नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने शनिवार को दिल्ली की एक अदालत में पीएफआई नेतृत्व मामले में आरोपों पर अपनी दलीलें दीं। NIA ने कहा कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) देश की एकता और अखंडता के लिए सबसे बड़ा खतरा था। यह मामला पीएफआई नेतृत्व द्वारा कथित तौर पर रची गई उस साजिश से संबंधित है जिसका उद्देश्य “मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाना” और “हिंदुओं के खिलाफ दुश्मनी को बढ़ावा देना” था।
पटियाला हाउस कोर्ट के NIA जज प्रशांत शर्मा के समक्ष एनआईए के विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) राहुल त्यागी ने कहा, “हमारे पास संगठन के खिलाफ सबूत हैं… एक संरक्षित गवाह ने हमें बताया कि पीएफआई कक्षाओं में यह सिखाता था कि अगर भारत पाकिस्तान के साथ युद्ध करता है, तो ‘ध्यान उत्तर पर केंद्रित होगा’ और उस समय, वे दक्षिण से हमला करेंगे और ‘दक्षिण भारत पर कब्जा कर लेंगे’।”
उन्होंने आगे कहा, “पीएफआई भारत में इस्लाम के खतरे में होने का दुष्प्रचार फैलाकर हिंदुओं के खिलाफ दुश्मनी और नफरत भड़का रही थी। उन्होंने ऐसे दुष्प्रचार से आसानी से प्रभावित होने वाले मुस्लिम युवाओं की पहचान की और उन्हें ‘जिहाद में भाग लेने’ के लिए कट्टरपंथी बना दिया।”
पीएफआई नेताओं पर लगे आरोपों पर त्यागी ने कहा, ‘‘वे अपने कार्यकर्ताओं को आईएसआईएस से रणनीति सीखने के लिए सीरिया भेज रहे थे ताकि इन्हें भारत में लागू किया जा सके। उन्होंने विशेष दस्ते बनाये थे जो भाजपा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और विश्व हिंदू परिषद (विहिप) नेताओं की सूची तैयार रखते थे और उन पर नजर रखते थे।”
एसपीपी त्यागी ने कहा, “पीएफआई ने अपने सदस्यों को आईएसआईएस में शामिल होने और भारत में खिलाफत और शरिया कानून स्थापित करने के लिए उकसाय। वे हिंदू और मुसलमानों के बीच फूट डालने के लिए भाषण दे रहे थे। प्रचार यह किया जा रहा था कि मुगलों के शासनकाल में भारत इस्लामी था, लेकिन उनके पतन के बाद मुसलमानों की स्थिति बिगड़ गई।”
अभियोजक, जिनके साथ वकील जतिन, अमित रोहिल्ला और शुभम गोयल भी मौजूद थे। उन्होंने संरक्षित गवाहों के विभिन्न बयान भी पढ़े, जिनका उपयोग मामले को मजबूत बनाने के लिए किया गया था।
एसपीपी राहुल त्यागी ने कहा, “पीएफआई के एक सदस्य ने गुजरात दंगों और बाबरी मस्जिद विध्वंस के बारे में दूसरों से चर्चा की। उन्होंने इस्लामी शासन के ‘स्वर्ण युग’ का वर्णन किया… ये एक संरक्षित गवाह के बयान हैं।”
एसपीपी ने कहा, “पीएफआई द्वारा भर्ती किए गए सदस्यों से ‘बैतुलमाल’ के रूप में मासिक राशि प्रदान करने के लिए कहा गया था, जो संयोगवश इस्लामी दुनिया के पहले खलीफा द्वारा पहली बार लगाया गया था। सदस्यों को सीरिया में आईएसआईएस में शामिल होने और लड़ने के तरीकों को सीखने के लिए प्रेरित किया गया था।”
गृह मंत्रालय के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में पीएफआई सदस्यों से कई बार सामान बरामद किया गया है, जिनमें आईईडी बनाने के तरीके से संबंधित दस्तावेज और भारत को इस्लामी राज्य में बदलने से संबंधित सामग्री वाले दस्तावेज, हैंडहेल्ड मरीन रेडियो सेट, आईएस समर्थक वीडियो वाली पेन ड्राइव, गोला-बारूद और हथियार शामिल हैं।
इस मामले में पीएफआई के कुल 20 आरोपी हैं। अगली सुनवाई में आरोपियों द्वारा आरोपों पर दलीलें पेश किए जाने की संभावना है। इस मामले में मार्च 2023 में आरोपपत्र दाखिल किया गया था। दोनों पक्षों की दलीलें पूरी होने के बाद मुकदमे की सुनवाई शुरू होने की संभावना है।
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हिंदू संगठनों से जुड़े नेताओं की हत्या, संदिग्ध आतंकी शिविरों के आयोजन, युवाओं के कथित कट्टरपंथीकरण और इस्लामिक स्टेट जैसे विदेशी आतंकवादी संगठनों से संबंधों से संबंधित अपराधों के लिए कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा देश भर में पीएफआई सदस्यों के खिलाफ 1,300 से अधिक आपराधिक मामले दर्ज किए गए हैं।
सितंबर 2022 में, गृह मंत्रालय ने एक राजपत्र अधिसूचना प्रकाशित कर संगठन और उसके सहयोगियों को गैरकानूनी घोषित कर दिया था। उसी दौरान, राष्ट्रीय आयकर आयोग (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने देशव्यापी व्यापक तलाशी, हिरासत और गिरफ्तारी अभियान चलाए।
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