एलगार परिषद केस में महाराष्ट्र के पुणे की पुलिस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की साजिश की बात कही थी, पर नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने इसका जिक्र नहीं किया।
एनआईए इस मामले में गिरफ्तार किए गए 15 लोगों को देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने सहित 16 अपराधों के साथ गिरफ्तार करने का प्रस्ताव दिया है, जिसमें अधिकतम मौत की सजा है। इस महीने की शुरुआत में एक स्पेशल कोर्ट में पेश किए गए अपने प्रस्तावित आरोपों में एनआईए बोला कि आरोपियों ने आधुनिक हथियारों को “सार्वजनिक अधिकारी की मौत का प्रयास करने या मौत का कारण बनने के लिए” जुटाने से जुड़ी साजिश रची।
वहीं, मामले में प्रारंभिक जांच करने वाली पुणे पुलिस ने अपने प्रस्तावित आरोपों में कहा था कि हथियार “प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या” की साजिश से जुड़े थे, जबकि एनआईए ने प्रधानमंत्री का उल्लेख नहीं किया। एनआईए के एक अधिकारी ने बताया कि प्रस्तावित आरोप विशिष्ट आरोपों में नहीं गए हैं और इस पर सबूत ट्रायल का हिस्सा होंगे।
पुणे पुलिस ने एक पत्र को एक जगह से जब्त करने का दावा किया था।
आरोपी कार्यकर्ता रॉना विल्सन ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें कहा गया है कि साल 2018 में उनकी गिरफ्तारी से दो साल पहले उनके इलेक्ट्रॉनिक उपकरण से जब्त किए गए “अपमानजनक सबूत” एक मैलवेयर के माध्यम से लगाए गए थे।
एनआईए ने आरोप लगाया है कि 15 आरोपी प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) के सक्रिय सदस्य हैं। 31 दिसंबर, 2017 को पुणे में एलगार परिषद के कार्यक्रम का आयोजन “राज्य भर में दलितों और अन्य वर्गों की सांप्रदायिक भावना का फायदा उठाने, उकसाने और उन्हें जाति के नाम पर जिला पुणे में भीमा कोरेगांव और महाराष्ट्र राज्य में विभिन्न स्थानों पर हिंसा, अस्थिरता और अराजकता पैदा करने के लिए किया गया था।”
कहा गया है कि आरोपियों ने “एम-4 (आधुनिक हथियार) की वार्षिक आपूर्ति” के लिए आठ करोड़ रुपए की मांग की और उनका बंदोबस्त करने से जुड़ी साजिश रची। साथ ही विभिन्न विश्वविद्यालयों के छात्रों को “आतंकवादी गतिविधि के कमीशन” के लिए भर्ती किया था।
आरोपियों पर जहां 16 सामान्य धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है, वहीं उन पर अन्य धाराओं के तहत अलग-अलग आरोप भी लगाए गए हैं। उदाहरण के लिए, अकादमिक आनंद तेलतुम्बडे पर सबूत नष्ट करने से संबंधित एक धारा के तहत आरोप लगाया गया है।
जिन अन्य लोगों पर आरोप लगाए गए हैं, उनमें सुधीर धावले, रॉना विल्सन, सुरेंद्र गाडलिंग, शोमा सेन, महेश राउत, पी वरवरा राव, वर्नन गोंजाल्वेज, अरुण फरेरा, सुधा भारद्वाज, गौतम नवलखा, हनी बाबू, रमेश गईचोर, ज्योति जगताप और सागर गोरखे हैं।
ड्राफ्ट में फादर स्टेन स्वामी का भी जिक्र है, जिनकी पिछले महीने हिरासत में मौत हो गई थी। उनके खिलाफ मामला दबा दिया गया है। इसमें फरार छह आरोपियों का भी जिक्र है।
देश के खिलाफ युद्ध छेड़ने के अलावा, आरोपों में राजद्रोह, समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना, आपराधिक साजिश और गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम की संबंधित धाराएं शामिल हैं।
चार्जशीट के आधार पर अब विशेष अदालत उन धाराओं पर फैसला करेगी जिनके तहत आरोपी पर आरोप लगाया जा सकता है।