कृषि कानूनों पर मोदी सरकार और किसान यूनियनों में गतिरोध के बीच केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा है कि अगर इन कानूनों की वजह से किसी किसान की एक इंच भी जमीन गई, तो वह राजनीति छोड़ देंगे।

समाचार एजेंसी ANI से मंगलवार को उन्होंने कहा- विपक्ष भ्रामक प्रचार फैला रहा है कि नए कृषि क़ानून लागू होते हैं तो किसानों की जमीन चली जाएगी। मैं ईमानदारी से कहता हूं कि अगर किसानों की जमीन का एक भी इंच चला गया तो मैं हमेशा के लिए अपना मंत्री पद और राजनीति छोड़ने के लिए तैयार हूं।

वहीं, विपक्षी पार्टियों द्वारा सदन में कृषि क़ानूनों को वापस करने की मांग पर केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने बताया, इन सब लोगों ने मिलकर कृषि बिलों को पास किया था। कांग्रेस का तो चेहरा ही नहीं है कि वे कुछ बोले। अब ये किसानों के कंधों पर अपनी गिरती हुई साख को उठाने की कोशिश कर रहे हैं।

विवादों में घिरे इन तीन नए कृषि कानूनों के मसले पर कांग्रेस और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्यों के भारी हंगामे के कारण मंगलवार को संसद के दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित रही। राज्यसभा में विपक्ष के हंगामे के कारण बैठक तीन बार के स्थगन के बाद अंतत: पूरे दिन के लिए स्थगित कर दी गई। वहीं लोकसभा की बैठक दो बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिये स्थगित कर दी गई।

लोकसभा में हंगामे के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार किसानों से जुड़े मुद्दों पर संसद के अंदर और बाहर चर्चा करने को तैयार है। उच्च सदन में विपक्षी सदस्यों ने दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे किसान आंदोलन के मुद्दे पर सदन में तुरंत चर्चा कराने की मांग करते हुए हंगामा किया। सभापति एम वेंकैया नायडू ने सदस्यों से कहा कि वे एक दिन बाद, बुधवार को राष्ट्रपति अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर होने वाली चर्चा में अपनी बात रख सकते हैं।

कृषि कानूनों पर करनाल JJP जिलाध्यक्ष का इस्तीफाः हरियाणा में भाजपा के साथ सरकार में शामिल जननायक जनता पार्टी (जेजेपी) की करनाल जिला इकाई के अध्यक्ष इंदरजीत सिंह गोराया ने केंद्र के तीन नये कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों के साथ एकजुटता प्रदर्शित करते हुए मंगलवार को पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने जिलाध्यक्ष के पद और पार्टी की सदस्यता से यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया कि उन्होंने पहले उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला से केंद्र पर ‘किसान विरोधी कानूनों’ को वापस लेने के वास्ते दबाव डालने का अनुरोध किया था।

उन्होंने कहा, ‘‘ इन कृषि कानूनों के विरूद्ध यह आंदोलन अब जनांदोलन बन गया है लेकिन केंद्र इनकी (कानूनों की) वापसी की किसानों की मांग नहीं मान रहा है।’’ साथ ही आरोप लगाया कि किसानों की मांगें मानने के बजाय केंद्र‘‘ 26 जनवरी को दिल्ली में घटी घटनाओं के बाद इस आंदोलन को बदनाम करने की तरकीबें इस्तेमाल कर रहा है।’’