नए कृषि कानूनों की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट के कमेटी बनाने के फैसले पर किसान संगठन अपनी नाराजगी साफ तौर पर इजहार कर रहे हैं। मंगलवार को सिंघु बॉर्डर पर संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए किसान नेताओं ने दावा किया कि शीर्ष अदालत द्वारा गठित कमेटी के सदस्य “सरकार समर्थक” हैं, लिहाजा इनके सामने वे पेश नहीं होंगे।

इस मुद्दे पर मंगलवार की शाम एबीपी न्यूज चैनल पर डिबेट के दौरान एंकर रुबिका लियाकत ने भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता पवन खटाना से पूछा कि जब सुप्रीम कोर्ट ने कमेटी गठित कर दी है और सरकार को कानूनों पर अमल करने से रोक दिया है तो आप इसको स्वीकार क्यों नहीं करते हैं?

इस पर बोलते हुए उन्होंने कहा, “कोर्ट ने कानूनों के अमल पर रोक लगाई है, आंदोलन करने पर नहीं, इसके लिए हम कोर्ट को धन्यवाद देते हैं। अब सरकार को चाहिए कि एक कदम आगे बढ़े और कानून को ही खत्म कर दे। किसानों से बातचीत कर उनका दर्द समझें। सारे काम कोर्ट नहीं करेगा। कानून गलत है। कोर्ट ने डायरेक्शन दे दिया है।”

एंकर रुबिका लियाकत ने कहा कि आप अपनी बात कमेटी के सामने रखिए, सरकार भी अपनी बात कमेटी के सामने रखे। कमेटी अपनी रिपोर्ट कोर्ट को सौंपेंगी। उसके बाद कोर्ट खुद तय करेगा कि क्या होना चाहिए।

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पवन खटाना ने इस पर कड़ी आपत्ति की। कहा. “जिन लोगों ने सरकार का ड्राफ्ट बनाया, जिन लोगों ने कहा कि कानून अच्छा है, कोर्ट ने उन्हें ही कमेटी में शामिल कर दिया। क्या यह सही है? जो लोग खेतों में नहीं रहे हैं. टेंट में नहीं रहे हैं, क्या वे हमारे दुख-दर्द को समझेंगे?” बोले. “हम कोर्ट का सम्मान करते हैं, लेकिन जिन लोगों ने ड्राफ्ट बनाया क्या वही अध्यक्ष बनेंगे? जो चमकीली कोठियों में रहते हैं, क्या वे कमेटी बनाएंगे। हमें कुछ नहीं करना है। देश का किसान जानता है कि जिसने यह बिल बनाया है, वही कमेटी के मेंबर बन गए।”

इस पर जवाब देते हुए भाजपा के प्रवक्ता संबित पात्रा ने पूछा, “सुप्रीम कोर्ट के जज क्या खेतों में रहेंगे, क्या वे टेंट में रहेंगे? क्या हम उनके आदेश को नहीं मानेंगे। कहा कि कोर्ट ने साफ-साफ कहा है कि हम किसान संगठनों से यह नहीं सुनना चाहते हैं कि आप हमारे सामने पेश नहीं होंगे। दोनों पक्षों को पेश होना होगा। हमें इस मुद्दे को साल्व करना है। हम कोर्ट के आदेश को मानेंगे, आप बताइए कि आप मानेंगे कि नहीं।”