इंटरनेट सेवाओं से जोड़ने के प्रोजेक्ट का उद्घाटन करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "मैं देश के प्रत्येक किसान को इस बात का भरोसा देता हूं कि MSP की व्यवस्था जैसे पहले चली आ रही थी, वैसे ही चलती रहेगी...इसी तरह हर सीजन में सरकारी खरीद के लिए जिस तरह अभियान चलाया जाता है, वो भी पहले की तरह चलते रहेंगे."
भारतीय किसान यूनियन के हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढूनी ने कृषि विधेयकों के विरोध में 25 सितंबर को बंद का आह्वान किया है। भारतीय किसान यूनियन के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह ने बताया कि न्यूनतम समर्थन मूल्य, किसान कर्जा मुक्ति को लेकर पूरे देश में किसान आंदोलन कर रहे हैं।
कृषि बिल को राज्यसभा में पास कराए जाने को लेकर शिरोमणि अकाली दल का एक प्रतिनिधि मंडल राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से आज मुलाकात करेगा। इस प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व सुखबीर सिंह बादल करेंगे।
कृषि बिल के खिलाफ कांग्रेस कार्यकर्ता ने दिल्ली में प्रदर्शन किया है। इससे पहले राज्यसभा में रविवार को यह विधेयक ध्वनि मत से पास हो गया था।
हरियाणा की जननायक पार्टी में कृषि बिल को लेकर फूट पड़ गई है। रविवार को जेजेपी के दो विधायकों ने कृषि बिल के खिलाफ आयोजित विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। जेजेपी हरियाणा में भारतीय जनता पार्टी की गठबंधन सरकार में शामिल है। इसके बावजूद दोनों विधायकों ने पार्टी स्टैंड के खिलाफ जाते हुए कृषि बिल के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया। बरवाला विधानसभा सीट से जेजेपी विधायक जोगी राम सिहाग और शाबाबाद के विधायक राम करन काला ने कृषि विधेयक के खिलाफ विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
भारतीय रेलवे ने अनंतपुर और नई दिल्ली के बीच किसान ट्रेन चलाई है। यह देश की तीसरी और दक्षिण भारत की दूसरी किसान ट्रेन है। पहली किसान रेल की शुरुआत सात अगस्त को महाराष्ट्र स्थित नासिक के देवलाली से बिहार के दानापुर के लिए की गई थी। 11 सितंबर को आजादपुर मंडी का दौरा करने वालों का कहना है कि 'किसान रेल' से बड़े किसानों के साथ ही छोटे किसानों को भी फायदा होगा। क्योंकि किसानों का माल अगर थोड़ा है तो भी वे ट्रेन के जरिये उसे दिल्ली ला सकेंगे।
कृषि से जुड़े बिलों को लेकर किसानों के विरोध की एक मुख्य वजह एमएसपी ही है। किसानों को आशंका है कि नया क़ानून बनने के बाद सरकार एमएसपी को ख़त्म कर देना चाहती है। हालांकि कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर संसद में और संसद के बाहर कई बार ये बात साफ़ कर चुके हैं कि एमएसपी पहले की तरह जारी रहेगा और किसानों की आशंका निर्मूल है।
कृषि विधेयक पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में रविवार को हुए हंगामे पर राज्यसभा अध्यक्ष वैंकेया नायडू की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि 'कल राज्यसभा के लिए एक बुरा दिन था जब कुछ सदस्य हाउस के वेल में घुस आए। उपसभापति को शारीरिक रुप से क्षति पहुंची। उन्हें उनका काम करने से रोका गया। यह दुर्भाग्यपूर्ण और निंदनीय है।' आपको बता दें कि कृषि विधेयक पर चर्चा के दौरान राज्यसभा में भारी हंगामा हुआ था। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन उपसभापति के बिल्कुल सामने पहुंच गए थे और उन्होंने रुल बुक भी फाड़ दिया था। इसके अलावा कुछ अन्य सांसदों ने उपसभापति का माइक भी तोड़ दिया था।
एमएसपी की सिफारिश करने वाली सरकारी संस्था केंद्रीय कृषि मूल्य आयोग ( CACP ) ने सरकार को अपनी सिफ़ारिश भेज दी है। 'एबीपी न्यूज़' ने अपनी एक रिपोर्ट में बताया है कि आयोग ने गेहूं की एमएसपी में 85 रुपए प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की सिफ़ारिश की है। गेहूं की एमएसपी 2019-20 के लिए 1840 रुपए प्रति क्विंटल थी, जिसे बढ़ाकर 1925 रुपए प्रति क्विंटल करने की सिफ़ारिश की गई है।
मोदी सरकार जल्द 2020 - 21 के रबी सीज़न के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य ( एमएसपी ) का ऐलान कर सकती है। रबी फसलों में गेहूं और कुछ अन्य फ़सलें शामिल हैं। एमएसपी पर जल्द ही केंद्रीय कैबिनेट की बैठक में फ़ैसला होने की संभावना है। सूत्रों के मुताबिक़ इसी महीने इस बात का ऐलान हो जाने की उम्मीद है।
विपक्ष के भारी हंगामे के बीच कृषि विधेयक रविवार को राज्य सभा में पास हो गया। सदन में बिल पर चर्चा के दौरान जोरदार हंगामा हुआ। विपक्ष के सांसदों ने आसन के सामने लगे माइक को तोड़ दिया। टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने उपसभापति के सामने रूल बुक फाड़ दी। दरअसल, सदन की कार्यवाही 1 बजे पूरी होनी थी। उपसभापति ने कार्यवाही को विधेयक के पारित होने तक बढ़ाने का फैसला लिया। इस पर विपक्ष के सांसदों ने हंगामा किया। विपक्ष के हंगामे के कारण राज्यसभा की कार्यवाही कुछ देर के लिए स्थगित भी करनी पड़ी। बाद में राज्यसभा ने कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को मंजूरी दी।
कृषि बिलों को लेकर संसद से उच्च सदन राज्यसभा में रविवार को विपक्ष के जोरदार हंगामे पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि यह सिर्फ ‘किसानों को भ्रमित करने की कोशिश’ थी। उनके मुताबिक, “मैं भी किसान हूं। ऐसे में मैं ऐसा बिल्कुल भी सोच सकते हैं कि सरकार किसी भी सूरत में अन्नदाताओं का अहित करेगी।” उन्होंने ये बातें कैबिनेट के पांच साथियों के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस से ठीक पहले कहीं, जिसमें राज्यसभा में हंगामे को लेकर सरकार की ओर से कृषि बिल पर चीजें स्पष्ट की गईं और विपक्ष पर निशाना साधा गया। - क्लिक कर पढ़ें पूरी खबर
लोकसभा के बाद राज्यसभा में भी दो कृषि विधेयकों को पास करवाया जा चुका है। राज्यसभा में ध्वनि मत से विधेयकों को पारित किया गया। हालांकि इस दौरान विपक्ष ने भी जमकर हंगामा और नारेबाजी की। कृषि बिल पर मत विभाजन क्यों नहीं कराया गया, इसका ठीकरा भी सरकार ने विपक्ष पर फोड़ा है।
दरअसल, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह समेत केंद्र सरकार के 6 मंत्रियों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। इनमें राजनाथ सिंह, प्रकाश जावड़ेकर, प्रहलाद जोशी, पीयूष गोयल, थावर चंद गहलोत और मुख्तार अब्बास नकवी शामिल रहे। ध्वनि मत से बिल को पास करवाए जाने के मुद्दे पर मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि जब राज्यसभा के उपसभापति के जरिए विभाजन के लिए कहा गया तो वे सभी विपक्षी सांसद वेल में थे, वे हिंसक हो रहे थे।
उत्तर प्रदेश के कानपुर में किसानों ने नए कृषि विधेयक का स्वगत किया है। यहां किसानों ने कहा कि 'हम इस बिल का स्वागत करते हैं लेकिन केंद्र सरकार को किसानों के बारे में अभी और भी ज्यादा सोचने की जरुरत है। उन्हें 'मीडिल मैन' की भूमिका को खत्म करने की दिशा में प्रयास करना चाहिए और यह कोशिश करना चाहिए कि कोई भी किसान सुसाइड ना करे।'
हरियाणा पुलिस ने केंद्र के कृषि विधेयकों के खिलाफ रविवार को ट्रैक्टर रैली के दौरान पंजाब युवा कांग्रेस के कार्यकर्ताओं को अंबाला के रास्ते राज्य में प्रवेश करने से रोकने के लिये उन पर पानी की बौछार की। युवा कांग्रेस के कार्यकर्ता चंडीगढ़-दिल्ली राजमार्ग के जरिये राष्ट्रीय राजधानी कूच कर रहे थे, लेकिन उन्हें हरियाणा पुलिस ने रोक दिया। पुलिस ने अंतरराज्यीय सीमा पर काफी संख्या में अवरोध लगा रखे थे।
कृषि क्षेत्र से जुड़े दो महत्वपूर्ण विधेयकों को राज्यसभा ने विपक्षी सदस्यों के भारी हंगामे के बीच रविवार को ध्वनि मत से अपनी मंजूरी दे दी। सरकार द्वारा इन दोनों विधेयकों को देश में कृषि क्षेत्र से जुड़े अब तक के सबसे बड़े सुधार की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम बताया जा रहा है। राज्यसभा में, विधेयकों की गहन जांच पड़ताल के लिए उन्हें सदन की एक समिति को भेजे जाने की मांग कर रहे विपक्षी सदस्यों ने भारी हंगामा किया।
शिरोमणि अकाली दल (शिअद) प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने संसद द्वारा पारित कृषि विधेयकों पर राष्ट्रपति से अपनी सहमति नहीं देने और इन्हें पुर्निवचार के लिए संसद को लौटाने का रविवार को अनुरोध किया। बादल ने कहा कि विधेयकों का पारित होना देश में लोकतंत्र और करोड़ों लोगों के लिए "दुखद दिन" है। राज्यसभा द्वारा तीन में से दो विधेयकों को पारित किये जाने के शीघ्र बाद शिअद नेता ने एक बयान में कहा, ‘‘लोकतंत्र का अर्थ है आम सहमति, बहुमत में मौजूद लोगों द्वारा दमन नहीं।’’ गौरतलब है कि संविधान राष्ट्रपति को संसद द्वारा पारित कुछ खास श्रेणी के विधेयकों को सहमति के लिये अपने पास भेजे जाने पर उन्हें रोक रखने की शक्ति भी प्रदान करता है।
कृषि विधेयकों के विरोध में 25 सितंबर को होने वाले पंजाब बंद के लिए 31 किसान संगठन एक साथ आने के लिए तैयार हुए हैं। इस संबंध में किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने शनिवार को मोगा में एक बैठक की। किसान मजदूर संघर्ष समिति ने पहले ही 24 से 26 सितंबर के बीच रेल रोको आंदोलन का आह्वान किया हुआ है। क्रांतिकारी किसान यूनियन के अध्यक्ष दर्शन पाल ने बताया कि पंजाब बंद को समर्थन देने वालों में मुख्य तौर पर भारती किसान यूनियन (क्रांतिकारी), कीर्ति किसान यूनियन, भारती किसान यूनियन (एकता उगराहां), भाकियू (दोआबा), भाकियू (लाखोवाल) और भाकियू (कादियां) आदि संगठन शामिल हैं।
कृषि संबंधित विधेयकों को कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा से पारित होने के बाद रविवार को राज्यसभा में पेश किया। तोमर ने कहा कि किसानों से कृषि फसल की एमएसपी आधारित खरीद जारी रहेगी और इसका इन विधेयकों से कोई संबंध नहीं है जिनमें कृषकों को अपनी उपज बेचने की आजादी देने की कोशिश की गयी है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार व्हिप के जरिए राज्यसभा से ‘तीन काले विधेयक’ पारित करवाएगी।
तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ पंजाब युवा कांग्रेस ने भी पंजाब से दिल्ली तक " ट्रैक्टर रैली" की शुरुआत की। लुधियाना, फिरोजपुर, संगरूर और बरनाला समेत कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने केंद्र की भाजपा नीत सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। तलवंडी साबो में एक किसान ने बताया, "ये कृषि विधेयक किसानों और कृषक मजदूरों को बर्बाद कर देंगे और हम इनकी कड़ी निंदा करते हैं। "
किसानों ने आशंका जताई कि तीन विधेयकों के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा और किसानों को बड़े कॉरपोरेट घरानों के "रहम " पर छोड़ दिया जाएगा। कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को लोकसभा और राज्यसभा ने पारित कर दिया है।
शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने दोनों विधेयकों को पंजाब के किसानों के खिलाफ बताते हुए उन्हें प्रवर समिति में भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को पंजाब के किसानों को कमजोर नहीं समझना चाहिए। सरकार को पंजाब और हरियाणा के किसानों के असंतोष पर गौर करना चाहिए तथा वहां जो चिंगारी बन रही है, उसे आग में नहीं बदलने देना चाहिए। शिअद के ही एसएस ढींढसा ने भी सरकार से इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा करने और दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने की मांग की। राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि सरकार को इन विधेयकों को लाने के पहले विभिन्न पक्षों से बातचीत करनी चाहिए थी।
सरकार का दावा है कि नए कृषि विधेयक से किसानों को मिडिलमैन से छुटकारा मिलेगा और किसान अपनी फसल को अपने आप देश के किसी भी कोने में बेच सकेगा। यही वजह है कि आढ़ती भी सरकार के इस नए विधेयक का विरोध कर रहे हैं।
कृषि विधेयक में न्यूनतम समर्थन मूल्य को लेकर भी स्पष्टता नहीं है। दरअसल सरकार ने किसानों से फसल खरीद की बात नहीं की है, जिससे किसानों में एमएसपी को लेकर अनिश्चितता है।
किसान भारी संख्या में रोहतक-पानीपत राजमार्ग जाम कर दिया था। पुलिस द्वारा किसानों को समझाने का प्रयास किया गया। जिसके बाद किसी तरह राजमार्ग से यातायात शुरू हो सका। झज्जर जिले में भी किसानों की बैठक हुई।
राज्यसभा में कृषि विधेयक पास होने के बाद आज विभिन्न किसान संगठनों ने विजय चौक पर केन्द्रीय कृषि मंत्री से मुलाकात की। इस दौरान कृषि मंत्री ने बिल पास होने की खुशी में कुछ किसानों का मुंह भी मीठा कराया।
कृषि विधेयक के खिलाफ प्रदर्शन के लिए प्रदेश कांग्रेस कमेटी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। पीसीसी प्रतीकात्मक विरोध प्रदर्शन करेगी। राज्य के 11 जिलों में धारा 144 लगने के चलते पार्टी ने यह कदम उठाया है।
पंजाब युवा कांग्रेस के प्रमुख बरिंदर सिंह ढिल्लों ने मोहाली के डेरा बस्सी में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि यह किसानों के अधिकारों के लिए लड़ाई की शुरुआत है। पंजाब कांग्रेस प्रमुख सुनील जाखड़ ने कहा कि अकाली दल और भाजपा को छोड़कर सभी पार्टियां किसानों के साथ खड़ी हैं। उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के प्रमुख सुखबीर सिंह बादल को निशाने पर लेते हुए उनपर पर पहले इन "काले कानूनों" का समर्थन करने का आरोप लगाया। जाखड़ ने कहा, "किसानों का गुस्सा देखकर बादल को कृषि विधेयकों के मुद्दे पर अपना रुख बदलना पड़ा।
किसानों ने आशंका जताई कि तीन विधेयकों के जरिए न्यूनतम समर्थन मूल्य प्रणाली को खत्म करने का मार्ग प्रशस्त किया जाएगा और किसानों को बड़े कॉरपोरेट घरानों के "रहम " पर छोड़ दिया जाएगा। कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सरलीकरण) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 को लोकसभा और राज्यसभा ने पारित कर दिया है।
तीन कृषि विधेयकों के खिलाफ पंजाब युवा कांग्रेस ने भी पंजाब से दिल्ली तक " ट्रैक्टर रैली" की शुरुआत की। लुधियाना, फिरोजपुर, संगरूर और बरनाला समेत कई स्थानों पर प्रदर्शनकारियों ने केंद्र की भाजपा नीत सरकार के खिलाफ नारेबाजी की। तलवंडी साबो में एक किसान ने बताया, "ये कृषि विधेयक किसानों और कृषक मजदूरों को बर्बाद कर देंगे और हम इनकी कड़ी निंदा करते हैं। "
पंजाब के कई हिस्सों में किसानों ने कृषि विधेयकों की प्रतियां तथा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का पुतला जलाया और आरोप लगाया कि कृषि क्षेत्र से संबंधित विधेयक उनकी जीविका को खत्म कर देंगे।
आज राज्यसभा में कृषि विधेयकों के पास होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुशी जाहिर की है। उन्होंने अपने आधिकारिक ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा कि भारत के कृषि इतिहास में आज एक बड़ा दिन है। संसद में अहम विधेयक के पारित होने पर मैं अपने परिश्रमी अन्नदाताओं को बधाई देता हूं। यह न केवल कृषि क्षेत्र में आमूल चूल बदलाव लाएगा बल्कि करोड़ों किसानों भी इससे सशक्त होंगे।
राज्यसभा में कांग्रेस के प्रताप सिंह बाजवा ने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक किसानों की आत्मा पर चोट हैं, यह गलत तरीके से तैयार किए गए हैं तथा गलत समय पर पेश किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अभी हर दिन कोरोना वायरस के हजारों मामले सामने आ रहे हैं और सीमा पर चीन के साथ तनाव है। बाजवा ने आरोप लगाया कि सरकार का इरादा एमएसपी को खत्म करने का और कार्पोरेट जगत को बढ़ावा देने का है। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार ने नए कदम उठाने के पहले किसान संगठनों से बातचीत की थी ?
उन्होंने आरोप लगाया कि दोनों विधेयक देश के संघीय ढांचे के साथ भी खिलवाड़ है। उन्होंने कहा कि जिन्हें आप फायदा देना चाहते हैं, वे इसे स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में नए कानूनों की जरूरत क्या है। उन्होंने कहा कि देश के किसान अब अनपढ़ नहीं हैं और वह सरकार के कदम को समझते हैं। बाजवा कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सक्तिशकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 पर सदन में एक साथ हुयी चर्चा की शुरूआत कर रहे थे।
दिल्ली पुलिस ने रविवार को कहा कि उसने पड़ोसी राज्यों में किसानों के प्रदर्शन के मद्देनजर ऐहतियाती तौर पर सीमावर्ती इलाकों में पुलिकर्मी तैनात किए हैं। पुलिस के अनुसार गाजियाबाद की ओर अशोक नगर के निकट बल की दो कंपनियां तैनात की गई हैं। फिलहाल सीमा पर कोई प्रदर्शनकारी नहीं है। पुलिस ने दिल्ली-हरियाणा सीमा पर भी सतर्कता बढ़ा दी है। पुलिस उपायुक्त (पूर्वी) जसमीत सिंह ने कहा, ''हमने दिल्ली-उत्तर प्रदेश सीमा पर ऐहतियाती तौर पर पुलिसकर्मी तैनात किए हैं।'' गौरतलब है कि भारतीय किसान यूनियन की हरियाणा इकाई ने घोषणा की थी कि वह केन्द्र सरकार के कृषि अध्यादेशों के खिलाफ रविवार को राज्यव्यापी प्रदर्शन करेगी। इस दौरान उसके सदस्य तीन घंटे के लिए चक्का जाम करेंगे।
कृषि संबंधित विधेयकों को राज्यसभा में पेश किए जाने के बीच कांग्रेस ने रविवार को इस मुद्दे को लेकर केंद्र पर हमला तेज कर दिया और उसपर न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी जिम्मेदारी देने से दूर भागने का आरोप लगाया। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा से पारित इन विधेयकों को आज राज्यसभा में पेश किया। तोमर ने कहा कि किसानों से कृषि फसल की एमएसपी आधारित खरीद जारी रहेगी और इसका इन विधेयकों से कोई संबंध नहीं है जिनमें कृषकों को अपनी उपज बेचने की आजादी देने की कोशिश की गयी है। कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि मोदी सरकार व्हिप के जरिए राज्यसभा से ‘तीन काले विधेयक’ पारित करवाएगी।
शिरोमणि अकाली दल के नरेश गुजराल ने दोनों विधेयकों को पंजाब के किसानों के खिलाफ बताते हुए उन्हें प्रवर समिति में भेजने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार को पंजाब के किसानों को कमजोर नहीं समझना चाहिए। सरकार को पंजाब और हरियाणा के किसानों के असंतोष पर गौर करना चाहिए तथा वहां जो चिंगारी बन रही है, उसे आग में नहीं बदलने देना चाहिए। शिअद के ही एसएस ढींढसा ने भी सरकार से इस मुद्दे पर व्यापक चर्चा करने और दोनों विधेयकों को प्रवर समिति में भेजने की मांग की। राकांपा के प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि सरकार को इन विधेयकों को लाने के पहले विभिन्न पक्षों से बातचीत करनी चाहिए थी।
बीजू जनता दल (बीजद) ने अपने राज्यसभा सदस्यों को व्हिप जारी कर विवादित कृषि विधेयकों पर रविवार को चर्चा के दौरान सदन में उपस्थित रहने का निर्देश दिया है। केन्द्रीय कृषि मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर रविवार को राज्यसभा में कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक 2020 तथा कृषक (सशक्तीकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन और कृषि सेवा पर करार विधेयक, 2020 पेश करेंगे। इन विधेयकों का किसान संगठनों के अलावा केन्द्र में सत्तारूढ़ गठबंधन में भी विरोध हो रहा है। शिरोमणि अकाली दल से खाद्य प्रसंस्करण मंत्री हरसिमरत कौर बादल ने इन विधेयकों के विरोध में पिछले सप्ताह मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था।