पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन पर पूरे देश ने उनके योगदान और कार्यों को याद करते हुए शोक व्यक्त किया। खासकर उनकी आर्थिक नीतियों और देश को मंदी से उबारने के प्रयासों की सराहना की गई। मनमोहन सिंह प्रधानमंत्री बनने से पहले पी.वी. नरसिम्हा राव की सरकार में वित्त मंत्री थे और राव के नेतृत्व में देश में ऐतिहासिक आर्थिक सुधार हुए थे। हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने राव को कभी उनके योगदान के मुताबिक सम्मान नहीं दिया। राव के निधन के बाद उनकी उपेक्षा ने पार्टी की छवि पर सवाल खड़े किए थे।
कांग्रेस ने नरसिम्हा राव को वह सम्मान नहीं दिया, जो उन्हें मिलना चाहिए था
मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार के दौरान यह याद दिलाया गया कि कांग्रेस ने नरसिम्हा राव को वह सम्मान नहीं दिया, जो उन्हें मिलना चाहिए था। राव का निधन 23 दिसंबर 2004 को हुआ था, लेकिन कांग्रेस पार्टी ने उनका शव दिल्ली तक नहीं लाने दिया और न ही उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में करने दिया। उनका शव कुछ समय तक पार्टी मुख्यालय के बाहर खड़ा रहा, और फिर आंध्र प्रदेश ले जाया गया, जहां उनका अंतिम संस्कार हुआ।
राव ने देश की अर्थव्यवस्था में सुधार की दिशा में बड़े कदम उठाए, लेकिन कांग्रेस ने उन्हें कभी एक सशक्त नेता के रूप में स्वीकार नहीं किया। उनका परिवार चाहता था कि उनका अंतिम संस्कार दिल्ली में हो, जहां उन्होंने अपने राजनैतिक जीवन के अधिकतर वर्ष बिताए थे, लेकिन कांग्रेस नेताओं ने इसे नकारा और अंत में राव का परिवार हैदराबाद में अंतिम संस्कार करने के लिए राजी हो गया।
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इस पूरे घटनाक्रम ने एक गहरे राजनीतिक विरोधाभास को उजागर किया। गृह मंत्री शिवराज पाटिल ने राव के परिवार से शव को हैदराबाद ले जाने की अपील की, लेकिन परिवार ने दिल्ली को प्राथमिकता दी। इसके बाद आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाई.एस. राजशेखर रेड्डी ने राव के परिवार को समझाने की कोशिश की और कहा कि हैदराबाद में उनका भव्य अंतिम संस्कार किया जाएगा। राव के परिवार ने यह शर्त रखी कि दिल्ली में उनके लिए एक स्मारक बनाया जाएगा, लेकिन कांग्रेस पार्टी के नेताओं में इस पर भी असहमति बनी रही।
यह साफ था कि राव के परिवार को यह एहसास था कि उन्हें कांग्रेस पार्टी से उचित सम्मान कभी नहीं मिलेगा। कांग्रेस पार्टी को यह डर था कि अगर शव का अंतिम संस्कार दिल्ली में किया जाता, तो यह पार्टी के लिए असहज स्थित बन सकता था, जिसमें उनके योगदान को नकारना मुश्किल होता।
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राव के योगदान को अंत में भारत रत्न जैसे सम्मान मिले, जो उनके प्रधानमंत्री रहते हुए उन्हें नहीं दिए गए थे। यह सम्मान बीजेपी सरकार ने दिया, जबकि कांग्रेस ने उन्हें उनके जीवनकाल में वह सम्मान नहीं दिया। इससे साफ पता चलता है कि पार्टी ने अपनी राजनीतिक नीतियों और व्यक्तिगत सोच को राव के योगदान से अधिक महत्व दिया।
नरसिम्हा राव का जीवन और उनका योगदान भारतीय राजनीति में एक गहरे छाए हुए मुद्दे के रूप में मौजूद है। वे एक ऐसे नेता थे जिन्होंने भारत के आर्थिक सुधारों की नींव रखी और देश को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलवाई। लेकिन दुर्भाग्यवश, उनके योगदान को उस समय उचित सम्मान नहीं मिला, जो उन्हें मिलना चाहिए था।
मनमोहन सिंह के अंतिम संस्कार ने कांग्रेस की आंतरिक राजनीति और पार्टी की नीतियों को उजागर किया। जिस तरह मनमोहन सिंह का दिल्ली में अंतिम संस्कार किए जाने और स्मारक बनाने के लिए कांग्रेस पार्टी ने जोर लगाया है, वैसा ही नरसिम्हाराव के लिए करती तो लोगों के मन में पार्टी के लिए सम्मान और बढ़ जाता।