2024 Lok Sabha Elections: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की निगाह इस वक्त 2024 के लोकसभा चुनाव पर है। यही वजह की पिछले एक महीने के अंदर वो कई दलों के नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। वह अपनी रणनीति के तहत गैर-बीजेपी मोर्चा बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जिसमें उनके डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव भी शामिल हैं।

अपनी इसी रणनीति के तहत नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव आज यानी सोमवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और कांग्रेस नेता राहुल गांधी से मुलाकत करेंगे। साथ ही कई विपक्षी नेताओं के साथ हुई बातचीत का विवरण भी साझा करेंगे। संभावना यह भी जताई जा रही है कि इस बातचीत के दौरान पटना में एक बड़े विपक्षी सम्मेलन की तारीख भी तय हो सकती है।

नीतीश कुमार और तेजस्वी ने आखिरी बार 12 अप्रैल को खड़गे और राहुल से मुलाकात की थी। उस दौरान यह तय किया गया था कि बिहार के मुख्यमंत्री छह दलों के नेताओं से संपर्क करेंगे, जिनमें से ज्यादातर ऐसे हैं, जो सबसे पुरानी पार्टी के साथ अच्छे समीकरण साझा नहीं करते हैं और कम से कम दो ऐसे हैं, जो विपक्ष के पाले में नहीं हैं।

पिछले महीने नीतीश कुमार इन नेताओं से कर चुके मुलाकात

पिछले महीने नीतीश कुमार ने तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) की अध्यक्ष और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के संयोजक अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। उन्होंने शिवसेना (यूबीटी) नेता उद्धव ठाकरे और एनसीपी सुप्रीमो शरद पवार के अलावा झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और वामपंथी नेताओं सीताराम येचुरी और डी राजा से भी चर्चा की थी।

नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव तेलंगाना के मुख्यमंत्री और भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) के प्रमुख के चंद्रशेखर राव और वाईएसआरसीपी प्रमुख और आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई एस जगनमोहन रेड्डी से नहीं मिल पाए हैं। नीतीश कुमार चाहते हैं कि विपक्ष वोट बंटवारे को टालने के लिए ज्यादा से ज्यादा सीटों पर बीजेपी के खिलाफ एक कॉमन कैंडिडेट उतारने की कोशिश करे।

कई राज्यों में विपक्षी दल एक-दूसरे के खिलाफ खड़े

हालांकि, भाजपा के खिलाफ एक विपक्षी मोर्चे में कई तरह की बाधाएं हैं। जिसमें राज्यों में कई विपक्षी दल एक-दूसरे के खिलाफ खड़े हैं। जिसमें उदाहरण के तौर पर पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और तेलंगाना को ही देखा जा सकता है। सवाल यह भी है कि मोर्चे का आखिर नेतृत्व कौन करेगा? विपक्षी नेताओं का यह भी मानना है कि भाजपा के खिलाफ विरोधी दलों के पास एकजुट होने के अलावा कोई दूसरा विकल्प नहीं है।

यह भी बात गौर करने वाली है कि अधिकतर विपक्षी दलों ने भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को एक अध्यादेश लाने की कड़ी आलोचना की है। जिसने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट के उस आदेश को प्रभावी ढंग से रद्द कर दिया, जिसने दिल्ली सरकार को महत्वपूर्ण शक्तियां सौंपी थीं।

ममता बनर्जी अकेले चुनाव लड़ने का कर चुकी हैं ऐलान

वहीं बीजेपी के खिलाफ मोर्चेबंदी को लेकर विपक्षी पार्टी को उस वक्त करारा झटका लगा था। जब ममता बनर्जी घोषणा की थी कि उनकी पार्टी 2024 का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। हालांकि, इसके कुछ दिनों बाद उन्होंने कहा था कि टीएमसी उन सीटों पर कांग्रेस का समर्थन करने के लिए तैयार है जहां वह मजबूत है।

कांग्रेस ने नवंबर-दिसंबर में होने वाले महत्वपूर्ण विधानसभा चुनावों के लिए जमीनी काम जल्दी शुरू करने का भी फैसला किया है। कर्नाटक में जीत से उत्साहित पार्टी जल्द ही मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना में अपना अभियान शुरू करने की योजना बना रही है। कांग्रेस नेतृत्व ने चुनाव की रणनीति बनाने के लिए 24 मई को इन राज्यों के प्रभारियों और शीर्ष नेताओं की बैठक बुलाई है।