साल 2025 खत्म होने वाला है और 2026 की शुरुआत होने वाली है। वर्ष 2025 भारत के लिए काफी चुनौतियों भरा रहा है। साल 2025 में जहां अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सत्ता संभाली और भारत के सामने कई मुश्किलें खड़ी हुई। वहीं पड़ोसी बांग्लादेश और नेपाल में भी स्थितियां बिगड़ी। 2025 में ही पहलगाम आतंकी हमला हुआ और उसके बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर को अंजाम दिया। इसके बाद पाकिस्तान के साथ टकराव काफी बढ़ गया। अब आने वाला साल भारत के लिए काफी अहम होने वाला है।
आईए जानते हैं आने वाले साल में किन मुद्दों पर भारत का फोकस रहेगा।
भारत-अमेरिका: नरमी या उथल-पुथल
बहुत कुछ इस बात पर निर्भर करेगा कि ट्रेड डील होती है या नहीं और भारत अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप के असहज कदमों से कैसे निपटता है। इसमें भारत और पाकिस्तान के बीच शांति कायम करने की ट्रंप की महत्वाकांक्षाएं भी शामिल हैं। बैक चैनल एक्टिव हैं और नए अमेरिकी राजदूत सर्जियो गोर की भूमिका अहम होगी।
यूरोप पर फोकस
भारत यूरोपीय संघ के साथ अपने संबंधों को मज़बूत करने जा रहा है। भारत पहली बार गणतंत्र दिवस परेड समारोह के लिए EU के नेताओं (उर्सुला वॉन डेर लेयेन और एंटोनियो कोस्टा) की मेज़बानी करने वाला है। भारत जनवरी की शुरुआत में जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़ की भी मेज़बानी करेगा।
भारत ने पहले ही UK के साथ एक ट्रेड डील साइन कर ली है। अब यूरोपीय संघ के साथ एक ट्रेड डील पर बातचीत कर रहा है जो भारतीय उत्पादों के लिए अपने बाज़ारों को खोलने का वादा करती है। फरवरी में फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों के भी भारत आने की उम्मीद है, जिससे संबंध मजबूत होंगे।
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पाकिस्तान: बेचैन शांति
पहलगाम हमले और ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान के साथ टकराव बढ़ा है। भारत सतर्क है और अगर कोई और आतंकी हमला होता है जिसके तार पाकिस्तान से जुड़े पाए जाते हैं, तो पूरे साल उसकी परीक्षा होगी। इसके लिए भारत को काफी सैन्य, राजनीतिक और राजनयिक क्षमता की ज़रूरत होगी।
नेपाल और बांग्लादेश में चुनाव
दोनों पड़ोसी देशों में बड़े दांव वाले चुनाव होने हैं। नेपाल में, यह देखना होगा कि पुराने नेता युवा नेताओं के लिए रास्ता बनाते हैं या राजशाही समर्थक समूह मज़बूत होते हैं। बांग्लादेश में सुरक्षा चिंताएं और अवामी लीग का चुनावों से संभावित बहिष्कार चुनावी विश्वसनीयता को कमज़ोर कर सकता है।
भारत की BRICS अध्यक्षता और क्वाड शिखर सम्मेलन
भारत इस साल BRICS शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करने जा रहा है, जिसमें रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के शामिल होने की उम्मीद है। साथ ही भारत क्वाड नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करना चाहेगा, अगर ट्रंप भारत आते हैं। दोनों शिखर सम्मेलन भारत की रणनीतिक स्वायत्तता और आयोजन क्षमता की परीक्षा होंगे।
द AI इंपैक्ट समिट
2023 में G20 शिखर सम्मेलन की तरह भारत फरवरी में एक The AI Impact Summit की मेज़बानी करने की तैयारी कर रहा है, जिसमें दुनिया के नेताओं और टेक्नोलॉजी दिग्गजों को आमंत्रित किया गया है। यह दूसरा संस्करण है। पहला फ्रांस ने इस साल पेरिस में आयोजित किया था, और यह भारत के लिए टेक्नोलॉजी और हाई-टेक की नई सीमाओं में अपनी काबिलियत दिखाने का मौका होगा।
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अमेरिकी अध्यक्षता में G20 समिट
अमेरिका 2026 में G20 नेताओं के शिखर सम्मेलन की मेज़बानी करेगा। अमेरिका ने पिछले दक्षिण अफ्रीका समिट में इसमें हिस्सा नहीं लिया था। ट्रंप प्रशासन इस शिखर सम्मेलन को कैसे आयोजित करता है, यह उसकी प्राथमिकताओं का सबूत होगा और उसके प्रभाव की परीक्षा भी।
चीन-अमेरिका संबंध
भारत अमेरिका और चीन के बीच बातचीत पर नज़र रखेगा। ट्रंप और शी AI और चिप्स पर दबदबे के लिए लड़ाई में उलझे हुए हैं और सेमीकंडक्टर के भविष्य को लेकर बहुत कुछ दांव पर लगा है। भारत इस दौड़ में एक नया प्लेयर है।
अफ्रीका के साथ भारत की भागीदारी
2023 में दिल्ली G20 शिखर सम्मेलन के दौरान अफ्रीकी संघ को G20 समूह में शामिल किया गया। इसके बाद भारत और अफ़्रीकी संघ के बीच रिश्ते मजबूत हुए। अब भारत, भारत-अफ्रीका फोरम शिखर सम्मेलन के अगले संस्करण को आयोजित करने पर विचार करेगा।
यूक्रेन-रूस बातचीत
अब जब अमेरिका ने रूसी तेल की खरीद पर 25% टैरिफ लगा दिया है, तो भारत यूक्रेन शांति प्रक्रिया में गहराई से शामिल हो गया है। भारत ज़ेलेंस्की की मेज़बानी पर चर्चा कर रहा है, जो युद्ध के मैदान की स्थिति, बातचीत की टेबल पर और यूक्रेन की आंतरिक राजनीति पर निर्भर करेगा। पढ़ें 2025 में इन विपक्षी नेताओं को लगे बड़े झटके
