उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव करीब हैं। सभी राजनीतिक दलों में चुनावी गुणा-भाग तेज हो गया है। इसके लिए बड़े-बड़े नेताओं का आना-जाना बराबर लगा है। चुनावी सरगर्मी बढ़ने से सदन का सपना देखने वाले टिकट के दावेदार झंडा बैनर पोस्टर लेकर पहले से मैदान में कूद पड़े हैं। इसमें सबसे ज्यादा भाजपा के हैं। कांग्रेस, बसपा और सपा के दावेदार भी पीछे नहीं हैं। 

राहुल गांधी भले चुनाव हार चुके हैं। लेकिन अमेठी और रायबरेली कांग्रेस का गढ़ माना जाता है। जिससे दोनों जिलों में टिकट के दावेदार ज्यादा है। गौरीगंज विधानसभा में सभी दलों को जोड़कर करीब पौने दो सौ टिकट के दावेदार मैदान में टहल रहे हैं। इसी के बराबर अमेठी और बाकी विधानसभा क्षेत्रों का भी है।

अमेठी, रायबरेली में दस विधानसभा सीटें हैं। इसमें दो सपा, दो कांग्रेस और छह भाजपा के खाते में थीं। लेकिन रायबरेली में कांग्रेस के दोनों विधायक पार्टी से निलंबित हो चुके हैं। इससे भाजपा के खाते में आठ विधायक माने जाते हैं। 

प्रियंका गांधी रायबरेली की समीक्षा बैठक में सभी सीटों पर जीत हासिल करने का दावा कर चुकी हैं। लेकिन अमेठी में कांग्रेस के पास संगठन तक नहीं है। 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के पास बूथ पर एजेंट तक नहीं थे। जिससे राहुल गांधी चुनाव हार कर वापस लौट गए, लेकिन प्रियंका वापसी पर जुटी हैं। 

भाजपा ने ‘अबकी बार, 350 पार’ का नारा दर्ज द‍िया है। बसपा और सपा के बड़े-बड़े नेताओं की भी बैठकें चल रही है। पूर्वांचल के दर्जन भर जिले राजनीति के गढ़ माने जाते हैं। इनमें अमेठी, रायबरेली, वाराणसी, गोरखपुर, आजमगढ़, प्रयागराज, अयोध्या, प्रतापगढ़, सुलतानपुर, मऊ और बलिया आदि हैं। इन जिलों में टिकट के लिए सबसे ज्यादा मारामारी शुरू हो गई है। जबकि सभी दलों में निजी एजेंसियों की सर्वे रिपोर्ट के बाद टिकट पर विचार होता है।