केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि क़ानूनों पर सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल के लिए रोक लगा दी है। इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कृषि क़ानूनों से जुड़े विवाद को खत्म करने के लिए एक चार सदस्यीय कमेटी गठित की है। जो सरकार और किसानों का पक्ष समझते हुए उच्चतम न्यायालय को अपना रिपोर्ट सौंपेगी। आइए जानते हैं कि इन कमेटी में कौन कौन लोग शामिल हैं।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा बनाई गयी कमेटी में कुल चार लोग शामिल हैं। जिनमें कृषि विशेषज्ञ अशोक गुलाटी, शेतकारी संगठन के अनिल धनवटे, भूपिंदर सिंह मान और राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रबंधन के डॉ प्रमोद कुमार जोशी भी शामिल हैं। आपको बता दूँ कि बीते दिनों शेतकारी संगठन के अनिल धनवटे ने कहा था कि सरकार को तीनों कृषि कानून वापस लेने की कोई आवश्यकता नहीं है। सिर्फ सरकार किसानों के साथ बातचीत कर इन क़ानूनों में संशोधन कर उसे लागू कर सकती है।
हालाँकि सुनवाई के दौरान किसान संगठनों ने कमेटी का विरोध किया और कमेटी के सामने पेश ना होने की बात कही। इसपर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर मामलों को सुलझाना है तो कमेटी के सामने आना ही होगा। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को दिए फैसले में साफ़ कह दिया है कि गठित कमेटी इस दौरान कोई मध्यस्थता कराने का काम नहीं करेगी बल्कि निर्णायक भूमिका अदा करेगी। साथ ही न्यायालय ने यह भी कहा है कि जबतक कमेटी की रिपोर्ट नहीं आ जाती है तबतक कृषि क़ानूनों पर रोक लगी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट के कमेटी बनाने के फैसले पर किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि हमारी मांग तीनों कानून वापस लेने की थी, इन पर रोक लगाने की हमारी मांग नहीं थी। हमारी जीत तभी होगी जब कानून वापस होंगे और न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानून बनेंगे। साथ ही उन्होंने कहा कि जब तक कानून वापस नहीं होंगे, तब तक घर वापसी नहीं होगी।