केंद्र सरकार के लाए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन फिलहाल जारी है। प्रदर्शन को करीब 20 दिन (मंगलवार तक) हो चुके हैं। चूंकि, कुछ प्रमुख सड़कों के बंद होने से आम लोगों को खासा असुविधा हुई, जिसके लिए सोमवार को ”हाथ जोड़कर” कुछ किसानों ने माफी मांगी। साथ ही कहने लगे- हमें ”मजबूरी में” प्रदर्शन करना पड़ रहा है।
दिल्ली की सीमाओं पर प्रदर्शन की अगुवाई कर रहे संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी ओर से खेद प्रकट करने के लिये हरियाणा-राजस्थान सीमा के निकट जयपुर-दिल्ली राजमार्ग पर यात्रियों को हिंदी में लिखे पर्चे बांटे। साथ ही उन्होंने न्यूनतम समर्थन मूल्य को कानूनी अमलीजामा पहनाने की अपनी मांग भी दोहराई।
संयुक्त किसान मोर्चा के पर्चों पर लिखा था, ”सड़कें बंद कर लोगों को परेशान करना हमारा मकसद नहीं है। हम मजबूरी के तहत यहां बैठें हैं। अगर हमारे आंदोलन से आपको असुविधा हुई हो तो हम उसके लिये हाथ जोड़कर माफी मांगते हैं।”
किसान, विशेष रूप से पंजाब और हरियाणा के किसान बीते करीब तीन हफ्तों से दिल्ली के सिंघू, टीकरी और गाजीपुर बॉर्डर पर डटे हुए हैं, जिससे राष्ट्रीय राजधानी को हरियाणा और पंजाब से जोड़ने वाली मुख्य सड़कों पर जाम की समस्या खड़ी हो गई है।
उधर, कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को आरोप लगाया कि केंद्र की भाजपा सरकार की नजर में आंदोलनकारी किसान ‘खालिस्तानी’ और पूंजीपति उसके ‘सबसे अच्छे दोस्त’ हैं। उन्होंने ट्वीट किया, ‘‘मोदी सरकार के लिए विरोध करने वाले छात्र राष्ट्र विरोधी हैं, चिंतित नागरिक अर्बन नक्सल हैं, प्रवासी मजदूर कोरोना फैलाने वाले हैं, बलात्कार की पीड़िता कुछ नहीं हैं और आंदोलनकारी किसान खालिस्तानी हैं। पूंजीपति उसके सबसे अच्छे दोस्त हैं।’’
बता दें कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली के निकट कई स्थानों पर किसान संगठन पिछले करीब तीन सप्ताह से प्रदर्शन कर रहे हैं। वे इन कानूनों को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। सरकार के साथ किसान संगठनों की कई दौर की बातचीत बेनतीजा रही है।