पंजाब के तरनतारन के रहने वाले 65 वर्षीय एक बूढ़े किसान ने सोमवार की सुबह सिंघु बॉर्डर पर आत्महत्या करने की कोशिश की। वृद्ध व्यक्ति ने जहरीली चीज खा ली थी। आत्महत्या की कोशिश करने वाले की पहचान निरंजन सिंह के रूप में हुई है। सोमवार इस घटना के बाद उन्हें जल्दी से रोहतक के पीजीआईएमएस में भर्ती करा दिया गया। जहां उनका इलाज किया गया। अब उनकी हालत स्थिर है। निरंजन सिंह ने अपने इस कदम के लिए पीएम मोदी और गृह मंत्री शाह को कसूरवार बताया।
उन्होंने कहा, “मैं फिलहाल ठीक महसूस कर रहा हूं। सामान्य तौर पर आत्महत्या के लिए उकसाने वाले के खिलाफ पुलिस मामला दर्ज करती है। मेरे मामले में पीएम मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के खिलाफ मामला दर्ज करना चाहिए।’ उन्होंने पूछा कि अगर किसान मर गए तो बाकी लोग कैसे जिएंगे। बता दें कि देश भर में किसान केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं।
इससे पहले पंजाब की फिरोजपुर पुलिस ने बताया कि दिल्ली किसानों के आंदोलन से लौटे एक किसान ने घर लौटकर आत्महत्या कर ली। बताया जा रहा है कि मृतक कुलबीर सिंह पर 8 लाख रुपये का कर्ज था। अफसोस की बात है कि किसान आंदोलन में अब तक 30 से ज्यादा लोगों की मौत की खबर आ चुकी है। रविवार को सिंघु बॉर्डर पर मृत किसानों को याद करते हुए श्रद्धांजलि दी गई।

बता दें कि पंजाब के बठिंडा में भी एक 22 वर्षीय किसान ने दिल्ली के किसान प्रदर्शन से घर लौटकर आत्महत्या कर ली। पिछले हफ्ते हरियाणा के गुरुद्वारे के एक ग्रंथी ने आत्महत्या कर ली थी। कुंडली बॉर्डर पर ग्रंथी ने खुद को गोली मार ली थी। ग्रंथी की मौत पर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने केंद्र सरकार पर जमकर हमला बोला था।
राहुल गांधी ने कहा कि मोदी सरकार ने निर्दयता की सारी सीमाएं लांघ दी हैं। बता दें कि किसानों और केंद्र के बीच बातचीत बेनतीजा रही है। कोई भी पक्ष पीछे हटने को तैयार नहीं है। जहां किसान चाहते हैं कि केंद्र तीनों कानून को वापिस ले तो वहीं केंद्र सिर्फ संशोधन करने की बात कह रहा है।
इस साल सितंबर में संसद से पारित कराए गए तीनों कानूनों को लेकर केंद्र सरकार का दावा है कि इससे किसानों को फसल कहीं भी बेचने और अपनी पसंद की कीमत पर बेचने का हक मिलेगा। वहीं किसानों को डर है कि एक बार कॉरपोरेट खेती में आ गए तो एमएसपी से किसानों को हाथ धोना पड़ेगा।